देश के अधिकतर हिस्सों में झमाझम बारिश के बाद आज पश्चिमी राजस्थान और कच्छ के कुछ इलाकों से दक्षिण पश्चिम मॉनसून की वापसी होने लगी है। मौसम विभाग ने यह जानकारी दी है। उल्लेखनीय है कि मॉनसून की वापसी एक सप्ताह पहले होनी थी।
जून में केरल से शुरू होने के बाद मॉनसून की वापसी चार महीने बाद हो रही है। 23 सितंबर तक देश में कुल मिलाकर पांच फीसदी अधिक बारिश हुई है और पूर्वी एवं पूर्वोत्तर भारत को छोड़कर देश के सभी हिस्सों में सामान्य से अधिक बारिश हुई है।
मंगलवार तक पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, ओडिशा और असम जैसे पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत के बड़े राज्यों में दक्षिण पश्चिम मॉनसून सामान्य से 13 फीसदी कम बरसा। इसके तहत 1 जून से 23 सितंबर तक के बीच सबसे कम 30 फीसदी बारिश अरुणाचल प्रदेश में हुई है और उसके बाद 28 फीसदी कम बारिश बिहार में हुई।
देश में अच्छी बारिश होने से हाल के दिनों में खरीफ फसलों की बोआई भी अपने शीर्ष स्तर पर पहुंच गई है। मॉनसून में हुई झमाझम बारिश से कई जलाशय भी भर गए हैं, जो अगली रबी फसलों की बोआई के लिए भी अच्छा संकेत माना जा रहा है। देर से मॉनसून की बारिश बढ़ने से मिट्टी की बची हुई नमी के स्तर को भी फायदा मिला है।
20 सितंबर तक (सरकार आंकड़े आखिरी बार जारी हुए थे) कुल मिलाकर 11.04 करोड़ हेक्टेयर में खरीफ फसलों की बोआई हुई, जो पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 1.51 फीसदी और इन फसलों के सामान्य रकबे से 0.80 फीसदी अधिक है। सामान्य रकबा पिछले पांच वर्षों (साल 2018-19 से साल 2022-23 तक) का औसत रकबा है।
इस बार सर्वाधिक फायदा धान, मूंगफली, अरहर, सोयाबीन और मक्का को हुआ है। इन फसलों के बंपर उत्पादन से सरकार को निर्यात और घरेलू व्यापार पर कुछ सख्त प्रतिबंधों को ढील देने में भी मदद मिलेगी, जो सरकार ने पिछले साल उम्मीद से कम उत्पादन होने के कारण लगाए थे। केंद्र सरकार पहले से ही बासमती चावल और प्याज के न्यूनतम निर्यात मूल्य को खत्म कर कुछ प्रतिबंधों को ढील देने की प्रक्रिया में है।