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मोदी 3.0 ने चीन को दिया मुंहतोड़ जवाब, भारत ने तिब्बत में 30 जगहों के नाम बदले

यह कदम चीन द्वारा अप्रैल में अरुणाचल प्रदेश में 30 स्थानों का नाम बदलने का सीधा जवाब है, जिस फैसले पर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई थी।

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नंदिनी सिंह   
Last Updated- June 11, 2024 | 8:09 PM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली नवनिर्वाचित राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) सरकार ने तिब्बत में 30 स्थानों के नाम बदलने को मंजूरी दे दी है। भारत का यह कदम चीन की उस आक्रामक विदेश नीति का मुंहतोड़ जवाब है, जिसके तहत वह बार-बार अरुणाचल प्रदेश के विभिन्न इलाकों का नाम बदलकर अपना दावा पेश करता है।

News18 की रिपोर्ट के अनुसार, ऐतिहासिक शोध और तिब्बत क्षेत्र से संबद्धता पर आधारित नाम, भारतीय सेना द्वारा जारी किए जाएंगे और वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के साथ उनके मानचित्रों पर अपडेट किए जाएंगे।

भारत ने तिब्बत में 30 जगहों के नाम बदले

पैंगोंग त्सो (Pangong Tso) क्षेत्र में हिंसक झड़प के बाद 5 मई, 2020 को पूर्वी लद्दाख सीमा पर गतिरोध पैदा होने के बाद से व्यापार को छोड़कर भारत और चीन के बीच संबंध तनावपूर्ण हैं। गतिरोध को सुलझाने के लिए दोनों पक्षों ने 21 दौर की सैन्य वार्ता की है।

यह कदम चीन द्वारा अप्रैल में अरुणाचल प्रदेश में 30 स्थानों का नाम बदलने का सीधा जवाब है, जिस फैसले पर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई थी। मोदी 3.0 के तहत, भारत का लक्ष्य कब्जे वाले तिब्बत में स्थानों को अपना नाम देकर अपने क्षेत्रीय दावों पर जोर देना है।

इस लिस्ट में 11 आवासीय क्षेत्र, 12 पहाड़, चार नदियां, एक झील, एक पहाड़ी दर्रा और भूमि का एक टुकड़ा शामिल है, जो चीनी अक्षरों, तिब्बती और पिनयिन में प्रस्तुत किया गया है। साल 2017 से चीन ने अरुणाचल प्रदेश में जितने इलाकों का नाम बदला है, भारत ने इस लेटेस्ट लिस्ट में तिब्बत के उतने ही इलाकों का नाम अपने हिसाब से रखा है।

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अरुणाचल प्रदेश को देश का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा

चीन के बार-बार दावों के बावजूद, भारत ने लगातार अरुणाचल प्रदेश को देश का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा बताया है। विदेश मंत्रालय (MEA) ने कहा है कि “मनगढ़ंत” नाम निर्दिष्ट करने से इस वास्तविकता में कोई बदलाव नहीं आता है। भारत की ओर से यह कड़ी प्रतिक्रिया दक्षिण चीन सागर जैसे क्षेत्रों में चीन की विस्तारवादी नीतियों की व्यापक वैश्विक अस्वीकृति के बाद आई है।

दूसरी बार विदेश मंत्री के रूप में कार्यभार संभालते हुए, एस जयशंकर ने मंगलवार को चीन और पाकिस्तान से संबंधित मुद्दों पर देश के मजबूत रुख की पुष्टि करते हुए कहा कि सीमा मुद्दों और सीमा पार आतंकवाद दोनों से सख्ती से निपटा जाएगा।

जयशंकर ने पदभार संभालने के बाद कहा, “जहां तक पाकिस्तान और चीन का सवाल है, उन देशों के साथ रिश्ते अलग हैं और वहां की समस्याएं भी अलग हैं। चीन के संबंध में हमारा ध्यान सीमा मुद्दों का समाधान खोजने पर होगा और पाकिस्तान के साथ हम वर्षों पुराने सीमा पार आतंकवाद के मुद्दे का समाधान ढूंढना चाहेंगे।

First Published : June 11, 2024 | 8:09 PM IST