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मौसम विभाग के साथ काम कर रहा विद्युत मंत्रालय

इस साल लगातार बारिश होने से चरम मांग घटकर 242 गीगावॉट रह गई, जबकि 270 गीगावॉट का अनुमान लगाया गया था।

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साकेत कुमार   
Last Updated- August 22, 2025 | 10:53 PM IST

विद्युत क्षेत्र के योजनाकार बिजली की मांग का सटीक अनुमान लगाने और मौसम पर निर्भर अक्षय ऊर्जा को एकीकृत करने के वास्ते संघर्षरत हैं। उद्योग के एक वरिष्ठ अधिकारियों ने यह बात कही है। उन्होंने नए पूर्वानुमान उपकरणों, एआई आधारित समाधान और मजबूत बाजार तंत्रों की आवश्यकता पर जोर दिया है।

शुक्रवार को नई दिल्ली में आयोजित ब्लूमबर्ग एनईएफ समिट में केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) के चेयरमैन घनश्याम प्रसाद ने कहा कि भारत में बिजली का मांग का पूर्वानुमान अब भी अनिश्चित बना हुआ है। उन्होंने कहा कि इसका प्रमुख कारण उपभोक्ताओं का अनिश्चित व्यवहार और मौसम की स्थितियां हैं। प्रसाद ने कहा कि इस साल लगातार बारिश होने से चरम मांग घटकर 242 गीगावॉट रह गई, जबकि 270 गीगावॉट का अनुमान लगाया गया था। यह पिछले साल से भी कम है।

प्रसाद ने कहा कि सौर और पवन जैसे अक्षय ऊर्जा संसाधन सटीक मौसम पूर्वानुमान को महत्त्वपूर्ण बनाते हैं। उन्होंने कहा, ‘अक्षय ऊर्जा के लिए हमें किसी खास स्थान पर बादलों के गति की निगरानी में सक्षम होना चाहिए। जब तक हम ऐसा नहीं कर पाएंगे तब तक हम बिजली क्षेत्र को बरकरार नहीं रख पाएंगे। केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण और विद्युत मंत्रालय ने इस मामले को भारतीय मौसम विभाग, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के समक्ष भी उठा चुका है।’ प्रसाद ने कहा कि केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण दीर्घकालिक मौसम पूर्वानुमान के लिए उपकरण भी तैयार कर रहा है। उन्होंने कहा, ‘हम दीर्घकालिक, लंबी दूरी के पूर्वानुमान उपकरण बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जो हमें कम से कम कुछ पूर्वानुमान दे सकें और जो योजनाकारों के लिए मददगार साबित हो सके, खासकर मांग के अनुमान और संसाधन पर्याप्तता के अनुमान के लिए।’

इसी कार्यक्रम में प्रौद्योगिकी क्षेत्र की दिग्गज कंपनी गूगल में जलवायु संचालन की वैश्विक निदेशक वृशाली गौड़ ने इस तरह के पूर्वानुमान के अंतर को पाटने के लिए आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) को एक उपकरण के तौर पर बताया। उन्होंने कहा, ‘हमने अपनी प्रणाली के ऊर्जा उपयोग में करीब 33 फीसदी सुधार और कार्बन उत्सर्जन की कमी में करीब 44 फीसदी सुधार देखा है। आंतरिक तौर पर हमने बेहतर मांग पूर्वानुमान, लोड संतुलन, ऊर्जा दक्षता को समझने और हॉटस्पॉट को देखने के तरीकों को समझने के लिए कई अलग-अलग तरीकों से एआई को तैनात किया है।’

ब्लूमबर्ग एनईएफ समिट में हीरो फ्यूचर एनर्जीज के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक राहुल मुंजाल ने कहा कि भारत में हाल ही में पेश किया गया बिजली डेरिवेटिव बाजार के जल्द मुख्यधारा में आने की संभावना कम है। उन्होंने कहा, ‘डेरिवेटिव बाजार पूरी दुनिया में हैं मगर वे छोटे हैं। जब तक हमारे पास एक परिपक्व बाजार नहीं होगा, हमारे पास ऋण के लिए परिपक्व प्रणाली भी नहीं होगी। इसलिए, मुझे नहीं लगता है कि यह मुख्य आधार बनने वाला है।’

First Published : August 22, 2025 | 10:22 PM IST