महाराष्ट्र की रानजीति (Maharashtra Politics) में मची उथल-पुथल के बीच विधानमंडल का मानसून सत्र सोमवार 17 जुलाई से से शुरू हो रहा है और 4 अगस्त तक चलेगा।
इस बार के मानसून में विधासभा के अंदर अजीब तस्वीर देखने को मिलेगी। जनता की आवाज उठाने वाला विपक्ष नेता विहीन है अभी तक विधानसभा में विपक्ष का नेता तय नहीं हो सका है।
पिछले सत्र में विपक्ष की बुलंद आवाज रहे अजीत पवार (Ajeet Pawar) इस बार सत्तापक्ष की तरफ खड़े हैं। सरकार को घेरने के बजाय पूरी तरह से बिखरा विपक्ष खुद ही सवालों के चक्रव्यूव में फंस नजर आ रहा है।
विधानसभा के अंदर सत्ता पक्ष की तरफ भाजपा, शिवसेना (शिंदे) और एनसीपी (अजीत पवार) रहने वाली है जबकि विपक्ष के पाले में कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव) और एनसीपी (शरद पवार गुट) रहने वाले हैं।
विधानसभा के विरोधी पक्ष नेता अजित पवार के सरकार में शामिल होने से विरोधी पक्ष नेता की कुर्सी खाली है। शरद पवार गुट ने विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर से जितेंद्र आव्हाण को विपक्ष का नेता बनाने की मांग की थी लेकिन नार्वेकर ने उनकी मांग को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि विपक्ष का नेता उस दल का बनता है जिसके सबसे ज्यादा विधायक होते हैं। जिससे अभी तक साफ नहीं है कि विरोध पक्ष नेता कौन होगा।
यानी पहली बार विरोधी पक्ष नेता के बिना अधिवेशन शुरु हो रहा है। विपक्ष की तरफ से विरोधी पक्ष नेता और शिवसेना एवं एनसीपी के विधायकों की सदस्यता के मामले में हो हल्ला करना तय माना जा रहा है लेकिन कम संख्या और दमदार नेता न होने के कारण इस बार विपक्ष की आवाज महज रस्म अदायगी रहने वाली है। गए हैं।
महाराष्ट्र विधानमंडल का मानसून सत्र शुरु होने से एक दिन पहले अजीत पवार अपने सभी मंत्रियों के साथ एक बार फिर शरद पवार को भाजपा का समर्थन करने की गुजारिश करने पहुंचे। अपने चाचा शरद पवार के खिलाफ बगावत करने और दो जुलाई को एकनाथ शिंदे सरकार में शामिल होने के बाद अजित पवार के नेतृत्व वाले समूह और शरद पवार के बीच यह पहली बैठक थी।
रविवार सुबह अजित पवार गुट सभी मंत्रियों की हुई बैठक
अजित पवार ने राकांपा मंत्रियों-हसन मुशरिफ, छगन भुजबल, अदिति तटकरे और दिलीप वलसे पाटिल के साथ राज्य सचिवालय मंत्रालय के पास स्थित वाई बी चव्हाण केंद्र में शरद पवार से मुलाकात की। इस मुलाकात में शरद पवार के साथ उनके गुट के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल और पार्टी नेता जितेंद्र आव्हाड भी थे।
रविवार को सुबह अजित पवार गुट सभी मंत्रियों की बैठक हुई थी। इस बैठक में तय किया गया कि वे शरद गुट के विधायकों पर निजी हमले नहीं करेंगे।
सत्र शुरू होने से पहले सरकार की तरफ से पक्ष और विपक्ष के लिए चाय पार्टी रखी जाती है। परम्परा के तहत शिंदे सरकार ने नेताओं के लिए चाय पार्टी का आयोजन किया , लेकिन चाय पार्टी का विपक्ष ने बहिष्कार कर दिया। चाय पार्टी में शामिल नहीं होने को लेकर उद्धव गुट के नेता और विधायक सुनील राउत ने कहा कि हम पारंपरिक चाय पार्टी का बहिष्कार किया, क्योंकि लोग भ्रमित हैं कि सीएम कौन है, एकनाथ शिंदे, देवेंद्र फड़नवीस या अजीत पवार।
शिवसेना (उद्धव गुट) के विधायक सचिन अहिर के मुताबिक शिवसेना और राकांपा में टूट के कारण सदन में विपक्ष के विधायकों की संख्या निश्चित रूप से कम हुई है। लेकिन सदन में हमारी आवाज को कोई बंद नहीं सकता है। सदन में विपक्ष अपने अधिकार का इस्तेमाल करेगा।
विपक्ष का कहना है कि मानसून अधिवेशन के दौरान विपक्ष सदन में किसानों, खरीफ फसलों के दुबारा बुवाई के संकट, फसल बीमा, नकली बीज, महिला अत्याचार, कानून- व्यवस्था, शिक्षक भर्ती, अवैध रेत उत्खनन, मुंबई, ठाणे और पुणे सहित अन्य मनपा के भ्रष्टाचार आपदा प्रभावितों को मदद न मिलने, नागपुर- मुंबई समृद्ध महामार्ग पर होने वाले हादसे, बढ़ती महंगाई सहित कई मुद्दों पर शिंदे-फडणवीस-अजित सरकार को घेरेगा।