महाराष्ट्र मंत्रिमंडल ने आज एक प्रस्ताव पारित करके केंद्र सरकार से दिवंगत उद्योगपति पद्म विभूषण रतन टाटा को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किये जाने का अनुरोध किया। राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बैठक में शोक प्रस्ताव प्रस्तुत किया और इसके साथ ही एक और प्रस्ताव पारित करके केंद्र सरकार से रतन टाटा को उनकी उपलब्धियों के लिए भारत रत्न से सम्मानित करने का अनुरोध किया गया।
शोक प्रस्ताव में कहा गया कि, उद्यमिता भी समाज निर्माण का एक प्रभावी तरीका है। नए उद्योगों की स्थापना से ही देश को आगे बढ़ाया जा सकता है, लेकिन उसके लिए दिल में सच्ची देशभक्ति और उतनी ही सच्ची चिंता अपने समाज के लिए होनी चाहिए। हमने रतन टाटा के रूप में एक समान विचारधारा वाले सामाजिक कार्यकर्ता, दूरदर्शी और देशभक्त मार्गदर्शक को खो दिया है।
प्रस्ताव में कहा गया, ”भारत के औद्योगिक क्षेत्र में ही नहीं बल्कि सामाजिक विकास के कार्यों में भी रतन टाटा का योगदान अभूतपूर्व था। वह महाराष्ट्र के सपूत थे, भारत का गौरव थे। आत्म-अनुशासन, स्वच्छ प्रशासन और बड़े बड़े उद्योग को चलाते समय उच्च नैतिक मूल्यों का पालन करते हुए रतन टाटा ने कठोर कसौटियों को पार कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी और भारत की पहचान बनाई। आज उनके रूप में देश का एक बड़ा स्तंभ ढह गया है।”
टाटा समूह के संस्थापक जमशेदजी टाटा के रतन टाटा परपोते थे। उन्होंने कई वर्षों तक चेयरमैन और बाद में अंतरिम चेयरमैन के रूप में टाटा समूह की देखरेख की। देश के सबसे पुराने टाटा समूह के चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रमुख के रूप में उन्होंने बहुत ही परोपकारी रवैये के साथ सेवा की।
रतन टाटा ने नैतिक मूल्यों को कायम रखा, उनका कार्य अन्य उद्यमियों और भावी पीढ़ियों के लिए एक मार्गदर्शक के रूप में काम करेगा वह एक सिद्धांतवादी कर्मयोगी थे। आजादी के बाद देश के पुनर्निर्माण में टाटा समूह ने प्रमुख भूमिका निभाई। इस समूह के माध्यम से रतन टाटा ने वैश्विक स्तर पर भारत का परचम लहराया।
प्रस्ताव में कहा गया कि टाटा का नाम कारों से लेकर नमक और कंप्यूटर से लेकर कॉफी-चाय तक कई उत्पादों के साथ गर्व से जुड़ा हुआ है । रतन टाटा ने शिक्षा, स्वास्थ्य और समाज सेवा के क्षेत्र में भी अपना अद्वितीय योगदान दिया। मुंबई पर 26/11 हमले के बाद उनके द्वारा दिखाई गई दृढ़ता के लिए याद किया जाएगा।
रतन टाटा ने कोविड काल में प्रधानमंत्री राहत कोष के लिए तुरंत 1500 करोड़ रुपये दिए। साथ ही अपने अधिकांश होटलों को कोविड काल के दौरान मरीजों के लिए उपलब्ध कराया, उनकी महानता सदैव याद रखी जायेगी।
उनमें नवप्रवर्तन और परोपकारिता का अद्वितीय समन्वय था। उन्होंने अपने टाटा मूल्यों से कभी समझौता नहीं किया। वह युवाओं के बीच उपलब्धि और प्रयोगशीलता को प्रोत्साहित करने में हमेशा आगे रहते थे। उन्होंने गढ़चिरौली जैसे दूरदराज के इलाकों में युवाओं की कुशलता को बढावा और रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए एक इनोव्हेशन केंद्र शुरू किया।
महाराष्ट्र सरकार का पहला उद्योग रत्न पुरस्कार उन्हें प्रदान करने का भाग्य हमें मिला । उनके मार्गदर्शन का महाराष्ट्र राज्य को हमेशा ही लाभ मिला । रतन टाटा के निधन से हमारा देश और साथ ही महाराष्ट्र का कभी भी न भर सकने वाला नुकसान हुआ है । टाटा ग्रुप के विशाल परिवार पर आए इस दुःख में राज्य मंत्रिमंडल सहभागी है । प्रार्थना है कि, उनकी आत्मा को सद्गति मिलें । देश के इस महान सपूत को महाराष्ट्र की तमाम जनता की ओर से राज्य मंत्रिमंडल के माध्यम से भावभीनी श्रद्धांजलि।
महाराष्ट्र सरकार ने उद्योगपति रतन टाटा को श्रद्धांजलि देने के लिए गुरुवार को राज्य में एक दिवसीय शोक की घोषणा की। उनका बुधवार को मुंबई के एक अस्पताल में 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया। महाराष्ट्र में सरकारी कार्यालयों पर राष्ट्रीय झंडा 10 अक्टूबर को शोक के प्रतीक के रूप में आधा झुका रहा। गुरुवार को कोई मनोरंजन कार्यक्रम नहीं हुए।
टाटा का पार्थिव शरीर सुबह 10 बजे से शाम चार बजे तक दक्षिण मुंबई में नरीमन प्वाइंट स्थित नेशनल सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स (एनसीपीए) में लोगों के अंतिम दर्शन के लिए रखा गया। उनका अंतिम संस्कार मुंबई के वर्ली इलाके में राजकीय सम्मान के साथ किया गया।