दिल्ली में ऑटो रिक्शा चलाने वाले तरुण पिछले तीन दिनों से स्वयं को एक अजीब स्थिति में पा रहे हैं। नई दिल्ली में जी-20 शिखर सम्मेलन के कारण लगी पाबंदियों से वह पिछले तीन दिनों से अपने घर नहीं जा पाए हैं। उनका घर जनता कैंप में है, जो प्रगति मैदान के इर्द-गिर्द है। प्रगति मैदान के निकट 9 से 10 सितंबर तक जी-20 शिखर सम्मेलन आयोजित हो रहा है।
जनता कैंप रोड के दूसरे निवासी भी अपने घरों में कैद हो गए हैं । कुल मिलाकर हालात ये हैं कि वे बाहरी दुनिया से पूरी तरह कट गए हैं।
तरुण कहते हैं, ‘पुलिस मुझे प्रगति मैदान की तरफ जाने नहीं दे रही है। जब मैं कहता हूं कि वहां मेरा घर है तो पुलिस कहती है कि अभी मत जाओ, कहीं और ठिकाना ढूंढ लो। पिछले कुछ समय से मैं एक ढाबे में खाना खा रहा हूं।’
तरुण का कहना है कि वह पिछले तीन दिनों से अपने ऑटो रिक्शा में ही सो रहे हैं। इतना ही नहीं, तरुण की रोजाना की कमाई भी बहुत कम हो गई है। उन्होंने कहा कि सुबह से मात्र 250 रुपये की कमाई हुई है।
जी-20 शिखर सम्मेलन के आयोजन के कारण दिल्ली में सुरक्षा के काफी चुस्त इंतजाम किए गए हैं। इसका असर यह हुआ है की प्रगति मैदान के इर्द-गिर्द अन्ना नगर, संजय अमर कॉलोनी, और जनता कैंप में रहने वाले लोगों का जीवन अस्त व्यस्त हो गया है। कार्यक्रम स्थल के आसपास के इलाकों में ज्यादातर रोजाना मजदूरी करने वाले लोग रहते हैं और अब इस इलाके में पाबंदी लगने से उनकी दिनचर्या पर असर हुआ है। तरुण जैसे लोग तो काम के लिए भी बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। कई दूसरे लोग भी हैं जो अपने घरों से बाहर निकले थे लेकिन अब तक पाबंदियों के कारण लौट नहीं पा रहे हैं।
इंद्रप्रस्थ मेट्रो स्टेशन के निकट महात्मा गांधी रोड पर तैनात एक पुलिसकर्मी अरुण कुमार ने कहा कि शुक्रवार रात से यह इलाका पूरी तरह बंद कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि केवल उन्हीं लोगों को आने-जाने की अनुमति दी जाएगी जिनके पास वाजिब कारण हैं। ऑफिस जाने वाले लोगों को पास दिखाना होगा।
सरकारी कर्मचारियों को उनके दफ्तरों तक पहुंचाने के लिए पास जारी किए गए हैं। राष्ट्रीय प्राणी उद्यान में काम करने वाले अन्ना नगर के निवासी राजेश बड़ी गर्व से अपना पास दिखाते हैं। मगर अन्ना नगर के दूसरे निवासियों को तो पाबंदियों से ही जूझना पड़ रहा है।
इसी इलाके में रहने वाले रोजाना मजदूरी करने वाले राजू कहते हैं, ‘हम कम पर भी नहीं जा सकते। कुछ लोगों के पास तो पहले की कमाई बची है तो वे किसी तरह गुजारा कर रहे हैं, लेकिन मेरे पास तो कुछ भी नहीं है।’
दिल्ली नगर निगम के बागवानी विभाग में काम करने वाले अतुल कुमार कुमार भी उलझन में हैं। उन्होंने कहा, ‘मुझे सोमवार तक कम पर आने से मना कर दिया गया है। मगर इससे भी दुख की बात यह है कि मुझे इन तीन दिनों के लिए एक भी रुपया नहीं मिलेगा।’
एमसीडी में काम करने वाले एक अन्य कर्मचारी मुन्ना की भी कमोबेश यही हालत है। मुन्ना ने कहा, ‘अगर पुलिस हमें कहीं जाने नहीं देगी तो फिर हमारे पास क्या रास्ता रह जाता है। हमारी कोई सुनता ही नहीं है, मगर मैं फिर भी खुश हूं कि चलो यह सम्मेलन हमारे देश में हो रहा है और हमारे देश के काम का है।’
संजय अमर कॉलोनी की एक महिला ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा, ‘सब्जी बेचने वाले कुछ लोग कल आए थे मगर मुझे नहीं पता कि पुलिस आज या रविवार तक उन्हें आने देगी।’
पिछले कुछ दिनों से पुलिस इन इलाकों में लगातार गश्त कर रही है और लोगों को नियमों का उल्लंघन नहीं करने की चेतावनी दे रही है।