पिछले साल दिल्ली के एक औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (ITI) से इलेक्ट्रॉनिक मैकेनिक्स की दो साल की पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी की तलाश कर रहे मोहम्मद सलामत कहते हैं, ‘मैंने मारुति सुजूकी, हिताची और सैमसंग में साक्षात्कार दिया है। मैंने अपना बायोडाटा इंदौर के स्थानीय उपकरण विनिर्माताओं के पास भी भेजा, लेकिन कहीं से कोई सफलता नहीं मिली।’
सलामत ने जिन कंपनियों में नौकरी के लिए आवेदन किया है उनमें से अधिसंख्य ने अधिक अनुभव की कमी बताई या फिर कहा कि उनका पाठ्यक्रम नौकरी की जरूरत के हिसाब से नहीं है।
तकनीकी प्रशिक्षण संस्थानों से स्नातक करने वाले सलामत जैसे छात्रों की शिकायत है कि इस क्षेत्र के नियोक्ता ITI की डिग्री को कोई तवज्जो नहीं देते हैं और वे ITI या अन्य अल्पकालीन कौशल प्रशिक्षण संस्थान के छात्रों को नौकरी देने में भी अनिच्छा जाहिर करते हैं। कुछ नियोक्ता इससे सहमत हैं।
गुरुग्राम के पुरुषों के कपड़ों के एक प्रमुख ब्रांड के वरिष्ठ अधिकारी का कहना है, ‘अगर हमें नए दर्जी या बुनाई और सिलाई के विशेषज्ञों की जरूरत पड़ेगी तो हम पहले राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान (निफ्ट) या फिर किसी अन्य निजी संस्थान की ओर रुख करेंगे। वहां व्यावहारिक प्रशिक्षण अच्छा है।
हालांकि, कोई भी शैक्षणिक पाठ्यक्रम ऑन फील्ड अनुभव से मेल नहीं खा सकता है, लेकिन हमने देखा है कि इन संस्थानों के छात्र ITI से पढ़ने वालों की तुलना में हमारी नौकरी की जरूरतों को ज्यादा अच्छे से समझ सकते हैं।’
नैशनल काउंसिल फॉर वोकेशनल ट्रेनिंग (एनसीवीटी) के पोर्टल पर उपलब्ध प्लेसमेंट के आंकड़ों के अनुसार, 2022 में पास होने वाले 1,919,788 प्रशिक्षुओं में से महज 86 को नौकरी मिली थी। 2021 में देश भर के ITI से उत्तीर्ण होने वाले 7.5 लाख प्रशिक्षुओं में से सिर्फ 839 नौकरी पा सके थे।
बिज़नेस स्टैंडर्ड ने दिल्ली, मेरठ और आगरा के शिक्षकों से बात की। उन्होंने कहा कि ये आंकड़े पूरी तरह से सही नहीं हैं क्योंकि छात्रों से अपेक्षा की जाती है कि वे पोर्टल पर या अपने संस्थान को अपनी नौकरी लगने की जानकारी देंगे। कई छात्र ऐसा नहीं करते हैं।
इस प्रकार प्रत्येक ITI के लिए एनसीवीटी प्लेसमेंट के आंकड़े वास्तविक प्लेसमेंट से कम हैं। फिर भी जानकारों का कहना है कि बेशुमार प्रशिक्षु एनसीवीटी संख्या में बड़े पैमाने पर प्लेसमेंट की कमी को पूरा नहीं करते हैं।
पिछले छह महीनों में टाटा पावर स्किल डेवलपमेंट इंस्टीट्यूट इन इंडिया (टीपीएसडीआई) में तीन अलग-अलग कौशल-विकास पाठ्यक्रमों में दाखिला लेने वाली सुनीता कुमारी (अनुरोध पर बदला हुआ नाम) कहती हैं, ‘यह अच्छी स्थिति है। यह हमें अपने कारखाने के साथ-साथ कार्यशालाओं में काम करने के लिए आवश्यक कौशल का प्रशिक्षण दे रहा है। इसके इतर, मेरे बायोडाटा पर टाटा ब्रांड का नाम है। इससे मुझे न केवल दिल्ली-एनसीआर में बल्कि बेंगलूरु और जमशेदपुर से भी कंपनियों के प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं।’
कुमारी यह भी बताती हैं कि ITI से स्नातक करने वाले उनके कई पुराने सहपाठी अभी भी नौकरी की तलाश में हैं। उन्हें डिग्री प्राप्त किए हुए एक साल से अधिक समय हो गया है। हालाकि, उसके कई टीपीएसडीआई के सहपाठियों और वरिष्ठों को या तो टाटा पावर ने ही रख लिया है या उन्हें अन्य कंपनियों में तुरंत ही नौकरी मिल गई है। हालांकि, विशेषज्ञ भी इससे सहमत हैं कि कुछ बड़ी चुनौतियां हैं जिनसे निपटना जरूरी है।