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इलेक्ट्रिकल-इलेक्ट्रॉनिक कचरे पर नए दिशानिर्देशों का IT मंत्रालय ने किया विरोध, निर्माता कंपनियों ने भी जताई चिंता

E-waste management guidelines: नए दिशानिर्देश तो निर्माताओं पर केवल वित्तीय बोझ को ही बढ़ाएंगे जबकि इससे रिसाइकलिंग कारोबारियों की चांदी हो जाएगी।

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सुरजीत दास गुप्ता   
Last Updated- September 24, 2024 | 10:32 PM IST

केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के उन प्रारूप दिशानिर्देशों का विरोध किया है, जिनमें केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने विभिन्न प्रकार के इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक कचरे के निपटान के लिए रिसाइकलिंग और प्रसंस्करण की कीमतें तय कर दी हैं।

इन दिशानिर्देशों के मुताबिक उत्पादक ई-कचरे के वार्षिक लक्ष्यों को हासिल करने के दायित्वों का पालन करने के लिए रिसाइकलिंग करने वालों से एक्सटेंडेड प्रोड्यूसर रिस्पॉन्सिबिलिटी (ईपीआर) क्रेडिट प्रमाण पत्र खरीद सकते हैं।

सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय का यह रुख सोमवार को आयोजित एक बैठक में सामने आया, जिसमें पर्यावरण मंत्रालय और सीपीसीबी के अधिकारियों के साथ अन्य हितधारक भी मौजूद थे। इलेक्ट्रॉनिक कंपनियों और टेलीकॉम गियर निर्माताओं ने आरोप लगाया है कि पर्यावरण मंत्रालय के दिशानिर्देशों में निष्पक्ष बाजार सिद्धांतों की अनदेखी की गई है, क्योंकि अधिकांश कंपनियों ने रिसाइकलिंग इकाइयों के साथ पहले ही द्विपक्षीय आधार पर बाजार आधारित कीमतों पर मध्य और दीर्घावधि के लिए वाणिज्यिक समझौते कर रखे हैं, जो सरकार द्वारा तय न्यूनतम मूल्य से एक तिहाई से एक चौथाई तक हैं।

नए दिशानिर्देश तो निर्माताओं पर केवल वित्तीय बोझ को ही बढ़ाएंगे जबकि इससे रिसाइकलिंग कारोबारियों की चांदी हो जाएगी। उदाहरण के लिए मसौदा दिशानिर्देशों में रिसाइकलिंग के बाद तैयार धातु की कीमतें 80 रुपये प्रति किलोग्राम तय कर दी गई हैं। इसके उलट रिसाइकलिंग के लिए सभी प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक और इलेक्ट्रिक उपकरण श्रेणी के ई-कचरे की कीमत 6 रुपये से 25 रुपये किलो के बीच रखी गई है।

योजना के तहत इलेक्ट्रिक और इलेक्ट्रॉनिकी ई-कचरे के लिए मोबाइल फोन, दूरसंचार उपकरण, टेलीविजन, लैपटॉप, वाशिंग मशीन, ऑडियो सिस्टम समेत लगभग 120 उत्पाद हैं, जिन पर इन दिशानिर्देशों का सीधा असर पड़ेगा। इलेक्ट्रिक और इलेक्ट्रॉनिकी उपकरण निर्माताओं की शिकायत है कि बीते 8 अगस्त को हुई दोनों मंत्रालयों की बैठक में दिशानिर्देशों को लेकर उनके असहमति जताने के बावजूद ईपीआर क्रेडिट की कीमतें तय करने का फैसला ले लिया गया।

इलेक्ट्रॉनिक कंपनियों की यह भी शिकायत है कि सीपीसीबी ने कीमतों का आंकड़ा रिसाइकलिंग कारोबारियों से लिया है और जो कंपनियां इस कचरे से सीधे संबंधित थीं, उनसे सलाह-मशविरा तो दूर, उन्हें इस बारे में जानकारी भी नहीं दी गई।

इसके अलावा, अधिकतम संचालन दक्षता के साथ हासिल सामग्रियों की प्रसंस्करण लागत (40 से 50 प्रतिशत शुद्धता के साथ) प्राथमिक धातुओं (99.99 प्रतिशत से अधिक शुद्धता) की कीमत से अधिक या उसके बराबर नहीं हो सकती।

इलेक्ट्रॉनिक कंपनियों ने दिशानिर्देशों को रिसाइकलिंग इकाइयों के पक्ष में होने की बात भी कही है। उनका कहना है कि किसी प्रकार नियमों के उल्लंघन पर केवल उत्पादकों पर ही कार्रवाई की बात दिशानिर्देशों में कही गई है और रिसाइकलिंग इकाइयों की जवाबदेही के बारे में कुछ नहीं कहा गया है।

First Published : September 24, 2024 | 10:32 PM IST