विकास निगरानी और मूल्यांकन कार्यालय (DMEO), नेशनल इंस्टीट्यूशन फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया (NITI) आयोग ने रीजनल कनेक्टिविटी योजना (RCS) उड़ान के मूल्यांकन अध्ययन का समर्थन करने के लिए एक कंसल्टेंसी फर्म को काम पर रखने का प्रस्ताव जारी किया है।
इस मूल्यांकन अध्ययन का उद्देश्य हवाई अड्डे के संचालन, प्रबंधन और विकास से संबंधित अंतराल और चुनौतियों की पहचान करना है। यह अध्यन उड़ान योजना (udaan Scheme) पर अनुसंधान और आर्थिक आउटलुक भी प्रदान करेगा।
उड़ान या “उड़े देश का आम नागरिक”, कम सेवा वाले हवाई मार्गों को जोड़ने के लिए रीजनल कनेक्टिविटी योजना का हिस्सा है। यह सरकार का क्षेत्रीय हवाई अड्डा विकास कार्यक्रम है जो 2016 में शुरू किया गया था और 2017 में परिचालन में आया।
उड़ान योजना का मुख्य उद्देश्य नए रीजनल कनेक्टिविटी को बढ़ावा देना
उड़ान योजना का मुख्य उद्देश्य “नए रीजनल एयरपोर्ट का निर्माण, क्षेत्रीय मार्गों के लिए एयरलाइन सब्सिडी और क्षेत्रीय कनेक्टिविटी के लिए छोटे विमानों को शामिल करना है।
इस योजना को केंद्र, राज्य सरकारों, हवाईअड्डा संचालकों से मिलने वाली रियायतों और वायबिलिटी गैप फंडिंग (VGF) के जरिये वित्तीय सहायता दी जाती है। सरकार का कहना था कि इस योजना से हवाई यात्रा अधिक किफायती होगा और भारत के समग्र आर्थिक विकास में योगदान मिलेगा।
इस योजना के लिए हर साल बढ़ता है बजट आवंटन
उड़ान योजना के जरिये अब तक 156 एयरपोर्ट को जोड़ने वाले 954 मार्गों को जोड़ चुका है। इस योजना का लक्ष्य 2024 तक पूरे भारत में 100 से अधिक असेवित और कम सेवित वाले हवाई अड्डों, हेलीपोर्टों और जल हवाई अड्डों को 1000 से अधिक रीजनल मार्गों से जोड़ना है।
सरकार 2026 तक हवाई अड्डों, हेलीपोर्टों और जल हवाई अड्डों के जरिये 220 डेस्टिनेशंस को पूरा करने का भी लक्ष्य बना रही है।
इस योजना के लिए बजट आवंटन हर साल बढ़ता है। साल 2017-18 में इसका बजट 200.1 करोड़ रुपये था जो 2023-24 में बढ़कर 1244 करोड़ रुपये हो गया है।
बता दें कि RFP जुलाई की शुरुआत में जारी किया गया था, जिसमें ‘क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना के मूल्यांकन अध्ययन’ की रूपरेखा दी गई थी। डीएमईओ योजना का मूल्यांकन करने के लिए तकनीकी सलाहकारों की तलाश कर रहा है।