भारतीय नौसेना जल्द ही परमाणु ऊर्जा से संचालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी आईएनएस अरिदमन को अपने बेड़े में शामिल करेगी। नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश त्रिपाठी ने मंगलवार को नई दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन में यह बात कही।
स्वदेश में ही निर्मित ऐसी तीसरी पनडुब्बी (आईएनएस अरिहंत और आईएनएस अरिघात के बाद) अंतिम परीक्षणों से गुजर रही है। नौसेना के बेड़े में शामिल होने के बाद यह भारत की प्रतिरोधक क्षमता को और धार देगी। चीन और पाकिस्तान द्वारा अपनी नौसेनाओं के विस्तार के प्रयासों के बीच भारत के लिए यह पनडुब्बी काफी महत्त्वपूर्ण साबित होगी। वैसे अरिदमन परमाणु ऊर्जा से संचालित पिछली दो पनडुब्बियों की तुलना में अधिक खूबियों से लैस है मगर भारत इनकी संख्या के मामले में चीन और अमेरिका से काफी पीछे है। भारत सरकार ने दो परमाणु-हमला पनडुब्बियों के निर्माण को मंजूरी दे दी है जिन्हें तैयार होने में 8 से 10 वर्ष लग जाएंगे।
त्रिपाठी ने भारतीय नौसेना के विस्तार महत्त्वाकांक्षाओं का जिक्र किया। उन्होंने कहा, ‘हमारे पास निरंतरता, पहुंच और इरादा है।’ उन्होंने कहा कि भारत केवल इर्द-गिर्द ही नहीं बल्कि बाहरी जल क्षेत्र में भी अपनी उपस्थिति बढ़ाना चाहता है। उन्होंने भारत-प्रशांत क्षेत्र के बारे में कहा, ‘हिंद महासागर क्षेत्र पर हमारा प्रमुख ध्यान है मगर हमारी नजर यहीं तक सीमित नहीं है।’
त्रिपाठी नौसेना दिवस से पहले भारत के समुद्री क्षेत्र सिद्धांत के अद्यतन संस्करण जारी होने के अवसर पर त्रिपाठी ने ये बातें कहीं। 4 दिसंबर को नौसेना दिवस मनाया जाता है। नवीनतम सिद्धांत में ‘नो पीस, नो वार’ श्रेणी शामिल है जो आधुनिक युद्ध में बदलावों को दर्शाता है। इसमें इस बात का जिक्र है कि भारतीय नौसेना अप्रत्यक्ष युद्ध या तनाव के दौरान विभिन्न चुनौतियों से कैसे निपटेगी।
यह सिद्धांत पहली बार 2004 में जारी किया गया था और आखिरी बार 2015 में इसे अद्यतन किया गया था। यह नौसेना का सबसे अहम दस्तावेज है जिसका इस्तेमाल वह निर्णय लेने के लिए करती है।
भारत को आने वाले समय में कम से कम एक और विमान वाहक पोत की जरूरत होगी। फिलहाल उसके पास आईएनएस विक्रमादित्य और आईएनएस विक्रांत दो विमान वाहक पोत हैं। नौसेना प्रमुख ने कहा कि सेवा अवधि समाप्त होने के बाद एक विमान वाहक पोत के हटने के बाद भी कुछ समय के लिए भारत के पास ऐसे दो पोत बने रहेंगे।
चीन ने नवंबर में अपना तीसरा विमान वाहक पोत फुजियान को अपने बेड़े में शामिल किया था। ऐसी खबरें हैं कि भारत में एक विमान वाहक पोत का निर्माण किया जा रहा हो। पिछले नौसेना दिवस (पाकिस्तान के खिलाफ 1971 के युद्ध में भारतीय नौसेना की जीत की याद में मनाया जाता है) के बाद से भारत ने 1 पनडुब्बी और 12 युद्धपोतों को अपने बेड़े में शामिल किया है। इनमें एक आईएनएस उदयगिरी है जो 100 वां स्वदेशी रूप से डिजाइन किया गया युद्धपोत है और एक आईएनएस माहे जिसे हाल ही में सेवा में शामिल किया गया है। यह देश का पहला निजी स्तर पर पहला तैयार किया गया युद्धपोत है। भारत में 51 नए नौसैनिक प्लेटफॉर्म निर्माणाधीन हैं और नौसेना प्रमुख के अनुसार भारतीय नौसेना को 2029 तक अपने पहले चार राफेल मरीन लड़ाकू विमान मिलने की उम्मीद है।
त्रिपाठी ने कहा कि वह सैन्य विवरणों में फिलहाल बहुत कुछ साझा नहीं कर सकते क्योंकि ‘ऑपरेशन सिंदूर अभी भी जारी है’ लेकिन उन्होंने कहा कि अरब सागर में भारतीय नौसेना की अग्रिम तैनाती ने पाकिस्तान की नौसेना पर दबाव डाला और संघर्ष के चार दिनों में उस देश के बंदरगाहों में प्रमुख वाणिज्यिक गतिविधियों को प्रभावित कर दिया।