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शोध और नवाचार के लिए सरकार ने खोला अपना खजाना, 1 लाख करोड़ रुपये की योजना को मंजूरी

सरकार ने आरएंडडी और डीप टेक में निजी निवेश को बढ़ावा देने के लिए 1 लाख करोड़ रुपये की नवोन्मेष योजना को मंजूरी दी, जिससे उभरती तकनीकों को मिलेगा प्रोत्साहन।

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रुचिका चित्रवंशी   
Last Updated- July 01, 2025 | 10:32 PM IST

शोध एवं  विकास और डीप टेक में निवेश को बढ़ावा देने के लिए मंगलवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक लाख करोड़ रुपये की शोध, विकास और नवोन्मेष (आरडीआई) योजना को मंजूरी दे दी है। सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि इससे इससे रणनीतिक और उभरते क्षेत्रों को आवश्यक जोखिम पूंजी उपलब्ध हो सकेगी।

सरकार ने कहा है कि इस योजना का दायरा ऊर्जा सुरक्षा से लेकर क्वांटम कंप्यूटिंग, रोबोटिक्स, जैव प्रौद्योगिकी और आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) तक होगा। 

पिछले साल जुलाई के बजट में इस योजना की घोषणा की गई थी। उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि अब घोषणा के मुताबिक कुछ संरचना बनाई जा रही है। इस योजना का मकसद दो स्तरीय ढांचे के माध्यम से आरडीआई में निजी क्षेत्र के निवेश को बढ़ावा देने के लिए कम या शून्य ब्याज दर पर लंबी अवधि के लिए लंबे समय तक के लिए धन या रीफाइनैंसिंग की सुविधा मुहैया कराना है। इस घोषणा का स्वागत करते हुए अवाना कैपिटल की संस्थापक साझेदार अंजलि बंसल ने कहा कि यह बहुप्रतीक्षित कदम है। 

उन्होंने कहा, ‘पिछले 40 साल से देश में आरऐंडडी पर खर्च जीडीपी के 0.7 प्रतिशत के नीचे बना हुआ है। यह विश्व में सबसे कम है। इसमें कंपनियों का अंशदान महज 36 प्रतिशत है, जबकि अमेरिका में कंपनियों का योगदान 70 प्रतिशत, चीन में 79 प्रतिशत और ईयू में 57 प्रतिशत होता है। न केवल शोध बल्कि विकास और इंजीनियरिंग (डीऐंडई) चरणों को भी आगे बढ़ाने की तत्काल आवश्यकता है, जो वैज्ञानिक संभावनाओं को बाजार के लिए तैयार समाधानों में बदल दें।’

प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाले अनुसंधान नैशनल रिसर्च फाउंडेशन (एएनआरएफ) को 50 साल के ब्याज मुक्त ऋण के अनुदान के माध्यम से धन दिया जाएगा। इसके बाद एएनआरएफ वैकल्पिक निवेश कोष, विकास वित्त संस्थानों और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों जैसे दूसरे स्तर के फंड प्रबंधकों को दीर्घकालिक रियायती ऋण देगा।

द्वितीय स्तर के फंड प्रबंधक व्यक्तिगत परियोजनाओं के लिए धन मुहैया कराएंगे। इस योजना के तहत डीप-टेक फंड ऑफ फंड्स स्थापित करने, तकनीक के उच्च स्त पर परिवर्तन  लाने वाली परियोजनाओं के लिए धन मुहैया कराने और उच्च रणनीतिक महत्त्व की महत्त्वपूर्ण तकनीकों के अधिग्रहण में मदद की भी सुविधा मिलेगी। अर्थशास्त्री एनआर भानुमूर्ति ने कहा, ‘नवोन्मेष के लिए धन मुहैया कराने की तत्काल जरूरत है। निश्चित रूप से इसकी जरूरत है। वैश्विक स्तर पर देखें तो अमेरिका जैसे देश नैशनल साइंस फंड के लिए धन देते हैं।’

3वन4 कैपिटल के संस्थापक पार्टनर सिद्धार्थ पई ने इस घोषणा का स्वागत करते हुए कहा कि विशेष उद्देश्य निधि बनाने का मकसद निजी क्षेत्र के सहयोग से एसपीवी, एआईएफ और अन्य माध्यमों से पूंजी लगाने में सक्षम बनाना है। 

उन्होंने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘यह रणनीतिक बदलाव है, जिसमें यह स्वीकार किया गया है कि उद्योग जगत उभरती तकनीक की जरूरतों को बेहतर तरीके से स्वीकार कर रहा है। 

मंत्रिमंडल के ब्योरे में यह भी कहा गया है कि विज्ञान और तकनीक विभाग (डीएसटी) इस योजना को लागू करने में नोडल एजेंसी के रूप में काम करेगा। 

एएनआरएफ का संचालन मंडल आरडीआई योजना को व्यापक रणनीतिक दिशा प्रदान करेगा और इसकी कार्यकारी परिषद योजना और द्वितीय स्तर के फंड प्रबंधकों के लिए दिशा निर्देशों के साथ-साथ उभरते क्षेत्रों में परियोजनाओं के प्रकार और दायरे की सिफारिश करेगी। बयान में कहा गया है कि योजना, क्षेत्र या परियोजनाओं के प्रकार तथा दूसरे स्तर के फंड प्रबंधकों में बदलाव के बारे में कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में सचिवों के एक अधिकार प्राप्त समूह फैसला करेगा। 

इंडियन वेंचर ऐंड अल्टरनेटिव कैपिटल एसोसिएशन (आईवीसीए) के अध्यक्ष रजत टंडन ने कहा कि संगठन लंबे समय से हाईटेक आरऐंडडी में समर्पित जोखिम पूंजी की सिफारिश करता रहा है और आज का कदम नीति के दृष्टिकोण व उसे लागू करने के बीच की खाईं के बीच पुल का काम करेगा। 

First Published : July 1, 2025 | 10:13 PM IST