सरकार करीब 200 विदेशी ऑनलाइन गेमिंग साइटों पर प्रतिबंध लगाने की राजस्व विभाग की सिफारिश को स्वीकार करने के पक्ष में नहीं है। सरकार का मानना है कि ये प्लेटफॉर्म देश की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा नहीं हैं। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय तथा अन्य संबंधित मंत्रालयों को करीब एक महीने पहले पत्र लिखकर विदेशी गेमिंग फर्मों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी क्योंकि इनसे राजस्व का काफी नुकसान हो रहा है।
मामले के जानकार एक वरिष्ठ अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘हमने इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय तथा अन्य संबंधित मंत्रालयों को इस संबंध में आगाह किया है और इन वेबसाइटों पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की थी। मंत्रालयों में विचार-विमर्श के बाद, सूचित किया गया कि इन पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता क्योंकि ऐसे उपाय उस समय किए जाते हैं जब देश की सुरक्षा को गंभीर खतरा हो। राजस्व नुकसान जैसे आर्थिक मसलों की वजह से प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता है।’
मंत्रालय ने शुरुआत में इन वेबसाइटों को ब्लॉक किया था लेकिन विदेशी इकाई होने की वजह से वे डोमेन नाम बदलकर बिना कर चुकाए देश में उपयोगकर्ताओं को अपनी सेवाओं की पेशकश करने लगे। सूत्रों ने कहा कि ये प्लेटफॉर्म आम तौर पर गेमिंग साइट, ऐप की तरह दिखते हैं लेकिन सही मायने में ये बेटिंग तथा जुए की गतिविधियों में संलिप्त हैं और कुछ इकाइयों को धनशोधन में भी मदद करते हैं।
विदेश में स्थित होने का हवाला देते हुए अधिकांश फर्मों द्वारा कर चुकाने से इनकार करने के बाद सीबीआईसी ने संबंधित मंत्रालयों से इन पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। उक्त अधिकारी ने कहा, ‘हमने ऐसी सभी फर्मों को पत्र लिखकर कर अनुपालन करने के लिए कहा लेकिन ज्यादातर ने बताया कि भारत में उन पर कर देनदारी नहीं बनती है।’
उन्होंने कहा कि ये विदेशी गेमिंग प्लेटफॉर्म मुख्य रूप से कर के लिए मुफीद माने जाने वाले देशों से संचालित होते हैं और सेवाएं प्रदान करने के बावजूद वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) कानून के अनुकूल नहीं हैं। देश में सेवाएं मुहैया कराने वाली विदेशी इकाइयों को जीएसटी नियमों के मुताबिक आपूर्तिकर्ता के तौर पर ओआईडीएआर में पंजीकरण कराना होता है।
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लेकिन कई विदेशी गेमिंग प्लेटफॉर्म ऑनलाइन सूचना डेटाबेस एक्सेस ऐंड रीट्राइवल (ओआईडीएआर) प्लेटाफॉर्म पर पंजीकृत नहीं हैं, जिससे वे कर देनदारी से बच जाते हैं। उक्त अधिकारी ने कहा कि पहले भी हमें देश के बाहर से संचालित होने वाले शैक्षणिक और कोचिंग ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के साथ इस तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ा था।
लेकिन जब हमने इस मुद्दे को उठाया जो ज्यादातर ने पंजीकरण करा लिया और कर अदा करने लगे। इन कंपनियों से सैकड़ों करोड़ रुपये की वसूली की गई। हालांकि उन्होंने इन प्लेटफॉर्मों के नाम का उल्लेख नहीं किया।
इस बीच सीबीआईसी पेमेंट गेटवे के जरिये देश से बाहर धन भेजे जाने की जांच सख्ती से करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक से भी बात कर रहा है। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि विदेश पैसे भेजने के लिए क्रिप्टो प्लेटफॉर्म का भी उपयोग किया जाता है जिसका इस्तेमाल बाद में इन प्लेटफॉर्म में सट्टा लगाने में किया जाता है। उन्होंने कहा कि कितनी कर चोरी हुई है इसका सही अंदाजा लगाना कठिन है लेकिन यह हजारों करोड़ रुपये हो सकता है।
जीएसटी इंटेलिजेंस के महानिदेशालय ने अप्रैल में साइप्रस की ऑनलाइन गेमिंग वेबसाइट ‘परीमैच’ के खिलाफ कार्रवाई की थी जो भारत में ऑनलाइन सट्टा और जुआ जैसी गतिविधियों में लिप्त थी। इस मामले में कंपनी के निदेशक को भी गिरफ्तार किया गया था। इन पर 20 करोड़ रुपये जीएसटी देनदारी का अनुमान है। उक्त अधिकारी ने कहा कि देश में जुआ और सट्टा अवैध होने के बावजूद बीते दो साल में देश में ऐसी कई वेबसाइटें उभरी हैं।