Electoral Bonds data 2nd list: चुनाव आयोग ने रविवार को इलेक्टोरल बॉन्ड के डेटा की दूसरी लिस्ट जारी कर दी है। नए डेटा से कई चौंकाने वाले तथ्य सामने निकल कर सामने आ रहे हैं। सबका ध्यान इस डेटा पर टिका है कि किस कंपनी ने किस पार्टी को कितना चंदा दिया है। मगर इस बीच, कुछ ऐसे राजनीतिक दल भी हैं जिन्हें इलेक्टोरल बॉन्ड से एक रुपये का भी चंदा नहीं मिला है।
मायावती को भी डोनर नहीं मिला। 426 पन्नों की रिपोर्ट में चुनाव आयोग ने बताया कि किस पार्टी को कितना चंदा मिला है। मगर इसमें बहुजन समाज पार्टी (BSP) का कहीं नाम नहीं है। अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी को 14 करोड़ रुपये का चंदा मिला है। भारतीय जनता पार्टी को सबसे ज्यादा 60.60 अरब रुपये का चंदा मिला है।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) ने इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से एक भी रुपये का चंदा स्वीकार नहीं किया है। पार्टी द्वारा फाइल किए गए हलफनामे में बताया गया है कि पार्टी ने चुनावी बॉन्ड योजना की शुरुआत से ही इसका विरोध किया था। पार्टी ने चुनावी बॉन्ड के माध्यम से कोई भी दान स्वीकार नहीं करने का फैसला किया था।
इस सैद्धांतिक रुख के अनुरूप, पार्टी को चुनावी बॉन्ड के माध्यम से कोई दान नहीं मिला है। इसके अलावा, CPI (M) ने उक्त उद्देश्य के लिए कोई बैंक खाता भी निर्दिष्ट नहीं किया है।पार्टी ने कहा कि आप यह भी जानते होंगे कि चुनावी बॉन्ड योजना को चुनौती देने वाले जो तीन मामले सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं, उनमें से एक मामला CPI (M) का है।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) ने हलफनामे में बताया कि पार्टी ने किसी भी निकाय से कोई चुनावी बॉन्ड नहीं खरीदा या प्राप्त किया है।
यह डेटा चुनाव आयोग ने सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को सौंपा था। शीर्ष न्यायालय ने बाद में चुनाव आयोग से यह डेटा पब्लिक करने के लिए कहा था। चुनाव आयोग ने एक बयान ने कहा, “राजनीतिक दलों से प्राप्त डेटा सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट में जमा किया गया था। 15 मार्च, 2024 के शीर्ष अदालत के आदेश पर अमल करते हुए न्यायालय की रजिस्ट्री ने सीलबंद लिफाफे में एक पेन ड्राइव में डिजिटल रिकॉर्ड के साथ भौतिक प्रतियां वापस कर दीं। आयोग ने आज चुनावी बॉन्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री से डिजिटल रूप में प्राप्त डेटा को अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दिया है।”