भारत

Dollar vs Rupee: डॉलर के मुकाबले 85.50 तक फिसल सकता है रुपया

डॉलर के मजबूत होने और चीन की मुद्रा युआन में नरमी से स्थानीय मुद्रा पर दबाव बना रह सकता है।

Published by
अंजलि कुमारी   
Last Updated- November 17, 2024 | 10:21 PM IST

Dollar vs Rupee: साल के अंत तक डॉलर के मुकाबले रुपये में और नरमी आ सकती है। डॉलर के मजबूत होने और चीन की मुद्रा युआन में नरमी से स्थानीय मुद्रा पर दबाव बना रह सकता है। रुपये को सहारा देने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के मुद्रा बाजार में सक्रिय रहने की उम्मीद है। बिज़नेस स्टैंडर्ड के सर्वेक्षण के अनुसार दिसंबर अंत तक डॉलर के मुकाबले रुपया 84.50 के स्तर पर कारोबार कर सकता है।

आईडीएफसी फर्स्ट बैंक के मुताबिक साल के अंत तक रुपया प्रति डॉलर 85 के स्तर को छू सकता है। गुरुवार को रुपया 84.41 पर बंद हुआ था। शुक्रवार को मुद्रा बाजार बंद था।

नवंबर में डॉलर की तुलना में रुपये में पहले से 0.33 फीसदी की नरमी आ चुकी है। सितंबर तक काफी हद तक ​स्थिर रहने वाली स्थानीय मुद्रा पर अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा दर में कटौती किए जाने और अमेरिका में डॉनल्ड ट्रंप की जीत के बाद दबाव देखा जा रहा है।

आईडीएफसी फर्स्ट बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री गौरा सेन गुप्ता ने कहा, ‘वित्त वर्ष 2025 में भुगतान संतुलन अ​धिशेष कम रहने, डॉलर के मजबूत होने और युआन में नरमी से रुपये पर दबाव बना रहेगा। व्यापार घाटा बढ़ने और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक की निकासी में तेजी से चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में भुगतान संतुलन अ​धिशेष ऋणात्मक हो गया है।’

सेन गुप्ता ने कहा, ‘आरबीआई ने एक स्तर का बचाव करने के बजाय डॉलर-रुपया में दोतरफा अस्थिरता को सीमित करने पर ध्यान केंद्रित किया है। अक्टूबर से 8 नवंबर तक आरबीआई ने रुपये में गिरावट की गति को सीमित करने के लिए 15.5 अरब डॉलर की शुद्ध बिक्री की है।’

8 नवंबर को समाप्त सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार घटकर 675.7 अरब डॉलर रह गया। रुपये की गिरावट को थामने के लिए आरबीआई ने मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप किया और छह हफ्ते में विदेशी मुद्रा भंडार में 29 अरब डॉलर की कमी आई है।

बाजार के भागीदारों का कहना है कि विदेशी मुद्रा बाजार में आरबीआई का हस्तक्षेप सामान्य से अधिक रहा है और उम्मीद है कि केंद्रीय बैंक डॉलर बेचकर रुपये को सहारा देना जारी रखेगा।

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने हाल ही में कहा था कि विदेशी मुद्रा बाजार में केंद्रीय बैंक का हस्तक्षेप असामान्य अस्थिरता को रोकने के लिए था और यह किसी स्तर या सीमा को लक्षित नहीं है।

जेपी मॉर्गन इमर्जिंग मार्केट बॉन्ड इंडेक्स में और भारतीय बॉन्ड के शामिल होने से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की ओर से ऋण बाजार में बिकवाली को थामने में भी मदद मिलने की उम्मीद है।

बैंक ऑफ बड़ौदा में मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, ‘डॉलर के मुकाबले 84.50 के स्तर पर रुपये की परख होगी। ट्रंप के अमेरिका में राष्ट्रपति बनने के बाद डॉलर में मजबूती और विदेशी निवेशकों की निकासी सामान्य है। आरबीआई की कार्रवाई भी महत्त्वपूर्ण है क्योंकि हमने रुपया के 84 के स्तर को पार करने के बाद सीमित हस्तक्षेप देखा है।’

बीते गुरुवार को डॉलर सूचकांक बढ़कर 106.66 पर पहुंच गया। डॉलर इंडेक्स को 6 प्रमुख मुद्राओं की तुलना में डॉलर की मजबूती का पैमाना माना जाता है। नवंबर में अभी तक 10 वर्षीय अमेरिकी बॉन्ड का यील्ड 20 आधार अंक बढ़ चुका है।

इस बीच नवंबर में अभी तक रुपये का प्रदर्शन एशियाई मुद्राओं से बेहतर रहा है और इसके सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाली एशियाई मुद्राओं में से एक बने रहने की उम्मीद है।

आईएफए ग्लोबल के मुख्य कार्याधिकारी अभिषेक गोयनका ने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि डॉलर की व्यापक मजबूती के बीच रुपया बेहतर प्रदर्शन करेगा। ट्रंप की जीत के बाद डॉलर के मुकाबले अन्य एशियाई मुद्राएं 1 से 5 फीसदी कमजोर हुई हैं जबकि रुपये में केवल 0.4 फीसदी की नरमी आई है।’

चालू वित्त वर्ष में अभी तक डॉलर के मुकाबले रुपये में 1.2 फीसदी की नरमी आई है जबकि इस साल रुपया 1.5 फीसदी कमजोर हुआ है।

First Published : November 17, 2024 | 10:21 PM IST