ऐसे दौर में जब दुनिया डिजिटल हो गई है और इंटरनेट के बिना जीवन लगभग अधूरा समझा जाने लगा है, यदि आभासी दुनिया से संपर्क कट जाए तो क्या हो, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है। पिछले कुछ वर्षों में ऐसे अनेक मामले सामने आ चुके हैं जब विभिन्न कारणों से इंटरनेट ठप होने या बंद कर दिए जाने से दुनियाभर में हलचल मच गई।
ग्लोबल टेक पॉलिसी एवं इंटरनेट राइट्स एडवोकेसी ग्रुप एक्सेस नाउ तथा कीप इट ऑन अभियान के अनुसार पिछले वर्ष दुनिया के 54 देशों में इंटरनेट बंदी की 296 घटनाएं हुईं, जिनमें डिजिटल बंदी की 84 घटनाओं के साथ भारत दूसरे नंबर पर रहा जबकि 85 बार डिजिटल ब्लैकआउट के साथ म्यांमार पहला देश रहा। पाकिस्तान में 21 बार इंटरनेट बंदी का सामना करना पड़ा।
साल 2024 में विभिन्न प्रकार के संघर्ष के कारण 103 बार इंटरनेट ब्लैकआउट हुआ जबकि 24 देशों को स्थानीय स्तर पर विरोध प्रदर्शनों के कारण 74 बार इस स्थिति का सामना करना पड़ा। भारत, अल्जीरिया, जॉर्डन, केन्या, इराक, मॉरिटेनिया और सीरिया में परीक्षाओं में नकल रोकने के लिए 16 बार इंटरनेट संपर्क काटा गया जबकि अजरबैजान, कोमोरोस, भारत, मॉरिटेनिया, मोजाम्बिक, पाकिस्तान, युगांडा और वेनेजुएला आदि में चुनावों में गड़बड़ी से बचने के लिए 12 बार इंटरनेट बंद किया गया।
भारत की स्थिति
वर्ष 2023 के मुकाबले में इंटरनेट शटडाउन में भारी कमी आने के बावजूद वर्ष 2024 में देश को विभिन्न कारणों से 84 बार इंटरनेट बंदी का संकट देखना पड़ा। पिछले साल देश भर के 16 राज्यों में लोगों को इंटरनेट बंद होने की स्थिति का सामना करना पड़ा। इस मामले में हरियाणा में मणिपुर, हरियाणा और जम्मू-कश्मीर शीर्ष पर रहे। देश में कुल इंटरनेट शटडाउन की 84 में से 41 घटनाएं विरोध प्रदर्शनों तथा 23 घटनाएं सांप्रदायिक हिंसा के कारण हुईं।