30 नवंबर से शुरू होने वाले एक प्रमुख जलवायु शिखर सम्मेलन COP28 के लिए दुनिया भर के देशों के प्रतिनिधि दुबई में मिल रहे हैं। इसका लक्ष्य जलवायु परिवर्तन चुनौतियों से निपटने में अब तक हुई प्रगति का आकलन करना है।
2022 में, भारत, चीन और संयुक्त राज्य अमेरिका ने दुनिया के आधे उत्सर्जन में योगदान दिया। भारत में 2010 से 2022 तक जीवाश्म कार्बन उत्सर्जन (Fossil carbon emissions) में 54.4% की वृद्धि देखी गई, जो अन्य देशों की तुलना में बहुत ज्यादा है। इस दौरान दुनिया भर में, ये उत्सर्जन 14% बढ़ गया। (चार्ट 1)
भारत में, पावर इंडस्ट्री से उत्सर्जन सबसे ज्यादा (46.6 प्रतिशत) था, इसके बाद इंडस्ट्रियल कंबसन (21.7 प्रतिशत), ट्रांसपोर्ट (11.1 प्रतिशत) और बिल्डिंग (7.9 प्रतिशत) से था। (चार्ट 2)
कोयले पर निर्भरता अधिक बनी हुई है। हालांकि इन्सटॉल्ड कैपेसिटी में रिन्यूबल एनर्जी (RE) की हिस्सेदारी बढ़ी है। RE हिस्सेदारी 2018 में 9.2% से बढ़कर 2021 में 11.5% हो गई है। हालांकि, विकास धीमा रहा है, और थर्मल पावर हिस्सेदारी अभी भी बहुत अधिक है। 2021 में, कुल उत्पादित बिजली में थर्मल पावर की हिस्सेदारी 75.1% थी। (चार्ट 3)
बढ़ते उत्सर्जन का सीधा असर स्वास्थ्य पर पड़ता है। वायु प्रदूषण के कारण होने वाली बीमारियों से बचने के लिए लोगों को अब पहले के मुकाबले ज्यादा पैसा खर्च करना पड़ रहा है। आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) के अनुसार, वायु प्रदूषण के कारण होने वाली असामयिक मौतों से बचने की लागत 2010 में 6% से बढ़कर 2019 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद का 8.4% हो गई। चीन में 9.9% से 10.7% की वृद्धि देखी गई, जबकि अमेरिका में 1.8% से 1.3% की गिरावट देखी गई। (चार्ट 4)
द लैंसेट के 'भारत के राज्यों में वायु प्रदूषण का स्वास्थ्य और आर्थिक प्रभाव: ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज स्टडी 2019' टाइटल वाली एक स्टडी के अनुसार, वायु प्रदूषण के कारण भारतीयों को प्रति व्यक्ति 26.5 डॉलर (करीब 2200 रुपये) का नुकसान हुआ। 15 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में नुकसान भारत के औसत से ज्यादा था। दिल्ली में प्रति व्यक्ति हानि सबसे ज्यादा $62 (करीब 5000 रुपये) थी। (चार्ट 5)
यूनाइटेड नेशन एमिशन गैप रिपोर्ट 2023 के अनुसार, हालांकि भारत ने कुछ पॉजिटिव स्टेप्स उठाए हैं, लेकिन देश 2030 के अपने उत्सर्जन लक्ष्य से 8 प्रतिशत से चूक सकता है।
मौजूदा नीतियों के तहत 2030 में भारत का प्रति व्यक्ति कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन 3.1 टन प्रति व्यक्ति तक पहुंचने का अनुमान है, जो राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) लक्ष्य 2.8 टन प्रति व्यक्ति से ज्यादा है। फिर भी, देश के अपने समकक्षों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है। (चार्ट 6)
COP28 के पास अब एक बड़ा काम है क्योंकि दुनिया जलवायु संबंधी मुद्दों से निपट रही है।