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प्रतिस्पर्धा विधेयक लोकसभा में हुआ पास, अगले सप्ताह विधेयक राज्यसभा में पेश किए जाने की संभावना

Published by   रुचिका चित्रवंशी
- 29/03/2023 11:01 PM IST

प्रतिस्पर्द्धा संशोधन विधेयक को हंगामे के बीच आज लोकसभा में पारित कर दिया गया। इसके जरिये मौजूदा कानून में कंपनियों के वैश्विक कारोबार पर जुर्माने की गणना, देनदारी और निपटान व्यवस्था में कई परिवर्तन करने का प्रस्ताव है।

विधेयक के तहत सौदों के मूल्य की सीमा भी तय की गई है। इससे भारतीय प्रतिस्पर्द्धा आयोग आयोग (सीसीआई) को खास कीमत वाले सौदों की समीक्षा करने का मौका मिल जाएगा।

जुर्माने के मामले में अभी तक किसी भी कंपनी के भारत में होने वाले कारोबार पर ही विचार किया जाता था। लेकि संशो​धन के साथ प्रतिस्पर्द्धा विधेयक में कहा गया है कि कंपनी को दुनिया भर में उत्पादों और सेवाओं से होने वाला कारोबार देखा जाएगा।

सिरिल अमरचंद मंगलदास की पार्टनर एवं प्रमुख (प्रतिस्पर्द्धा) अवंतिका कक्कड़ ने कहा, ‘व्यापारियों के नजरिये से बात करें तो कुल कारोबार पर विचार करने से अनुचित एवं दंडात्मक नतीजे सामने आ सकते हैं। साथ ही इससे उद्यमों के बीच भेदभाव भी हो सकता है क्योंकि सभी उद्यम एक जैसा उल्लंघन करते हैं मगर कारोबार के आकार और विस्तार के हिसाब से उन पर जुर्माना अलग-अलग हो सकता है।’

प्रतिस्पर्द्धा विधेयक पिछले साल अगस्त में ही लोकसभा में पेश किया गया था। उसके बाद इस विधेयक को वित्त पर संसदीय समिति के पास भेज दिया गया था, जिसके अध्यक्ष जयंत सिन्हा हैं। सरकार ने समिति के ज्यादातर सुझाव नहीं माने।

इस विधेयक के तहत विलय एवं अधिग्रहण की मंजूरी के लिए समयसीमा मौजूदा 210 दिनों से घटाकर 150 दिन कर दी गई है। विलय एवं अ​धिग्रहण की अधिसूचना के लिए सौदे की मूल्य सीमा को भी पैमाना बना दिया गया है। ऐसा मुख्य तौर पर डिजिटल बाजारों में घातक अधिग्रहणों पर रोक लगाने के लिए किया गया है, जो अभी तक कम संपत्तियों और कम राजस्व के कारण आयोग की जांच के दायरे में आने से बच जाते थे।

शार्दूल अमरचंद मंगलदास ऐंड कंपनी की मैनेजिंग पार्टनर पल्लवी श्रॉफ ने कहा, ‘कुछ संशोधन कारोबार के अनुकूल और सरकार के कारोबारी सुगमता मिशन के अनुरूप हैं। मगर कुछ अन्य के कार्यान्वयन में अनिश्चितता पैदा हो सकती है। इनमें से कई व्यापक प्रस्तावों का लागू होना काफी हद तक सीसीआई द्वारा जारी किए जाने वाले नियमों पर भी निर्भर करेगा।’

अन्य संशोधनों में लीनिएंसी प्लस मॉडल की औपचारिक शुरुआत शामिल है। सीसीआई जांच के दायरे में आए कार्टेल पर कम जुर्माना लगाएगा ताकि वे अन्य कार्टेलों के बारे में जानकारी देने को आगे आएं।

इस विधेयक में ‘नियंत्रण’ की परिभाषा को भी स्पष्ट किया गया है। इससे सीसीआई के निपटान आदेश के तहत मुआवजे के प्रावधानों की उपयोगिता सुनि​श्चित होगी। सीसीआई की मंजूरी के दौरान लक्षित कंपनी में ‘नियंत्रण’ के लिए व्य​क्तिगत प्रभाव को आधार बनाया जाएगा। स्थायी समिति ने भी यह सुझाव दिया था।

सरकारी सूत्रों के अनुसार विधेयक राज्यसभा में अगले सप्ताह पेश किया जा सकता है।