Chandrayaan-3: पृथ्वी से करीब 3,84,400 किलोमीटर दूर स्थित चंद्रयान-3 चांद की सतह के करीब पहुंच गया है। अब सबकी निगाहें बेंगलूरु में इस्ट्रैक (इसरो टेलीमेट्री, ट्रैकिंग ऐंड कमांड नेटवर्क) में मिशन ऑपरेशंस कॉम्प्लेक्स (मॉक्स) पर टिकी हैं जो बुधवार की शाम 6.04 बजे इसकी लैंडिंग के लिए पूरी तरह तैयार है। इसके बाद हमारा देश दुनिया के विशिष्ट देशों के समूह में शामिल हो जाएगा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने मंगलवार को घोषणा की कि 600 करोड़ रुपये का मिशन अपने तय कार्यक्रम के अनुसार ही आगे बढ़ रहा है और लैंडर मॉड्यूल की सुचारु यात्रा जारी है।
अगर मिशन सफल हो जाता है तो अमेरिका, चीन और पुराने सोवियत संघ के बाद भारत चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने वाला चौथा देश बन जाएगा। इसरो ने मंगलवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ‘मिशन तय समय पर है। सिस्टम की नियमित जांच जारी है। काम सुचारु रूप से हो रहे हैं। मिशन ऑपरेशंस कॉम्प्लेक्स (मॉक्स) ऊर्जा और उत्साह से लबरेज है।’
उम्मीद जताई जा रही है मॉक्स की गैलरी बुधवार को खचाखच भरी रहेंगी, हालांकि आमलोग चंद्रयान-3 की लैडिंग इसरो की आधिकारिक वेबसाइट, यूट्यूब चैनल और दूरदर्शन पर लाइव देख सकते हैं। लैंडर मॉड्यूल में लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) शामिल हैं। 20 अगस्त को अनियंत्रित कक्षा में चक्कर लगाने के बाद रूस के लूना-25 अंतरिक्ष यान के चंद्रमा से टकराने के बाद सभी की निगाहें इस बात पर हैं कि क्या भारत इस विशिष्ट समूह में शामिल हो पाएगा।
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भारतीय-अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स ने नैशनल ज्योग्राफिक इंडिया को बताया, ‘चंद्रमा पर उतरने से हमें कई अनूठी जानकारियां मिलेंगी। मैं सही मायने में काफी रोमांचित हूं कि भारत अंतरिक्ष अन्वेषण और चंद्रमा पर स्थायी जीवन की खोज में सबसे आगे है। यह वास्तव में रोमांचक समय है।’
मंगलवार को इसरो ने लैंडर पोजिशन डिटेक्शन कैमरा (एलपीडीसी) द्वारा लगभग 70 किमी की ऊंचाई से ली गई चंद्रमा की तस्वीरें भी जारी कीं। ये तस्वीरें चंद्रमा के मानचित्र के साथ मिलान करके लैंडर मॉड्यूल को उसकी स्थिति (अक्षांश और देशांतर) निर्धारित करने में सहायता करती हैं।
बुधवार को चंद्रयान -3 का लैंडर मॉड्यूल जिसमें विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर शामिल हैं 100 x 30 किलोमीटर की कक्षा से चंद्रमा की सतह की बारीकी से निगरानी करेगा। इस स्तर से लेजर डॉपलर वेलोसिटी (एलडीवी) मीटर, जो चंद्रयान -2 का हिस्सा नहीं था वह भी चंद्रमा की सतह की निगरानी करेगा। इस आकलन के बाद ही निर्धारित लैंडिंग से दो घंटे पहले इसरो इसकी लैंडिंग पर अंतिम फैसला लेगा। खबरों के मुताबिक यदि चंद्रमा की सतह पर स्थिति अनुकूल नहीं रहती है तो लैंडिंग को 27 अगस्त तक के लिए टाला भी जा सकता है।
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मिशन की शुरुआत के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक नया अध्याय बताया था, क्योंकि यह इस क्षेत्र में और निवेश को बढ़ावा दे सकता है। लैंडिंग के तुरंत बाद विक्रम लैंडर की एक साइड का पैनल खुल जाएगा, जिससे प्रज्ञान रोवर के लिए एक रैंप तैयार होगा। अगर सब कुछ योजना के अनुसार रहा तो राष्ट्रीय तिरंगे और इसरो के लोगो के साथ छह पहियों वाला प्रज्ञान करीब चार घंटे के बाद चंद्रमा की सतह को छूते हुए रैंप के सहारे लैंडर से बाहर आएगा।
लैंडर का जीवनकाल चंद्रमा के एक दिन यानी पृथ्वी के 14 दिन का होगा। वह चंद्रमा की सतह के भीतर प्लाज्मा के घनत्व को मापेगा। इसके अलावा ध्रुवीय क्षेत्र में चंद्रमा की सतह पर तापमान की माप करेगा और लैंडिंग स्थल पर भूकंप संबंधी स्थिति का आकलन करेगा।