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भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने विज्ञापन और मीडिया अधिकार खरीदने वाले उद्योग में सांठगांठ के मामलों की जांच में साक्ष्य जुटाने के लिए नरम रवैये का सहारा लिया है। सूत्रों ने यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि इसके तहत सांठगांठ करने वाले संगठनों की जानकारी देने के लिए व्हिसलब्लोअर को प्रोत्साहित किया जाता है और बदले में नियामक उन्हें जुर्माने में छूट देता है।
आम तौर पर ऐसी सांठगांठ काफी गोपनीय प्रकृति के होते हैं और उनके खिलाफ साक्ष्य जुटाना काफी कठिन होता है। इसलिए नियमक ने नरम रवैया अपनाया। सांठगांठ के लिए किए जाने वाले गठजोड़ को प्रतिस्पर्धा कानून का सबसे गंभीर उल्लंघन माना जाता है और इससे निपटने के लिए इस तरह की व्यवस्था को व्यावहारिक माना जाता है।
इस घटनाक्रम के जानकार एक सूत्र ने बताया कि बीते मंगलवार को सीसीआई ने विज्ञापन अधिकार खरीदने वाली एजेंसियों जैसे ग्रुप एम, देंत्सु, मैडिसन और आईबीडीएफ के दफ्तरों पर छापे मारे थे। उन पर शीर्ष प्रसारकों के साथ विज्ञापन दरों को तय करने के लिए कथित मिलीभगत का आरोप है। खबरों के अनुसार सीसीआई द्वारा भारत में पब्लिसिस ग्रुप और इंटरपब्लिक ग्रुप के कार्यालयों पर भी छापेमारी की गई। इस बारे में जानकारी के लिए मीडिया अधिकार खरीदने वाली एजेंसियों और सीसीआई को भेजे गए ईमेल का खबर लिखे जाने तक कोई जवाब नहीं आया।
सूत्र ने दावा किया कि मंगलवार को सीसीआई के अधिकारी उनकी कंपनी से पूछताछ के लिए आए थे। वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अगर सीसीआई का उद्देश्य विज्ञापन दरें तय करने में सांठगांठ का पता लगाना था, तो उनके द्वारा पूछे गए सवाल अधिक स्पष्ट और सटीक नहीं थे।
सीसीआई ने इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के आयोजन से कुछ दिन पहले यह छापेमारी की। आईपीएल को देश में विज्ञापनदाताओं के लिए एक प्रमुख आयोजन माना जाता है। उद्योग के एक विशेषज्ञ ने अपना नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया कि इन छापों से आगामी सौदों (टूर्नामेंट के समीप विज्ञापन स्पॉट की खरीद) पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। उन्होंने यह भी कहा कि अगर सांठगांठ के जरिये कोई सौदा किया गया होता तो वह सीसीआई के छापे से बहुत पहले ही पूरा हो गया होगा। मगर विज्ञापन स्लॉट की खरीदारी पहले ही हो चुकी है और उसे छापेमारी के बाद वापस नहीं लिया जा सकता। इसलिए आईपीएल के विज्ञापनों पर तत्काल कोई बड़ा असर नहीं पड़ेगा।
एक वकील ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया कि जब कोई सरकारी संस्था कंपनियों और उद्योग संघों को निशाना बनाती है तो उससे सांठगांठ वाले ऐसे कारोबारी मॉडल का संकेत मिलता है, जो संबंधित उद्योग की छोटी कंपनियों को नुकसान पहुंचा सकता है। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में गहन जांच-पड़ताल के लिए सीसीआई दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण जब्त कर सकता है।