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DRI को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत! कस्टम एक्ट के तहत नोटिस जारी कर सकते हैं अधिकारी

पीठ ने कहा कि डीआरआई अधिकारी ‘सक्षम’ हैं और वे सीमा शुल्क अधिनियम, 1962 की धारा 28 के तहत नोटिस जारी कर सकते हैं।

Last Updated- November 07, 2024 | 10:27 PM IST
supreme court

राजस्व खुफिया महानिदेशालय (DRI) को उसकी अहम शक्तियां लौटाते हुए उच्चतम न्यायालय ने आज कहा कि विभाग के अधिकारियों को सीमा शुल्क वसूली के नोटिस जारी करने का अधिकार है।

इसके बाद वेदांत, वोडाफोन आइडिया, अदाणी एंटरप्राइजेज, टीवीएस मोटर, सैमसंग इंडिया, गोदरेज ऐंड बॉयस मैन्युफैक्चरिंग, बीएसएनएल, डायकिन, सोनी इंडिया, कैनन, निकॉन इंडिया और याकुल्ट दानोन जैसी प्रमुख कंपनियों को भेजे गए 20,000 से 23,000 करोड़ रुपये के कर नोटिस दोबारा प्रभावी हो सकते हैं। यह फैसला उन कंपनियों पर तत्काल असर डाल सकता है, जिनका आयात और निर्यात कारोबार काफी अधिक है।

सर्वोच्च न्यायालय सीमा शुल्क विभाग की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई कर रहा था। विभाग ने 2021 में कैनन इंडिया बनाम सीमा शुल्क आयुक्त मामले में दिए गए उस फैसले के विरुद्ध याचिका दायर की थी, जिसमें कहा गया था कि डीआरआई अधिकारियों के पास सीमा शुल्क अधिनियम,1962 के तहत अधिकार नहीं हैं।

2021 का फैसला पलटते हुए मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी परदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा के पीठ ने कहा कि डीआरआई अधिकारी ‘सक्षम’ हैं और वे सीमा शुल्क अधिनियम, 1962 की धारा 28 के तहत नोटिस जारी कर सकते हैं।

न्यायालय ने अपने फैसले में कहा, ‘निर्णय में की गई टिप्पणियों की बात करें तो डीआरआई, सीमा शुल्क आयुक्तालय (निवारक), केंद्रीय सीमा शुल्क खुफिया महानिदेशालय और केंद्रीय उत्पाद शुल्क आयुक्तालय तथा ऐसे अन्य अधिकारी सीमा शुल्क अधिनियम की धारा 28 तथा ऐसी ही अन्य धाराओं के तहत नोटिस जारी करने के लिए ‘सक्षम’ अधिकारी हैं।’

शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालयों में लंबित ऐसे मामलों के बारे में कहा कि उन्हें इस निर्णय को नजीर मानकर फैसले देने चाहिए तथा जिन मामलों में अपील सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है, उनमें भी नए दिशानिर्देशों का पालन किया जाना चाहिए।

सरकार की ओर से पैरवी कर रहे अतिरिक्त सॉलीसिटर जनरल एन वेंकटरमणन ने कहा, ‘डीआरआई के सभी नोटिस अब वैध हैं और उन पर निर्णय लिया जाएगा। जो भी नोटिस जारी किए गए थे, अब उन पर वहीं से आगे कार्रवाई होगी।’ इससे पहले उन्होंने न्यायालय से कहा था कि उन्हें 18 वर्षों के दौरान जारी किए गए कारण बताओ नोटिस के बारे में फैसला करना है।

First Published - November 7, 2024 | 10:25 PM IST

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