अरावली पर्वत श्रृंखला | फाइल फोटो
कांग्रेस ने अरावली के मुद्दे पर मंगलवार को केंद्र सरकार से सवाल किया कि वह इस पर्वतमाला को पुनः परिभाषित करने के लिए इतनी आमादा क्यों है? पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि इस मामले पर पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव के स्पष्टीकरण ने और भी प्रश्न उभार दिए हैं।
यादव ने सोमवार को कांग्रेस पर अरावली की नई परिभाषा के मुद्दे पर गलत सूचना और झूठ फैलाने का आरोप लगाते हुए कहा था कि पर्वत श्रृंखला के केवल 0.19 प्रतिशत हिस्से में ही कानूनी रूप से खनन किया जा सकता है। यादव ने यहां प्रेसवार्ता में कहा था कि नरेंद्र मोदी सरकार अरावली की सुरक्षा और पुनर्स्थापन के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘अरावली के मुद्दे पर पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री द्वारा हाल में दिया गया स्पष्टीकरण और भी अधिक सवाल और शंकाएं खड़ी करता है। मंत्री का कहना है कि अरावली के कुल 1.44 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में से केवल 0.19 प्रतिशत क्षेत्र ही वर्तमान में खनन पट्टों के अंतर्गत है। लेकिन यह भी लगभग 68,000 एकड़ भूमि बनता है, जो अपने आप में बहुत बड़ा क्षेत्र है।’
उन्होंने दावा किया कि 1.44 लाख वर्ग किलोमीटर का यह आंकड़ा भी भ्रामक है। रमेश का कहना है, ‘इसमें चार राज्यों के 34 जिलों का पूरा भौगोलिक क्षेत्र शामिल कर लिया गया है, जिन्हें मंत्रालय ने अरावली जिला माना है। यह गलत आधार है।’