जब बाजार इस तरह के वित्तीय संकट से घिरा हो तो निवेश का निर्णय लेना कठिन हो जाता है।
लेकिन वे युवा व्यक्ति जो एक लंबी अवधि के लिए एक पोर्टफोलियो बनाना चाहते हैं, उनके लिए इससे बेहतर कोई दूसरा समय हो ही नहीं सकता।
भारतीय शेयर बाजार पहले ही 50 फीसदी गिर चुका है और शेयरों के भाव अब काफी आकर्षक हो चुके हैं। लेकिन आपको निवेश करने से पहले इस दृढ़ता के साथ स्थायी निवेश के मूलमंत्र पर ध्यान देना चाहिए।
वह बात जो नौजवानों के हक में जाती है वह एक निवेश विशेषज्ञ के अनुसार निवेशक के लिए लंबी समयावधि में बेहतर परिणाम देने वाली है। आपके लिए इस अवस्था में सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि आप पर कम या फिर बिलकुल जिम्मेदारी नहीं होती।
साथ ही जब निवेश लंबी समयावधि को ध्यान में रखकर किया जाता है तो जरूरत के अनुसार निवेश रणनीति में बदलाव किया जा सकता है। किसी नौजवान के लिए उपयुक्त निवेश रणनीति यह हो सकती है:
तत्काल नकदी की जरूरत
व्यय के लिए मध्यावधि योजना
लंबी अवधि के लिए संपत्ति सृजन
यहां सबसे अधिक ध्यान देने योग्य बात यह है कि लंबी अवधि और मध्यम अवधि की जरूरतें अलग-अलग होती हैं। उदाहरण के लिए एक मध्यम अवधि की जरूरत यह हो सकती है कि आपको अगले तीन सालों में कार खरीदनी है।
इस जरूरत को पूरा करने के लिए आपको उस राशि में से कटौती करनी होती है जो आप बुढ़ापे के लिए एकत्र कर रहे हैं। यह पूरी तरह से इस बात पर निर्भर है कि आप अपनी प्राथमिकता कैसे तय करते हैं।
मोटा नियम यह है कि शेयरों में निवेश डेट से अधिक होना चाहिए। सामान्यतौर पर इसके लिए सलाह दी जाती है कि किसी व्यक्ति का पोर्टफोलियो हो तो वह 100 में से उसकी उम्र घटाकर होना चाहिए। इसलिए अगर आपकी उम्र तीस साल है तो आपको अपने पास रखी जाने वाली कुल राशि का 70 फीसदी इक्विटी में लगाना चाहिए।
इसके साथ सुरक्षित डेट और इंश्योरेंस लेने में पूरा संतुलन स्थापित किया जाए। इसकी शुरुआत आप अपनी बीमा जरूरतों से कर सकते हैं। इसमें मेडिकल इंश्योरेंस पॉलिसी को शामिल किया जा सकता है। इसमें टेरर रिस्क प्रीमियम और दुर्घटना प्रीमियम होना चाहिए।
इसलिए जीवन बीमा के लिए कभी भी उस प्रॉडक्ट की ओर नहीं जाएं जो निवेश और बीमा का मिश्रण हो। जीवन बीमा को लाइफ कवर ही मानें। इसे मुनाफा कमाने का जरिया न बनाएं।
यह ध्यान में रखते हुए सस्ते बीमा की ओर जाना अच्छा है। आदर्श स्थिति यह है कि अगर आप 30 साल के हों तो सम एश्योर्ड आपकी शुरुआती आय की तुलना में 7 से 10 गुना तक होना चाहिए। इसे इस तरह समझा जा सकता है।
अगर आपकी सालाना आय 5 लाख रुपए हो तो आपको ऐसी पॉलिसी चुनना चाहिए जो आपको 35 से 40 लाख रुपये का कवर दे सके। इस सम एश्योर्ड के लिए सालाना प्रीमियम 7,000 से 15,000 के बीच में होना चाहिए। यह पॉलिसी दो कारणों से सस्ती ही है।
पहला तो यह कि अगर आप पॉलिसी एक्सपायर होने के बाद जीवित रहते हैं तो इसमें कोई सरवाइवल बेनिफिट नहीं मिलेगा। इसके साथ ही यह पॉलिसी कम आयु में खरीदी गई थी। इसलिए इसका प्रीमियम भी कम होगा। इसके साथ ही किसी इमरजेंसी के लिए राशि संग्रह करना भी अच्छा विकल्प है।
यह संग्रह उस अवस्था के लिए है जब आपकी नौकरी चली जाए या फिर एक नौकरी से दूसरी नौकरी में जाने के बीच समयांतराल में आपको पैसे की जरूरत हो। इस समय के लिए आपके पास तीन से छह माह का वेतन होना चाहिए।
अपनी तनखा में से कुछ राशि निकालकर उसे इमरजेंसी मद में जमा कराएं। यहां बैंक के फिक्स डिपाजिट और कैश फंड अच्छे विकल्प हो सकते हैं।
याद रखें कि यह राशि जब भी आपको जरूरत हो आपको आसानी से मिलनी चाहिए। इमरजेंसी की जरूरतों के पूरा होने के बाद आप किसी डेट योजना की ओर जाएं जो सुरक्षित हैं भले ही यहां रिटर्न कम है।
अगर आप एक कर्मचारी हैं तो आपकी सेलेरी का कुछ हिस्सा पहले ही कर्मचारी प्रोविडेंट फंड (ईपीएफ) में जा रहा होता है। यह जबरिया बचत आपके लिए एक वरदान ही है क्योंकि यह आपको दूसरी जगह निवेश करने में मददगार होती है।
कुछ निवेश बैंकों के फिक्स्ड डिपाजिट (एफडी) और डाकघरों की बचत योजनाओं और राज्य सरकार के प्रोजेक्ट विशेष के बांडों, डेट म्युचुअल फंड और पीपीएफ में भी किया जा सकता है।
इन योजनाओं में रिटर्न 8 से 13 साल में मिलता है। साथ ही इनमें से कुछ में निवेश के प्रारंभिक सालों में आयकर अधिनियम की धारा 80 सी के तहत छूट भी मिलती है। 5 से 8 साल की लंबी समयावधि को ध्यान में रखकर किया जाने वाला इक्विटी निवेश एक बेहतर विकल्प है।
हालांकि एक व्यक्ति सीधे ही इक्विटी में निवेश कर सकता है लेकिन उसे इसके लिए बाजार का ठीक ठीक ज्ञान होना जरूरी है। बेहतर विकल्प है कि आप म्युचुअल फंड के जरिए यह निवेश करें।
इस समय कई म्युचुअल फंड योजनाएं हैं जिनका एक लंबी मियाद के लिए सीधे इक्विटी में निवेश है। इस समय आपके लिए यह बेहद जरूरी है कि आप अच्छे ट्रेक रिकार्ड वाले फंड का चुनाव करें।
यह चुनाव फंड के पांच साल के प्रदर्शन के आधार पर करें साथ ही उस फंड की पूंजी 1,000 करोड़ रुपये से अधिक होनी चाहिए। यहां आप ऐसी योजना का चुनाव करें जो मुख्य रूप से ब्लू चिप कंपनियों में निवेश करती हो।
आपको जोखिम उठाने की अपनी क्षमता के आधार पर रिसर्च करने के बाद सबसे अच्छा फंड चुनना पड़ेगा। अच्छी खबर यह है कि इस समय कई साइट हैं जो ये आंकड़े उपलब्ध कराती हैं। अंत में मोटे निवेश के साथ आप लंबे समय का पोर्टफोलियो बनाने के लिए एसआईपी का मार्ग अपनाएं।
जीवन और दुर्घटना बीमा खरीदें
इमरजेंसी के लिए पैसा जमा करें।
ईपीएफ और अन्य बचत को अपने डेट पोर्टफोलियो का हिस्सा बनाएं।
इक्विटी में लंबी अवधि को ध्यान में रखते हुए निवेश करें, लगभग तीन से पांच साल के समय के लिए।
अनावश्यक परिवर्तन न करें।
अपने निवेश पर नजर रखनी चाहिए।