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  वित्त-बीमा  जब बात हो अपने नन्हे-मुन्नों की सुरक्षा की तो…
वित्त-बीमा

जब बात हो अपने नन्हे-मुन्नों की सुरक्षा की तो…

बीएस संवाददाता बीएस संवाददाता —June 8, 2008 11:06 PM IST0
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अतुल शर्मा (55 वर्ष) काफी खुश हैं, क्योंकि उन्होंने हाल पहले ही अपने दो पोतों उम्र 2 साल और 4 साल के लिए जीवन बीमा पॉलिसियां ली हैं।


अतुल खुशी से बताते हैं, ‘मैंने अपने पोतों को दो  जीवन बीमा पॉलिसियां ले कर दी हैं।’ चलिए एक बार उनकी ली गई पॉलिसी पर एक नजर डालते हैं,

एक पॉलिसी के लिए
कवर : 20 लाख रुपये
अवधि : 15 साल के लिए
प्रीमियम : 1.5 लाख रुपये सालाना

ध्यान देने वाली बात यह है कि इन पॉलिसियों के लिए उन्हें शुरुआत में प्रीमियम की लगभग 35 प्रतिशत रकम देनी पड़ी। बेशक यह रकम कुछ ज्यादा है। इसकी एक वजह यह है कि ये एन्डाउमेंट योजनाएं हैं।

एक महीने बाद अतुल जब अपने वित्त योजनाकार से मिले तब चीजें कुछ बदल गईं। जब शर्मा को वित्त योजनाकार ने पूछा कि उन्हें अपने पोतों के लिए यह बीमा पॉलिसियां खरीदने की जरूरत ही क्या था, उस समय शर्मा कुछ जवाब नहीं दे पाए।

उनके योजनाकार ने उनसे पूछा:

‘क्या आपके पोतों पर भी कोई निर्भर है?’ शर्मा ने कहा – आप मजाक कर रहे हैं नहीं  तो।

‘तो फिर उन्हें बीमा की क्या जरूरत है?’ – 15 साल के बाद उनके पास उनके हाथ में कुछ पैसा होगा।

‘तो आपने पैसा इकट्ठा करने के लिए बीमा ही क्यूं खरीदा?’ – अब शर्मा के पास इस बात का कोई जवाब नहीं था।

‘चाइल्ड प्लान’ के रूप में बेची जाने वाली पॉलिसियां अधिकतर एन्डाउमेंट या मनीबैक या दोनों का मिश्रण होती हैं, जैसे कि जीवन बीमा निगम की कोमल जीवन पॉलिसी। इस तरह की एन्डाउमेंट पॉलिसियों, जिन्हें कंपनी काफी जोर-शोर से बेचती हैं, में पहले साल में 30 से 60 प्रतिशत की लागत आती है। सूची (ऊंचे प्रीमियम)  के अनुसार इस तरह की पॉलिसियों में एक साल के लिए 45 हजार से 60 हजार रुपये तक की लागत आती है।

किसी भी बीमा पॉलिसी को खरीदने से पहले खरीदार को साफ-साफ अंदाजा होना चाहिए कि मूलत: कोई भी बीमा पॉलिसी उसी व्यक्ति को कवर देती है, जिसके साथ आश्रित जुड़े होते हैं। इसलिए, जब आप अपने लिए स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी खरीदते हैं तब यह मानकर चलते हैं कि जब कभी आप बीमार पड़ें तो पॉलिसी आपके बिलों का भुगतान करेगी। और एक जीवन बीमा पॉलिसी पॉलिसीधारक की मृत्यु के बाद उसके परिवार को एकमुश्त रकम के साथ वित्तीय सहायता मुहैया कराएगी।

इस आधार पर एक बच्चे के लिए पॉलिसी लेना ठीक नहीं होगा, क्योंकि एक बच्चे को खोने (उसकी अकाल मृत्यु के मामले में) का दुख बीमा कंपनी की पॉलिसी से मिलने वाली रकम से काफी बढ़ा होता है, जबकि बीमा कंपनियां इसको दूसरे तरीके से बेचती हैं। वे इन पॉलिसियों को यह कह कर बेचती हैं कि ये पॉलिसियां उनके बच्चों के भविष्य के लिए बचत का एक जरिया है।

शर्मा की ही तरह कोई और होता तो उन्हें इस पॉलिसी के साथ 10 या 15 वर्ष की अवधि के बने रहने की बजाय, तीन साल के बाद प्रीमियम भरना बंद कर देना चाहिए और 5 साल के बाद इस योजना में से निकल जाना चाहिए। इस पॉलिसी को बंद कर देने के बाद उनके हाथ में जितना एकमुश्त पैसा आए, वे उसे ब्ल्यू चिप इक्विटी या फिर विभिन्न म्युचुअल फंड योजनाओं में निवेश कर सकते हैं।

इस पूरे वाकया से आप यह समझ सकते हैं कि बीमा और निवेश दो अलग-अलग चीजें हैं, जो दो अलग-अलग जरूरतों को पूरा करती हैं। अक्सर ग्राहक इसमें उलझ जाते हैं, नतीजतन उन्हें बीमा पॉलिसियों के लिए ऊंचे प्रीमियम भरने पड़ते हैं। अपने छोटे पोते-पोतियों या बच्चों के लिए पॉलिसी खरीदने से पहले आपको उनकी जरूरतों का पूरा आकलन कर लेना चाहिए।

आखिर उन्हें बीमा क्यों चाहिए?
क्या उन पर कोई देनदारी है?
क्या उन पर कोई जिम्मेवारियां हैं?
क्या इसमें स्वास्थ्य कवर शामिल है?
जो पॉलिसी आपको दी जा रही है उसका प्रीमियम क्या है?

बेशक, पहले तीन सवालों का जवाब ‘न’ में ही होगा और वह इसलिए क्योंकि किसी भी छोटे बच्चे को किसी भी तरह के बीमा की जरूरत नहीं होती। हां, कुछ बीमा एजेंट आपको यह जरूर कह सकते हैं कि कम आयु के लोगों के लिए बीमा खरीदने में प्रीमियम कम हो जाता है, लेकिन अगर आप एक 4 वर्ष और एक 25 वर्ष आयु के दो लोगों के लिए समान पॉलिसी का प्रीमियम देखें तो वह कमोबेश बराबर ही है।

असल में नन्हें-मुन्नों के लिए सबसे जरूरी पॉलिसी स्वास्थ पॉलिसी लेनी चाहिए और यह एक जीवन बीमा पॉलिसी से कई गुना बेहतर है। कुछ ऐसी भी स्थितियां हैं, जहां आपको छोटे बच्चों के लिए भी जीवन बीमा खरीदने की जरूरत पड़ सकती है। जैसे कि विशेष बच्चों (जिनका स्वास्थ्य सही न हो और उन्हें सहायता की जरूरत हो) के लिए। ऐसे में आप एलआईसी की जीवन आधार और जीवन विश्वास पॉलिसियों पर विचार सकते हैं।

ये पॉलिसियां विशेष रूप से इन्हीं मामलों को ध्यान में रख बनाई गई हैं। जीवन आधार में, कोई अपने विकलांग बच्चे के लिए पॉलिसी खरीद सकता है। इस पॉलिसी के लिए प्रीमियम का भुगतान आयकर कानून, 1961 की 80डीडीए के तहत कर में छूट के योग्य है। यह पॉलिसी खरीददार के जीवन जोखिम को कवर देती है और अकाल मृत्यु की स्थिति में आश्रितों को वार्षिक भत्ता देती है।

हां, यह बात सही है कि कोई भी अपने बच्चे के बड़ा होने पर उसकी उच्च शिक्षा, शादी और दूसरी जरूरतों के लिए एक अच्छी-खासी रकम के बारे में सोचता है। लेकिन यह ध्यान रखें कि बीमा कंपनियों के चाइल्ड प्लान आपकी उस रकम के लिए पूरे नहीं होते।

ऊंचे प्रीमियम               आयु (6 वर्ष)
अवधि (1 वर्ष)             राशि (रुपये में)
10                                  62,500
15                                  56,260
20                                  50,620
25                                  45,560

when time is there security of our small kids...
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