वित्त-बीमा

500 और 2,000 रुपये के नकली नोटों में तीन साल में तीन गुना उछाल: वित्त मंत्रालय

2020-21 से 2023-24 के बीच 2,000 रुपये के नकली नोटों की पहचान तीन गुना बढ़ चुकी है।

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वसुधा मुखर्जी   
Last Updated- November 27, 2024 | 6:11 PM IST

500 और 2,000 रुपये के नकली नोटों का प्रचलन पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़ा है। वित्त मंत्रालय द्वारा लोकसभा में सोमवार को साझा किए गए आंकड़ों के मुताबिक, 500 रुपये के नकली नोटों की संख्या 2018-19 से 2023-24 के बीच लगभग चार गुना बढ़ गई है। वहीं, 2,000 रुपये के नकली नोटों की डिटेक्शन 2020-21 के बाद तीन गुना हुई है।

500 रुपये के नकली नोटों में तेज़ी

500 रुपये का नोट रोजमर्रा के लेन-देन में सबसे अहम भूमिका निभाता है। इसकी बढ़ती मांग के साथ नकली नोटों का चलन भी बढ़ा है। मंत्रालय द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार, 2018-19 में 500 रुपये के नकली नोटों की संख्या 21,865 मिली थी। यह संख्या 2022-23 में अपने हाई 91,110 तक पहुंच गई। हालांकि, 2023-24 में यह थोड़ी कम होकर 85,711 रह गई।

2,000 रुपये के नकली नोटों में भी इजाफा

2020-21 से 2023-24 के बीच 2,000 रुपये के नकली नोटों की पहचान तीन गुना बढ़ चुकी है। इन आंकड़ों ने नकली नोटों के बढ़ते प्रचलन को लेकर सरकार और जनता के बीच चिंता बढ़ा दी है। वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में इस पर जवाब देते हुए नकली नोटों की रोकथाम के लिए चल रहे प्रयासों का ज़िक्र किया। सरकार लगातार नकली नोटों के खिलाफ सख्त कदम उठा रही है और उनकी पहचान के लिए नई तकनीकों का इस्तेमाल कर रही है।

2,000 रुपये के नकली नोटों में तीन गुना बढ़ोतरी, नकली नोटों की पहचान में तेज़ी

2,000 रुपये के नकली नोटों की संख्या 2020-21 के मुकाबले 2023-24 में तीन गुना बढ़ गई है। वित्त मंत्रालय द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, नकली 2,000 रुपये के नोटों की पहचान में पिछले कुछ वर्षों में भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिला।

नकली 2,000 रुपये के नोटों के आंकड़े

2018-19 में 21,847 नकली नोट पकड़े गए थे, जो 2020-21 में घटकर 8,798 रह गए। 2021-22 में यह संख्या बढ़कर 13,604 हो गई, लेकिन 2022-23 में फिर घटकर 9,806 पर आ गई। हालांकि, 2023-24 में नकली नोटों की संख्या में बड़ा उछाल आया और यह 26,035 तक पहुंच गई, जो 2020-21 की तुलना में तीन गुना है।

2,000 रुपये के नोट की शुरुआत और गिरावट

2,000 रुपये के नोट को नवंबर 2016 में विमुद्रीकरण के बाद नकदी संकट से निपटने के लिए शुरू किया गया था। इस नोट को हाई प्राइस के लेन-देन में मदद के लिए जारी किया गया था। मार्च 2018 तक, यह नोट कुल प्रचलित मुद्रा का 37.3% हिस्सा था। लेकिन 2018-19 में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने इसकी छपाई कम कर दी, यह कहते हुए कि इसकी मांग घट गई है और यह अवैध गतिविधियों में इस्तेमाल हो सकता है।

मार्च 2021 तक 2,000 रुपये के नोटों का हिस्सा घटकर कुल मुद्रा मूल्य का 17% रह गया। मई 2023 में, RBI ने इन नोटों को प्रचलन से वापस लेने की घोषणा की, हालांकि यह कानूनी मुद्रा के रूप में मान्य हैं। लोगों को इन नोटों को जमा या बदलने का समय दिया गया था।

500 रुपये के नोट पर बढ़ा फोकस

RBI अब 500 रुपये के नोट को प्राथमिक हाई मूल्यवर्ग के रूप में बढ़ावा दे रहा है। 2,000 रुपये के नोटों की चरणबद्ध वापसी इसी रणनीति का हिस्सा है। नकली नोटों के बढ़ते मामलों के मद्देनज़र, सरकार और RBI इस समस्या को रोकने के लिए सख्त कदम उठा रहे हैं।

First Published : November 27, 2024 | 6:11 PM IST