निकट भविष्य में यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) पर डिजिटल भुगतान से हर महीने 100 अरब लेनदेन होने की संभावना है। नैशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) के एमडी एवं सीईओ दिलीप आस्बे ने मुंबई में आयोजित ग्लोबल फिनटेक फेस्ट के दौरान पीक एक्सवी ऐंड सर्ज के एमडी रंजन आनंदन से बातचीत में कहा कि यूपीआई लेनदेन में हर महीने 10 गुना वृद्धि हो सकती है।
यूपीआई में वृद्धि की क्षमता के बारे में आनंदन द्वारा पूछे जाने पर आस्बे ने कहा, ‘आज यूपीआई का इस्तेमाल करीब 35 करोड़ लोगों द्वारा किया जा रहा है। हमारे पास उपयोगकर्ता के मोर्चे पर तीन गुना और व्यापारियों के मोर्चे पर भी तीन गुना अवसर मौजूद है। अब हमारे पास दस गुना वृद्धि का अवसर मौजूद है।’
इस साल अगस्त में यूपीआई के जरिये हर महीने 10 अरब लेनदेन होने की उपलिब्धि हासिल हुई। आस्बे ने यह नहीं बताया कि एनपीसीआई ने कब तक 100 अरब लेनदेन तक पहुंचने का लक्ष्य रखा है।
यूपीआई लेनदेन की संख्या में वृद्धि की मुख्य वजह छोटे शहरों एवं कस्बों में डिजिटल भुगतान के कवरेज में विस्तार है। इन क्षेत्रों में यूपीआई123पे के जरिये भुगतान के लिए फीचर फोन का उपयोग किया जा रहा है। इसके अलावा इस भुगतान प्रणाली के जरिये सीमा पार लेनदेन बढ़ने से भी बल मिला है।
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आरबीआई के भुगतान एवं निपटान प्रणाली विभाग के महाप्रबंधक के विजयकुमार ने कहा, ‘फिलहाल ऐसी किसी समय-सीमा की जानकारी नहीं है कि हम कब तक 100 अरब के लक्ष्य तक पहुंच जाएंगे, मगर यूपीआई 123 से हमें इस लक्ष्य तक तेजी से पहुंचने में मदद मिल सकती है।’
यूपीआई में वृद्धि की क्षमता के बारे में पूछे जाने पर आस्बे ने कहा कि नई सुविधाओं के साथ इसके निरंतर विकास का मतलब अधिक से अधिक उपयोगकर्ताओं तक पहुंच है। उन्होंने कहा, ‘अब यह 2016 के जैसा नहीं है। लगातार हो रही प्रगति से यूपीआई के विकास में मदद मिल रही है।’
वैश्विक स्तर पर भुगतान प्रॉसेसर मास्टरकार्ड हर महीने लगभग 11.8 अरब लेनदेन को प्रॉसेस करता है, जबकि उसका प्रमुख प्रतिस्पर्धी वीजा हर महीने करीब 22.5 अरब लेनदेन को प्रॉसेस करता है। अगर यूपीआई हर महीने 10 अरब लेनदेन को प्रॉसेस करने लगेगा तो यह दुनिया में सबसे तेजी से आगे बढ़ने वाली भुगतान प्रणाली बन जाएगी।
जहां तक यूपीआई पर क्रेडिट का संबंध है तो आस्बे ने कहा कि क्रेडिट कार्ड में अंडरराइटिंग एवं अधिग्रहण की लागत अधिक होने के कारण इसे हरेक व्यक्ति तक पहुंचाना मुश्किल हो गया था।
आस्बे ने कहा, ‘हम सरकारी बैंकों के अलावा एचडीएफसी, आईसीआईसीआई, ऐक्सिस, एसबीआई कार्ड आदि सभी बड़े ऋणदाताओं के साथ करीबी से काम कर रहे हैं। हमें वृद्धि को रफ्तार देने के लिए पूरी तरह डिजिटल अनुभव वाले प्लेटफॉर्म की दरकार है।’
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रेज़रपे के सीबीओ राहुल कोठारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से खास बातचीत में कहा, ‘ग्राहकों को सामान्य लेनदेन के लिए भुगतान नहीं करना चाहिए लेकिन यूपीआई पर क्रेडिट के लिए कुछ लेनदेन शुल्क लगाया जा सकता है। यहां तक कि जब हम यूपीआई के जरिये सीमा पार लेनदेन के बारे में सोचते हैं, तो मुझे लगता है कि उन पर शुल्क लगाया जाएगा।’
कोठारी ने कहा, ‘कुल मिलाकर यूपीआई भारत के भुगतान परिवेश की वृद्धि के लिहाज से भी एक बेंचमार्क स्थापित किया है। (100 अरब लेनदेन के स्तर तक पहुंचने के लिए) हमें स्मार्टफोन के अलावा फीचर फोन के जरिये यूपीआई भुगतान पर जोर देने की जरूरत है। इससे छोटे शहरों एवं कस्बों में यूपीआई के जरिये भुगतान करने वाले ग्राहकों की तादाद काफी बढ़ जाएगी।’
नैशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) के आंकड़ों के अनुसार, अगस्त में यूपीआई के जरिये लेनदेने की संख्या बढ़कर 10.24 अरब हो चुकी थी। मूल्य के लिहाज से यूपीआई लेनदेन एक नई ऊंचाई तक पहुंचने के लिए तैयार है जो पहले ही 15.18 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है। जुलाई में यह 15.34 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचा था।