कहा जाता है कि दमखम हासिल करने के लिए कीमत अदा करनी पड़ती है। लेकिन यह बीते जमाने की बात है। आजकल तो शानदार चीजें भी छूट के साथ मिल जाती हैं।
इसकी जीती जागती मिसाल है एचटीएमटी ग्लोबल। इस कंपनी का नाम देश की 15 शीर्ष बीपीओ कंपनियों में शुमार है। वॉयस आधारित सेवाओं में इस कंपनी का अच्छा खासा दखल है और नॉन-वॉयस प्रॉसेसिंग सेवाओं में भी इसकी पैठ बढ़ रही है।
बेहिचक आप कह सकते हैं कि इस कंपनी के शेयर छूट के साथ मिल रहे हैं। सच पूछें, तो एचटीएमटी ग्लोबल पर बिजनेस स्कूलों के छात्र गर्मियों में अध्ययन भी कर सकते हैं।
आम तौर पर ये छात्र ‘भारत में म्युचुअल फंड उद्योग का भविष्य’ और ‘निश्चित आय वाले निवेशकों की जोखिम उठाने की फितरत’ जैसे उबाऊ विषयों पर ही शोध करते रहते हैं।
पहले निवेश के पैमानों पर एचटीएमटी ग्लोबल को तौलते हैं। कंपनी का बाजार पूंजीकरण तकरीबन 240 करोड़ रुपये है। उसके पास 625 करोड़ रुपये का नकद और न के बराबर कर्ज है।
पिछली 5 तिमाहियों में कंपनी की आय बढ़ी है और चालू वित्त वर्ष में उसका ईबीआईडीटीए 160 करोड़ रुपये रहने की संभावना है।
कंपनी के आकर्षण
1 – कंपनी पूरी तरह से कस्टमर केयर और ट्रांजैक्शन प्रॉसेसिंग के कारोबार में है। इसे सॉफ्टवेयर या आईटी उत्पादों से कुछ भी लेना देना नहीं है, पूरी तरह से सूचना प्रौद्योगिकी सेवा कंपनी है।
कंपनी के पास 90 अरब से लेकर 127 अरब डॉलर तक के बाजार में फलने फूलने का पूरा मौका है।
2 – भारत, फिलीपींस और उत्तर अमेरिका में कंपनी के तकरीबन 78 ग्राहक हैं। अक्टूबर और नवंबर के महीने कारोबार के लिहाज से अच्छे नहीं थे, लेकिन एचटीएमटी ग्लोबल के एक भी ग्राहक ने उसका दामन नहीं छोड़ा।
3 – भारत, फिलीपींस, अमेरिका और कनाडा में कंपनी अपनी सेवाओं की आपूर्ति कर सकती है। उसके केंद्र बेंगलुरु, मैसूर, चेन्नई, मुंबई, हैदराबाद, दुर्गापुर, फिलीपींस की राजधानी मनीला, कनाडा के माँट्रियल शहर और अमेरिका में प्योरिटा, सेंट लुई, वाटरलू तथा अल पासो में हैं।
4 – कंपनी के राजस्व का 76 फीसदी हिस्सा वॉयस आधारित सेवाओं से आता है, जिनमें सेल्स से पहले, सेल्स के दौरान, सेल्स के बाद, प्रोडक्ट सपोर्ट और बिलिंग संबंधी सेवाएं शुमार हैं।
बाकी कमाई नॉन वॉयस आधारित सेवाओं से होती है, जिनमें स्वास्थ्य क्षेत्र की कंपनियां और बीमा कंपनियां इसकी ग्राहक हैं।
5 – रुपये के मजबूत होने पर भी कंपनी ने मुनाफे में अच्छी खासी बढ़ोतरी हासिल की थी। रुपये के कमजोर होने से कंपनी को ज्यादा फायदा होगा।
6 – कर्ज बहुत कम होने से कंपनी औरों के मुकाबले इक्कीस ठहरती है। पिछली तिमाही में उसके पास 969 करोड़ रुपये थे और कर्ज का आंकड़ा था महज 89 करोड़ रुपये!
7 – घरेलू बाजार में कंपनी की पैठ बढ़ती जा रही है। भारत के बीपीओ बाजार में पांव जमाने वाली शुरुआती कंपनियों में इसका नाम शामिल है।
भारत से इसे 19 फीसदी बिक्री मिलती है। एयरटेल 2005 से इसकी ग्राहक है और कमाई का 15 फीसदी हिस्सा एचटीएमटी को इसी से मिलता है।
8 – अमेरिका में सहायक कंपनी एफिना कारोबार करती है। फिलहाल इस कंपनी के पिछले मालिकों के पास मुनाफे का एक हिस्सा जाता है। लेकिन यह समझौता दिसंबर में खत्म हो जाएगा और अगले साल से पूरा मुनाफा एचटीएमटी को ही मिलेगा।
9 – कर्मचारियों की संख्या इस साल 3000 से बढ़ाकर 17000 की जा रही है। मुंबई में वाशी केंद्र जून 2008 में और चेन्नई केंद्र सितंबर 2008 में खुल चुका है। उत्तर भारत में भी चालू वित्त वर्ष के दौरान ही केंद्र खुल जाने की उम्मीद है।
10 – नकद अच्छा खासा है। हिंदुजा समूह ने जुलाई 2006 में हचीसन एस्सार में अपनी भागीदारी 45 करोड़ डॉलर में बेची। बाद में एचटीएमटी को 11 करोड़ डॉलर मिले। कंपनी के बाजार पूंजीकरण से भी ज्यादा नकद उसके पास है।
11 – कंपनी की कमाई का पारा लगातार चढ़ रहा है। उसका ईबीआईडीटए मार्जिन पिछली छह तिमाहियों में 12.7 फीसदी से बढ़कर 18.9 फीसदी हो गया है। राजस्व भी बढ़ा है और मुनाफा भी यानी कारोबार के लिहाज से यह काफी मुफीद है।
मुश्किल कहां
अब ऐसी सूरत में कंपनी के शेयरों की कीमत कम होने की वजह क्या हो सकती है? नजर डालते हैं।
1 – माना जा रहा है कि कंपनी की ज्यादातर कमाई हिंदुजा समूह की कंपनियों से ही होती है।
हकीकत उलट है। हिंदुजा हॉस्पिटल से इसे बीपीओ सेवाओं के बदले पिछले वित्त वर्ष में महज 40 लाख रुपये मिले।
2 – कंपनी को हिस्सेदारी बेचने से 11 करोड़ डॉलर की रकम हासिल हुई। माना जा रहा है कि कंपनी इनका समुचित इस्तेमाल नहीं कर रही है।