बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण के चेयरमैन के रुप में अपना पांच वर्षीय कार्यकाल पूरा होने पर सी एस राव ने बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत की।
पूर्व भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी ने कहा कि मेरा मेरे करियर के दौरान हमेशा ट्रांसफर होता रहा है। अब मेरा ट्रांसफर सक्रिय जीवन से शांत जीवन की ओर हो रहा है। मै इस ट्रांसफर का स्वागत करता हूं। पेश है बीमा क्षेत्र में भविष्य की चुनौतियों पर उनसे बातचीत
आपके कार्यकाल में कोई ऐसा कार्य बचा जिसे आप पूरा न कर सके हो?
बीमा क्षेत्र का अभी भारत में विकास हो रहा है। इसकेसाथ ही इरडा की चुनौतियां भी बढ़ती जा रही हैं। बाजार में रोज नए उत्पाद और कंपनियां आ रही है। इसलिए हमारे सामने चुनौती है कि ग्राहक को इन उत्पादों के बारे में साफ जानकारी हो।
यह विनियामक के सामने लगातार आने वाली चुनौती है और यह चुनौती लगातार बनी रहेगी। हमनें इस दिशा में कदम उठायें हैं कि बीमा कंपनियां अपने उत्पादों के बारे में सभी आवश्यक जानकारी अपने ग्राहकों को दे।
हालांकि यहां सामान्य ग्राहकों को बीमा उत्पादों के बारे में शिक्षित करने की जरुरत है। वहीं दूसरी ओर जीवन बीमा के अतिरिक्त दूसरे अन्य सेगमेंट में प्रतियोगी काफी प्रतियोगी माहौल है। विनियामक का कार्य है कि बाजार का विकास कैसे हो रहा है इस पर निगाह रखी जाए और ग्राहकों की समस्याओं का निदान किया जाए।
वितरण चैनल पर आई इरडा की कमेटी की सिफारिशों पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है?
हम सामान्यत: प्रत्येक हिस्सेदार से फीडबैक लेने का प्रयास करते हैं। अभी हम इसी प्रक्रिया में हैं। फीडबैक मिलने के बाद ही हम कुछ कहने की हालत में होंगे।
क्या आपने बीमा कंपनियों केलिए नए निवेशकीय दिशा-निर्देश तैयार किए है?
हम कुछ समय से ऐसे दिशा-निर्देशों पर काम कर रहे हैं। इस पर बनाई गई समिति ने अपनी सिफारिशें दे दी हैं। 29 अप्रैल को हमनें सिफारिशों को संतुति भी प्रदान कर दी है। इसमें कुछ सुधार की भी सिफारिश की गयी है। अब केवल नोटीफिकेशन का मामला रह गया है और हम इसे नोटीफाई कर देंगे।
बीमा क्षेत्र की हालिया स्थिति क्या है?
बीमा क्षेत्र में समझ तेजी से बढ़ी है। अगर सकल घरेलू उत्पाद के प्रतिशत हिस्से की दृष्टि से देखा जाए तो इसकी भागेदारी आठ साल पहले के 2.32 फीसदी के स्तर से बढ़ी है। वर्ष 2007 में बीमा क्षेत्र सकल घरेलू उत्पाद में 4.8 फीसदी की भागेदारी केसाथ खुला। इस प्रकार इडस्ट्री की बढ़त दोगुना तक बढ़ी है जो कि अच्छा संकेत है।
बीमा क्षेत्र का भविष्य क्या होगा?
हमारे बिक्री पर दबाव की स्थिति है। इससमय हमें यह देखना है कि यह ज्यादा न बढ़ सके। इरडा को उपभोक्ताओं के बीच ज्यादा से ज्यादा जागरुकता फैलाने केलिए कई कदम लेने है कि उन्हें बीमा कराते समय क्या क्या सवाल पूछने चाहिए और उन्हे कौन कौन सी जानकारी मांगनी चाहिए।