जैसे-जैसे वित्त वर्ष अपनी समाप्ति की ओर बढ रहा है वैसे ही निवेशक करों में रियायत का ज्यादा से ज्यादा लाभ उठाने केलिए निवेश के लिए विभिन्न आयामों पर विचार कर रहे हैं।
हालांकि इससे पहले कि हड़बडी में आकर ऐसा कुछ करने से पहले निवेशकों को उन सभी धाराओं से अवगत हो जाना चाहिए जिसकेतहत करों में रियायत का लाभ मिलता है।
धारा 80
आयकर की यह धारा सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है तो जिसके तहत प्रतिवर्ष आप एक लाख रुपये बचाते हैं।
इस धारा केतहत निवेश करने के लिए आदर्श समय अप्रैल का पहला सप्ताह माना जाता है कि न कि फरवरी या फिर मार्च। इसके पीछे कई कारण हैं।
इनमें सबसे महत्वपूर्ण कारण यह है कि पूरे साल किए गए निवेश पर मिलने वाले रिटर्न पर अर्जित ब्याज और इसके बावजूद पूरी राशि पर करों में बचत का लाभ मिलेगा।
उदाहरण केलिए अगर किसी करदाता ने अपने कर्मचारी भविष्य निधि में 5 अप्रैल से पहले 70,000 रुपये का निवेश किया है तो उस हालत में उसे वर्ष 2009 में पूरे साल 5,600 रुपये के कर मुक्त ब्याज मिलेगा। अगर यही रकम मार्च के अंतिम सप्ताह में निवेश किया जाता है तो वित्त वर्ष 2008-09 के लिए कोई भी आमदनी नहीं होगी।
कर से संबंधित दूसरी सबसे महत्पूर्ण बात निवेश योजना का चयन है। ऐसे लोग जो 30 फीसदी वाले सबसे बड़े करों के दायरे में आते हैं उनके लिए 8 फीसदी का ब्याज देने वाले पीपीएफ में निवेश, करों के दायरे में आनेवाले नैशनल सेविंग सर्टिफिकेट्स (एनएससी)के 8 फीसदी के रिटर्न या फिर पांच सालों के बैंक डिपॉजिट पर मिलने वाले 8-9 फीसदी के करों के दायरे में आनेवाले ब्याज से कहीं बेहतर है।
धारा 80 के तहत ही एक अन्य महत्वपूर्ण निवेश का विकल्प इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ईएलएसएस) हैं। इन्फ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड के करों के दायरे में आनेवाले रिटर्न के मुकाबले ईएलएसएस से मिलने वाला रिटर्न करमुक्त होता है। इस लिहाज से यह रिटर्न कर पश्चात रिटर्न से ज्यादा होता है।
आयकर की धारा 10 (38) डिविडेंड के बदले ग्रोथ विकल्प के चयन से तीन सालों के बाद कर मुक्त रिटर्न दिलाने में मदद करता है। दूसरे शब्दों में कहें तो ईएलएसएस में निवेश से तिहरा लाभ मिलता है।
पहला यह कि निवेश के समय करों में रियायत मिलती है, दूसरा इस अवधि के दौरान आय पर धारा 10 (35) के तहत छूट मिलती है जबकि तीन सालों के बाद पूरी राशि की निकासी जिसमें एक लाख रुपये शुरुआती निवेश पर मिलनेवाला मुनाफा भी शामिल है, करों के दायरे में नहीं आता है।
धारा 80 डी
इसके तहत करों में रियायत का एक बार फिर लाभ मिलता है जो बड़े करों के दायरे में आनेवाले करदाता लाभ उठा सकते हैं। इस धारा केतहत कर्जदाता द्वारा ली गई मेडिकल पॉलिसी प्रीमियम पर प्रति वर्ष 15,000 रुपये तक की छूट मिलती है।
जहां तक वरिष्ठ नागरिकों की बात है तो उनके लिए यह छूट 20,000 रुपये तक की हो सकती है। बीमा कंपनियां धारा 80 डी के तहत आनेवाली ऐसी क ई पॉलिसियों को बाजार में उतारा है जिन पर विचार किया जा सकता है।
धारा 80 ई
ऐसे करदाता जो ऊंची शिक्षा ग्रहण करने का माद्दा रखते हैं, वे धारा 80 ई के तहत शिक्षा ऋण पर दिए जाले वाले ब्याज में छूट का लाभ उठा सकते हैं। हालांकि छूट की सीमा निर्धारित नहीं की गई है क्योंकि छूट को ऐसे ऋणों पर भुगतान किए जाने वाले ब्याज से जोड़ दिया गया है।
छूट को उस साल से जोड़ दिया जाता है जब ऋणों का भुगतान शुरू होता है और यह 8 क्रमबध्द सालों की समीक्षा अवधि के लिए उपलब्ध होता है।
धारा 8 जी जी
अंत में धारा 80 जी जी केतहत घरों के किराए के भुगतान के आधर पर कर रियायत का लाभ उठाया जा सकता है। हालांकि इसके बारे में बहुत कम करदाताओं को पता होता है। ऐसे कोई करदाता इस इस छूट का लाभ उठा सकते हैं ।
जिनकी आय का स्रोत मासिक वेतन या फिर अन्य कोई स्रोत होता है और छूट की राशि कुल आमदनी के 10 फीसदी से अधिक दिए
गए किराए से ज्यादा होता है या कुल आमदनी से 25 फीसदी अधिक या फिर प्रति माह दिए गए वास्तविक किराये 2,000 रुपये अधिक होता है।