आंकड़ों से पता चलता है कि 10 साल और इससे अधिक अवधि वाले राज्य बॉन्डों की यील्ड, एएए रेटिंग वाले सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (पीएसयू) के बॉन्डों की यील्ड से अधिक हो गई है। हाल के एसडीएल नीलामी में लंबी अवधि के बॉन्डों की औसत यील्ड करीब 7.11 फीसदी रही, जो वार्षिक हिसाब से बढ़कर 7.23 फीसदी हो जाती है। वहीं दूसरी तरफ इसी परिपक्वता अवधि के एएए रेटिंग वाले पीएसयू की बॉन्ड यील्ड कम है और इसका कारोबार 7.10 से 7.16 फीसदी के बीच हो रहा है।
बाजार के भागीदारों का कहना है कि कीमत में अंतर की प्रमुख वजह भारी आपूर्ति, धन के प्रवाह का समय बेमेल होना तथा बढ़ती वैश्विक ब्याज दरें हैं।
रॉकफील्ड फिनकैप एलएलपी के संस्थापक और मैनेजिंग पार्टनर वेंकटकृष्णन श्रीनिवासन ने कहा, ‘यील्ड में आए इस अंतर की वजह बढ़ी हुई आपूर्ति, नियामकीय फैसलों से संचालित निवेश का फैसला और व्यापक वृहद आर्थिक कारक हैं।’
उन्होंने कहा, ‘दर में 25 आधारअंक की कटौती के बाद फेडरल ओपन मार्केट कमेटी (एफओएमसी) के आक्रामक टिप्पणी के कारण अमेरिकी ट्रेजरी सहित वैश्विक यील्ड में बढ़ोतरी हुई है। इसकी वजह से भारतीय बॉन्ड यील्ड में ऊपर की ओर समायोजन हुआ है।’
डीलरों का कहना है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व की बैठक के परिणाम आने के बाद से बॉन्ड यील्ड बढ़ी है क्योंकि फेड ने भविष्य में कटौती को लेकर सोच-समझकर कदम उठाने के संकेत दिए हैं, इसकी वजह से वित्तीय बाजारों में अनिश्चितता पैदा हो गई है।
अमेरिका की दर तय करने वाली समिति ने ब्याज दर में 25 आधार अंक कमी की है, जिससे फेड फंड की दर 4.50 फीसदी से घटकर 4.25 फीसदी हो गई है। इसका असर भारतीय बॉन्ड बाजार पर भी पड़ा है, जिसके कारण एसडीएल और पीएसयू बॉन्डों सहित विभिन्न साधनों पर 10 से 15 वर्ष की अवधि के लिए यील्ड में 4 से 5 आधार अंकों की वृद्धि हुई है।
इसके साथ ही अमेरिकी फेडरल रिजर्व के हाल के रुख से ज्यादा आक्रामकता के संकेत मिले हैं, और 2025 में सिर्फ2 कटौती के अनुमान लगाए गए हैं, जो सितंबर के अनुमान का आधा है और 2026 में भी सिर्फ 2 कटौती की उम्मीद है, जबकि पहले 4 कटौती की उम्मीद थी।
एसडीएल राज्य सरकारों द्वारा जारी किए जाते हैं। इनका प्रबंधन भारतीय रिजर्व बैंक करता है। परंपरागत रूप से इन्हें सरकारी प्रतिभूतियों (जी-सेक) जितना ही सुरक्षित माना जाता है।
एक निजी बैंक के ट्रेजरी हेड ने कहा, ‘पहले भी ऐसा हुआ है, जब एसडीएल यील्ड कॉरपोरेट बॉन्डों से अधिक रही है। ऐसा मुख्य रूप से आपूर्ति बढ़ने की वजह से है और साथ ही एएए रेटेड बॉन्डों की मांग भी काफी है। यील्ड बाहरी राज्यों पर भी निर्भर होता है, जहां बड़े पैमाने पर मुफ्त की योजनाएं और बॉन्ड की आपूर्ति तुलनात्मक रूप से अधिक है।’
बाजार के भागीदारों ने कहा कि इसमें मौसमी वजहों की भी भूमिका है। भविष्य एवं पेंशन निधि सामान्यतया वित्तीय चक्र की शुरुआत में एएए माइनस रेटिंग वाले पीएसयू बॉन्ड को वरीयता देते हैं। मगर दीर्घावधि निवेशकों जैसे पेंशन फंड और बीमाकर्ताओं के बीच एसडीएल पसंदीदा बने हुए हैं, खासकर उनके बीच, जो फरवरी में शुरू होने वाले दरों में कटौती के चक्र के पहले ज्यादा रिटर्न चाहते हैं।