चाहे नौनिहाल हो या किशोर, आपका बच्चा बेहतर भविष्य का अधिकारी होता है। हर मां-बाप अपने बच्चे का भविष्य उवल होते देखना चाहते हैं।
इसका सबसे बेहतर तरीका यह है कि उसके करियर के हर मौके के लिए कोष तैयार रखा जाए। इंजीनियरिंग की पढ़ाई में साल 1990 में एक लाख रुपये लगा करते थे। साल 2000 में बढ़ कर यह 3.2 लाख रुपये हो गई।
अगर, सालाना चक्रवृध्दि दर कम मानते हुए भी आकलन करें तो साल 2020 में इंजीनियरिंग की लागत बढ़ कर 21.5 लाख रुपये हो सकती है। इसलिए बच्चों के भविष्य के लिए बचत करना काफी महत्वपूर्ण हो गया है। बचत के विभिन्न विकल्प मौजूद हैं जैसे सावधि जमाएं, म्युचुअल फंड, बीमा योजनाएं आदि।
अगर बचत के लिए आप बीमे के रास्ते को अपनाते हैं तो एन्डाउमेंट और यूनिट लिंक्ड बीमा योजना जैसे विकल्प मौजूद हैं। लेकिन बीमा योजनाओं की खरीदारी करने से पहले विभिन्न बातों पर विचार कर लीजिए। बच्चो की बीमा योजनाओं (चाइल्ड प्लान) के तहत माता-पिता या बच्चों को कवर दिया जाता है।
माता-पिता के कवर वाला विकल्प ज्यादा बेहतर है क्योंकि किसी तरह की आर्थिक जिम्मेदारी और किसी की निर्भरता नहीं होने के कारण बच्चे को कवर की जरूरत नहीं होती है। चाइल्ड प्लान के कई विकल्प हैं।
एकल प्रीमियम या वार्षिक प्रीमियम वाली पॉलिसियां बाजार में उपलब्ध हैं। कुछ पॉलिसियों में पॉलिसी अवधि की समाप्ति के सात साल बाद तक बीमा कवर उपलब्ध कराया जाता है। आम तौर पर चाइल्ड प्लान की शुरुआत 7 से 8 साल की उम्र में होती है।
पॉलिसी पत्र में लिखी बातों को गौर से पढ़ें और देखें कि वास्तव में योजना की शुरुआत कब से हो रही है। उदाहरण के लिए, कोई बीमा कंपनी इस बात का उल्लेख कर सकती है जोखिम कवर की शुरुआत पॉलिसी शुरु होने के दो सालों बाद होगी। कुछ का कहना है कि बच्चे के सातवें जन्म दिन के बाद से जोखिम कवर शुरू हो जाता है।
सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह है कि इन पॉिलिसियों का सम एश्योर्ड (मृत्यु के बाद मिलने वाली राशि) कितना होना चाहिए। अपनी आर्थिक स्थिति और लक्ष्यों के आधार पर पॉलिसी की खरीदारी करें। प्रीमियम भी अब अधिक नहीं रह गए हैं। कुछ पॉलिसियों का प्रीमियम 700 रुपये मासिक जितना कम है।
इसके अलावा कुछ अन्य विकल्प भी हैं। बीमाकर्ता प्रत्येक पांच वर्ष में एक बार प्रीमियम भुगतान करने की सुविधा भी दे सकते हैं। प्रीमियम पर छूट भी उपलब्ध हो जाता है। अगर आप सालाना प्रीमियम देते हैं तो 2 प्रतिशत और छमाही प्रीमियम के मामले में एक प्रतिशत की छूट मिलती है।
उदाहरण के लिए अगर कोई व्यक्ति पांच लाख या उससे अधिक की पॉलिसी खरीदता है तो बीमा कंपनी उसे दो प्रतिशत की छूट दे सकती है। पॉलिसी लेते वक्त प्रीमियम वेवर राइडर का चयन अवश्य कीजिए।
इस राइडर के तहत प्रीमियम का भुगतान नहीं किए जाने पर भी पॉलिसी का अस्तित्व बना रहता है। इससे फायदा यह है कि पॉलिसीधारक की मृत्यु के बावजूद पॉलिसी जारी रहती है। अगर यह राइडर पॉलिसी में पहले से है तो आपको अलग से इसे लेने की जरूरत नहीं पड़ती है।
नहीं तो, मामूली पैसे देकर चाइल्ड प्लान में इस राइडर को जोड़ा जा सकता है। इसके लिए कम से कम 125 रुपये देने होते हैं। इसके अतिरिक्त, पॉलिसी के समय का निर्धारण कुछ इस हिसाब से करें कि पैसों का भुगतान सही वक्त पर हो।
आदर्श तौर पर पैसे बच्चे की पढ़ाई और करियर के महत्वपूर्ण अवसरों पर प्राप्त होने चाहिए। उदाहरण के तौर पर, पहला भुगतान बच्चे के 15 वर्ष की आयु हासिल करने पर मिलना चाहिए ताकि स्कृल की पढ़ाई, टयूशन और प्रोफेशन कोर्स की प्रवेश परीक्षाओं के लिए उसका इस्तेमाल किया जा सके। यह राशि सम एश्योर्ड या पॉलिसी की 20 प्रतिशत हो सकती है।
पैसों का दूसरा भुगतान 17 या 18 वर्षों में हो सकता है जो कॉलेज या फिर प्रोफेशनल पढ़ाई के लिए काम आ सकता है। इसकी राशि सम एश्योर्ड की 25 प्रतिशत होती है। तीसरा भुगतान बच्चे के 20 साल के हो जाने पर मिलता है जो उच्च शिक्षा या स्नातकोत्तर की पढ़ाई के काम आ सकता है।
यह राशि सम एश्योर्ड का 25 फीसदी हो सकती है। अंतिम भुगतान बीमा कंपनी द्वारा बच्चे के 22 साल के हो जाने पर किया जाता है। इस राशि का प्रयोग बच्चे की विदेश पढ़ाई, प्रोफेशनल पढ़ाई या फिर फैक्ट्री लगाने या कारोबार स्थापित करने के लिए किया जा सकता है। अंतिम भुगतान सम एश्योर्ड का 30 प्रतिशत हो सकता है।
इसके अतिरिक्त बोनस और अन्य गारंटीड भुगतान के पैसे भी इसमें शामिल होते हैं। बीमा कंपनी द्वारा किए जाने वाले भुगतान को सावधानी से चुनें। आप एकमुश्त या फिर बच्चे के 3, 6, 9, 15 वर्ष के हो जाने पर नियमित किस्त पाने के विकल्प का चयन कर सकते हैं।
बच्चे के 25 साल का हो जाने पर विवाह के लिए एकमुश्त राशि प्राप्त करने के प्रावधान भी हैं।
पॉलिसी लेने से पहले देख लें कि-
-प्रत्येक वर्ष बोनस और गारंटीड एडिशन का लाभ मिल रहा है? या बच्चे के 25 साल का हो जाने पर यह लाभ प्राप्त होगा?
-प्रीमियम वेवर की बात हो सकती है लेकिन क्या इसमें दुर्घटनाजनित अपंगता ही केवल शामिल है?
-प्रीमियम वेवर की वजह से कहीं प्रीमियम अधिक या बीमा कवर कम तो नहीं हो रहा है?
-पॉलिसी का प्रशासनिक शुल्क कहीं अधिक तो नहीं है?
अगर प्रॉफिट फंड का विकल्प है तो आप यूनिट लिंक्ड योजनाओं की खरीदारी बेझिझक कर सकते हैं क्योंकि इसमें जोखिमों से मुक्ति मिल जाती है। इस विकल्प के तहत आपके निवेश का क्षय नहीं होता है।
चाइल्ड प्लान लेकर आप आयकर की धारा 80 सी के तहत कर में बचत भी कर सकते हैं। धारा 10 (10डी) के तहत परिपक्वता पर मिलने वाली राशि भी आयकर से मुक्त होती है। राइडर के प्रीमियम पर भी आयकर का लाभ मिलता है।
कई पॉलिसियां दोहरा लाभ देती हैं। उदाहरण के लिए, कुछ ऐसी योजनाएं है जिनके माध्यम से आप एक ही पॉलिसी लेकर दो बच्चों के लिए बचत कर सकते हैं।
इसके अतिरिक्त पत्नी को नामित कर आप बच्चों में परिपक्वता राशि के बेहतर वितरण की व्यवस्था कर सकते हैं। अगर आप चाइल्ड प्लान की खरीदारी कर रहे हैं तो इसे गंभीरता से लीजिए।