एक म्युचुअल फंड में लाभांश विकल्प के तहत एक साल से अधिक दिनों तक अपना निवेश बनाए रखने के बाद मैंने उसी योजना के ग्रोथ विकल्प का चयन किया।
ग्रोथ विकल्प के तहत दो महीने तक अपना निवेश बनाए रखने के बाद मैंने पैसे निकाल लिए। निकाली गई राशि पर किस हिसाब से कर लगाया जाएगा? -रामचंद्र श्रीधरन
किसी म्युचुअल फंड योजना की ग्रोथ और लाभांश विकल्प दो अलग-अलग योजनाएं होती हैं और इनके शुध्द परिसंपत्ति मूल्य (एनएवी) भी भिन्न-भिन्न होते हैं। अगर आपने लाभांश विकल्प को छोड़ कर ग्रोथ विकल्प का चयन किया है तो वास्तव में यह इंटर-स्कीम ट्रांसफर है, जिसे ग्रोथ विकल्प में ट्रांसफर के दिन के एनएवी के आधार पर नये निवेश के रुप में देखा जाता है।
यह लेन-देन किसी लांभांश विकल्प में से सारे पैसे निकाल कर किसी योजना के ग्रोथ विकल्प में निवेश करने जैसा है। अगर किसी इक्विटी फंड में आप अपना निवेश एक साल तक बनाए रखते हैं तो कर की जिम्मेदारी नहीं बनती है। चूंकि आपने एक साल से अधिक अवधि तक अपना निवेश बनाए रखा था इसलिए भुना कर ग्रोथ स्कीम में निवेशित की गई राशि पर कर नहीं लगाया जाएगा (सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स आपको पैसे देने से पहले ही काट लेती है)।
ट्रांसफर के दो महीने बाद ही आपने अपने यूनिट भुना लिया है इसलिए आपको अल्पावधि का पूंजीगत लाभ कर अदा करना होगा जो 15 प्रतिशत की दर से लाभ पर लगाया जाता है। इस बात का खुलासा आपको वित्त वर्ष के अंत में अपने आयकर रिटर्न भी दिखाना होगा।
कृपया कुछ पांच सितारा रेटिंग वाले अच्छे फंडों के बारे में बताएं। कुछ अच्छी रेटिंग वाले फंडों में मैं 20,000 रुपये प्रति माह निवेश करना चाहता हूं जो मुझे कम से कम 15 प्रतिशत का वार्षिक प्रतिफल दे। मेरी उम्र 55 साल है और मेरी नौकरी अभी दस साल और बची हुई है। -डॉ. अशोक एम पाटिल
किसी विशाखित फंड से 15 प्रतिशत वार्षिक प्रतिफल पाने की उम्मीद करना जायज है। लेकिन हमेशा की तरह फंड के चुनाव का तरीका सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। सबसे पहले अपनी जोखिम उठाने की क्षमता देखते हुए इक्विटी और ऋण में निवेश के आवंटन का एक आदर्श तय कर लें जिसे आप भविष्य में बनाए रखना चाहेंगे। उसके बाद फंडों के पिछले तीन से पांच साल के ट्रैक रिकॉर्ड को देखें। फंड की रेटिंग सही फंड के चयन में आपकी मदद करती है।
सेवानिवृत्त होने में अभी 10 साल बाकी है इसलिए आप लार्ज कैप की तरफ अधिक झुकाव वाले, अच्छी रेटिंग वाले इक्विटी विशाखित फंडों में निवेश कर सकते हैं क्योंकि इनमें मिड और स्मॉल-कैप फंडों की तुलना में अधिक स्थिरता होती है। अपने पोर्टफोलियो में एक निश्चित मात्रा में ऋण बनाए रखने के लिए आपको बैलेंस्ड फंडों में भी निवेश करना चाहिए।
सिप की शुरुआत करते समय यह सुनिश्चित कर लें कि आप चार से अधिक फंडों में 20,000 रुपये की कुल राशि का निवेश नहीं करेंगे (प्रत्येक फंड में 5,000 रुपये)। समय के साथ बनते कोष की सुरक्षा के लिए सेवानिवृत्ति से तीन साल पहले आप घीरे-धीरे अपनी परिसंपत्ति इक्विटी से ऋण में ट्रांसफर कर सकते हैं (अगर सेवानिवृत्ति के बाद आपको इस कोष की जरुरत है)।
सुझाए गए फंडों में एचडीएफसी टॉप 200, एचडीएफसी प्रूडेंस, बिड़ला फ्रंटलाइन इक्विटी, डीएसपी मेरिल लिंच टाइगर बैलेंस्ड, सुंदरम सेलेक्ट फोकस और मैग्नम बैलेंस्ड शामिल हैं।
किसी फंड की प्रबंधनाधीन परिसंपत्ति की गणना किस प्रकार की जाती है? इस साल मार्च महीने के अंत में मैं रिलायंस टैक्स सेवर की शुध्द प्ररिसंपत्ति देख कर उलझ गया हूं। फरवरी 2008 में इसकी शुध्द परिसंपत्ति लगभग 2,111 करोड़ रुपये थी जो मार्च 2008 के अंत में घट कर लगभग 1,882 करोड़ रुस्पये हो गई। यह एक टैक्स सेवर फंड है इसलिए तीन साल से पहले इस योजना के यूनिटों को भुनाया भी नहीं जा सकता है, तो फिर इस फंड के आकार में कमी क्यों आई? -अचंत कृष्णशर्मा
किसी फंड की प्रबंधनाधीन परिसंपत्ति (एयूएम) की घोषणा प्रत्येक महीने की जाती है। एयूएम पोर्टफोलियो का कुल मूल्य होता है जो घोषण के दिन निवेशित होता है। सामान्य शब्दों में कहें तो एनएवी और यूनिटों की कुल संख्या को गुणा कर प्राप्त संख्या एयूएम होती है। इसलिए एयूएम में शेयर की कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव, यूनिटों के भुनाने और अतिरिक्त खरीदारी से भी उतार-चढ़ाव आते हैं।
मार्च महीने में रिलायंस टैक्स सेवर सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले फंडों में शामिल था। इस महीने के दौरान फंड के एनएवी में 15.54 प्रतिशत की गिरावट आई। परिसंपत्ति मूल्य के घटने से इसके एयूएम में भी गिरावट आई और उसकी प्रतिशतता समान थी।
ऐसे उतार-चढ़ाव तब और अधिक होते हैं जब मंदी के दिनों में किसी फंड पर यूनिट भुनाने का दबाव बनता है। सितंबर 2008 में यह फंउ अपना तीसरा वर्ष पूर्ण कर रहा है इसलिए जिन निवेशकों ने फंड के शुरुआत में अपना निवेश किया था, वे अपने यूनिटों को भुना सकते हैं।
मैं सोने में निवेश करने की योजना बना रहा हूं लेकिन यह निर्णय नहीं कर पा रहा कि मुझे गोल्ड ईटीएफ में निवेश करना चाहिए या फिर भौतिक सोने में। कृपया कुछ ईटीएफ और गोल्ड फंडों के बारे में बताइए। मैं लगभग एक लाख रुपये का निवेश करना चाहता हूं। -राघवेन्द्र रामाराओ
वैश्विक स्तर पर सोने की बढ़ती कीमतों से देर से ही सही लेकिन इस परिसंपत्ति वर्ग के निवेशकों को लाभ हुआ है। गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंडों (ईटीएफ), जिनमें से अधिकांश पिछले वर्ष लॉन्च किए गए हैं, से भौतिक सोने में निवेश करना आसान हो गया है।
सोने में सीधे तोर पर किए जाने वाले निवेश से तुलना करें तो ईटीएफ के कई लाभ हैं।ऐसे फंडों के यूनिटों का कारोबार मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंजों में किया जाता है, इसके साथ वेल्थ टैक्स की जिम्मेदारी भी नहीं जुड़ी होती है। इक्विटी बैंकिंग के बाद गोल्ड ईटीएफ दूसरा सबसे बेहतर प्रदर्शन करने वाला फंड बन कर उभरा है, इसने 26.62 प्रतिशत का प्रतिफल दिया है (16 अप्रैल 2008 के अनुसार)। फिलहाल बाजार में छह गोल्ड ईटीएफ फंड हैं जिनमें से केवल दो फंडों के एक साल से अधिक अवधि के प्रदर्शन का इतिहास है।
16 अप्रैल को यूटीआई गोल्ड ईटीएफ और गोल्ड बेंचमार्क ईटीएफ ने क्रमश: 26.66 और 26.58 प्रतिशत का प्रतिफल दिया था। डीएसपी मेरिल लिंच वर्ल्ड गोल्ड फंड जो अंतरराष्ट्रीय गोल्ड माइनिंग कंपनियों में निवेश करता है, आपके निवेश के लिए एक दूसरा विकल्प हो सकता है। पिछले नौ महीनों में इस फंड ने 45 प्रतिशत का प्रतिफल दिया है। टाटा एआईजी म्युचुअल फंड भी इसी प्रकार का एक फंड लॉन्च करने वाली है।