भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने बिजली, सड़क आदि के लिए फंड जुटाने को 15 साल की अवधि वाले इंफ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड जारी कर 10,000 करोड़ रुपये जुटाए हैं। इन बॉन्डों पर मिलने वाला ब्याज (कूपन रेट) 7.36 प्रतिशत है। बैंक का शुरुआत में 5,000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य था, लेकिन बॉन्डों को इतना अच्छा रिस्पांस मिला कि करीब चार गुना ज्यादा यानी 10,000 करोड़ रुपये जुटा लिए गए।
गौरतलब है कि सितंबर 2023 में भी एसबीआई ने ऐसे ही 15 साल के बॉन्ड जारी किए थे, जिस पर ब्याज दर 7.49 प्रतिशत थी। मौजूदा बॉन्डों पर मिलने वाला ब्याज सरकारी बॉन्डों के ब्याज से 21 आधार अंक ज्यादा है। ये बॉन्ड AAA रेटिंग वाले हैं, जिसका मतलब है कि इन पर निवेश करना सुरक्षित है। बैंक के अनुसार इस बिक्री के बाद अब उनके द्वारा जारी किए गए लॉन्ग टर्म बॉन्डों का कुल मूल्य 49,718 करोड़ रुपये हो गया है।
एसबीआई के चेयरमेन दिनेश खारा का कहना है कि इस बॉन्ड को जारी करने से लॉन्ग टर्म बॉन्ड बाजार को मजबूती मिलेगी और अन्य बैंकों को भी लंबी अवधि के बॉन्ड जारी करने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा। बैंक को कुल 143 आवेदन मिले, जो विभिन्न प्रकार के निवेशकों की व्यापक भागीदारी को दर्शाता है। इन निवेशकों में भविष्य निधि, पेंशन फंड, बीमा कंपनियां, म्यूचुअल फंड और कॉर्पोरेट कंपनियां आदि शामिल थीं।
जुटाए गए धन का उपयोग इंफ्रास्ट्रक्चर और किफायती आवास क्षेत्रों के लिए लॉन्ग टर्म संसाधनों को बढ़ाने में किया जाएगा। बैंक बोर्ड ने चालू वित्त वर्ष में लॉन्ग टर्म बॉन्डों के माध्यम से 20,000 करोड़ रुपये तक जुटाने की योजना को पहले ही मंजूरी दे चुका है। इस लक्ष्य में से वर्तमान बिक्री के माध्यम से 10,000 करोड़ रुपये जुटा लिए गए हैं।
इंफ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड से जुटाया गया पैसा बैंकों के लिए काफी फायदेमंद होता है। जानिए क्यों:
ज्यादा पैसा उधार देने के लिए मिलता है: आमतौर पर बैंक डिपॉजिट से पैसा जुटाते हैं। इस डिपॉजिट के एक हिस्से को उन्हें सरकारी नियमों के अनुसार रिजर्व बैंक के पास डिपॉजिट रखना होता है। इसे कैश रिजर्व रेश्यो (सीआरआर) और स्टेट्यूटरी लिक्विडिटी रेश्यो (एसएलआर) कहते हैं।
उदाहरण के लिए, मान लीजिए किसी बैंक ने 100 रुपये डिपॉजिट के तौर पर जुटाए हैं तो उसे सीआरआर के लिए 4.5 रुपये और एसएलआर के लिए करीब 18 रुपये अलग से रखने होंगे। लेकिन, इंफ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड से जुटाए गए पैसे पर ये नियम लागू नहीं होते हैं। यानी बैंक को पूरा 100 रुपया उधार देने के लिए इस्तेमाल कर सकता है। इस तरह बैंक के पास डिपॉजिट पूंजी बढ़ जाती है और वो ज्यादा लोगों को लोन दे सकता है।