देश के सबसे बड़े कर्जदाता भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने छोटे और मझोले उद्यमों (एसएमई) द्वारा डेट और इक्विटी के माध्यम से एकत्र किए गए धन के इस्तेमाल पर नजर रखने के लिए एक साझा तंत्र बनाने की वकालत की है, जिससे ऋणदाताओं और निवेशकों को मूल्य निर्धारण अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने में सहूलियत हो।
स्टेट बैंक के चेयरमैन सीएस शेट्टी ने भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा प्रतिभूति बाजार पर आयोजित एक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए (वर्चुअली) कहा, ‘हमें इन निधियों के वास्तविक उपयोग पर नजर रखने के लिए एक व्यावहारिक तंत्र की जरूरत होगी, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि फंड का उपयोग उन्हीं उद्देश्यों के लिए किया जाए, जिनके लिए उन्हें हासिल किया गया है।’
उन्होंने कहा कि सभी हितधारक बाजार बुनियादी ढांचे के लिए एक अलग संस्थान स्थापित कर सकते हैं, जिसके पास उधार ली गई धनराशि या इक्विटी से जुटाई गई धनराशि के उपयोग पर नज़र रखने का अधिकार हो। बैंकरों ने कहा कि छोटी इकाइयों का प्रबंधन ज्यादातर व्यक्तिगत रूप से या परिवारों द्वारा किया जाता है। ऐसे में व्यवसाय और घरेलू उद्देश्यों के लिए खातों के संचालन में अंतर अक्सर बहुत मामूली होता है। इससे धन के इधर उधर इस्तेमाल के बारे में सवाल उठते हैं।