भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बैंकों को इंटरनल खातों के दुरुपयोग को लेकर चेतावनी दी है। इन खातों का इस्तेमाल धोखाधड़ी और लोन चुकाने की अवधि बढ़ाने (एवरग्रीनिंग) में किया जा रहा है। RBI ने पाया है कि कुछ बैंकों में बिना किसी ठीक वजह के बहुत सारे इंटरनल खाते हैं और इनका गलत कामों में इस्तेमाल हो रहा है।
RBI ने बैंकों से इन खातों को कम करने और सिर्फ जरूरी खातों को ही रखने को कहा है। साथ ही कहा है, बैंक इन खातों पर बेहतर नियंत्रण रखें, नियमित जांच करें और बोर्ड की ऑडिट समिति को रिपोर्ट दें।
रिज़र्व बैंक (RBI) के डिप्टी गवर्नर स्वामीनाथन जे ने बैंकों को संबोधित करते हुए कहा कि “पिछले कुछ सालों में इंटरनल खातों के नियंत्रण और मैनेजमेंट पर बहुत ध्यान दिया जा रहा है। हमें कुछ ऐसे बैंक मिले जिनके पास लाखों की संख्या में आंतरिक खाते हैं, जिनका कोई स्पष्ट कारण नहीं है।”
उन्होंने आगे कहा कि “इनमें से कुछ खातों का इस्तेमाल धोखाधड़ी और लोन चुकाने की अवधि बढ़ाने (एवरग्रीनिंग) के लिए भी किया जा रहा है। इंटरनल खाते दुरुपयोग की संभावना के चलते काफी जोखिम वाले होते हैं।”
इसलिए उन्होंने मुख्य वित्तीय अधिकारियों (CFOs) को निर्देश दिया कि वे इन खातों को घटाएं और सिर्फ जरूरी खातों को ही रखें। साथ ही उन्होंने कहा, बैंकों को इन खातों पर बेहतर नियंत्रण रखने के लिए नियमित जांच करनी चाहिए और बोर्ड की ऑडिट समिति को रिपोर्ट देनी चाहिए।
RBI ने सिर्फ बैंकों को ही नहीं, बल्कि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) को भी चेतावनी दी है। RBI को चिंता है कि ये कंपनियां जाली खातों (म्यूल अकाउंट) का इस्तेमाल डिजिटल धोखाधड़ी के लिए कर रही हैं। साथ ही, RBI ने इस बात पर भी चिंता जताई है कि ये कंपनियां Ind AS नियमों के तहत लोन लॉस के आंकलन (इंपेयरमेंट फ्रेमवर्क) को सही तरीके से लागू नहीं कर रही हैं।
RBI चाहता है कि NBFC अपने खुलासे (डिस्क्लोज़र) की गुणवत्ता बेहतर बनाएं, खासकर लोन चुका न पाने की आशंका (ECL) के मामले में। इसके अलावा, RBI ने एसेट रीकंस्ट्रक्शन कंपनियों (ARCs) को भी दिशानिर्देश जारी किए हैं, ताकि वो प्रबंधन शुल्क और खर्चों के लिए सही प्रावधान रखें।
रिजर्व बैंक (RBI) ने नई तकनीकों के इस्तेमाल से पैदा होने वाली चुनौतियों को भी सामने रखा है। इन नई तकनीकों में, किसी दूसरे कंपनी की सेवा लेना (थर्ड पार्टी सर्विस प्रोवाइडर) शामिल है। RBI ने ऑडिटरों को ये जांचने के लिए कहा है कि क्या कंपनी का मैनेजमेंट इन नई तकनीकों के असर का सही आंकलन कर पा रहा है, खासकर कंपनी के आंतरिक नियंत्रण और वित्तीय रिपोर्टिंग पर।