वित्त-बीमा

प्राइवेट बैंक छुपा रहे हैं खुदरा संपत्ति की बिगड़ती गुणवत्ता

असुरक्षित ऋण एनपीए में बढ़ोतरी और अंडरराइटिंग मानकों में गिरावट को लेकर रिजर्व बैंक ने जताई चिंता

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मनोजित साहा   
Last Updated- December 30, 2024 | 11:15 PM IST

बैंकिंग प्रणाली की कुल परिसंपत्ति गुणवत्ता निरंतर बेहतर हो रही है लेकिन भारतीय रिजर्व बैंक की वित्तीय स्थायित्व रिपोर्ट में निजी बैंकों के बट्टे खाते पर चिंता जताई गई है। इसमें कहा गया है कि इससे खुदरा ऋण खंड में परिसंपत्ति की गुणवत्ता में गिरावट और अंडराइटिंग मानकों में कमी को आंशिक रूप से छुपाया जा सकता है।

रिपोर्ट के अनुसार अभी तक बैंकों के खुदरा ऋण की गुणवत्ता स्थिर बनी हुई है। बैंकों की सकल गैर निष्पादित आस्तियों (जीएनपीए) का अनुपात सितंबर 2024 में 1.2 फीसदी था और प्रमुख संकेतक श्रेणी 1 और 2 के विशेष उल्लेख वाले खातों में गैर निष्पादित आस्तियों में अनुपात सितंबर 2024 में घटकर 2.5 फीसदी पर आ गया जबकि यह एक साल पहले की अवधि में 3.0 फीसदी था। असुरक्षित ऋण का जीएनपीए अनुपात कुछ अधिक 1.7 फीसदी था। रिपोर्ट के अनुसार ‘निजी क्षेत्र के बैंकों (पीवीबी) में बट्टे खाते का तेजी से बढ़ना चिंता का विषय है। जो आंशिक रूप से इस सेगमेंट में संपत्ति की गुणवत्ता में गिरावट और अंडरराइटिंग मानकों में कमी को छुपा सकता है।’

खुदरा ऋण पोर्टफोलियो में एनपीए की ताजा वृद्धि भी असुरक्षित ऋण खाते में फिसलन पर हावी थी, सितंबर 2024 के अंत तक असुरक्षित ऋणों की हिस्सेदारी 51.9 फीसदी थी। बैंकों के समूह में लघु वित्त बैंक (एसएफबी) अपने खुदरा ऋण पोर्टफोलियो में बड़ी गिरावट देख रहे हैं। उनका जीएनपीए अनुपात 2.7 फीसदी, एसएमए (1+2) अनुपात 3.6 फीसदी और असुरक्षित जीएनपीए का अनुपात 4.7 फीसदी था।

इस रिपोर्ट के अनुसार बैंकिंग प्रणाली में नकदी कवरेज अनुपात (एलसीआर) सितंबर 2023 के 135.7 फीसदी से गिरकर सितंबर 2024 में 128.5 फीसदी हो गया। हालांकि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने एलसीआर में कहीं ज्यादा गिरावट देखी। रिपोर्ट के अनुसार ‘सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) का एलसीआर सितंबर 2023 के 142.1 फीसदी से तेजी से गिरकर सितंबर 2024 में 127.4 फीसदी पहुंच गया। हालांकि निजी क्षेत्र के बैंकों का एलसीआर मामूली रूप से गिरकर 126.1 फीसदी पर आ गया है।’

First Published : December 30, 2024 | 11:15 PM IST