सटीक इंजीनियरिंग

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 10:46 AM IST

इंजीनियरिंग और निर्माण उद्योग अर्थव्यवस्था के विकास से नजदीकी से जुड़ा हुआ है और विशेषकर विकासशील देशों में तो इसका खास महत्व है क्योंकि इन देशों में बुनियादी संरचना पर विशेष ध्यान दिया जाता है।


भारत भी कई साल से अर्थव्यवस्था की तेज रफ्तार की वजह से विकास की ओर अग्रसर है। भारत ने भी अपने विकास के लिए बुनियादी संरचना,निर्माण और अन्य इंजीनियरिंग गतिविधियों में तेजी से पूंजी खर्च की है। इस लिहाज से इंजीनियरिंग और पूंजीगत वस्तु क्षेत्र में लगी कंपनियों के लिए लंबी अवधि में बेहतर संभावनाएं नजर आती हैं।

ऐसे माहौल में लार्सन एंड टुब्रो (एलऐंडटी) की याद आती है जिसके पास इंजीनियरिंग और निर्माण क्षेत्र का अनुभव होने के साथ विकास की भी जबरदस्त क्षमता भी है। कंपनी की औद्योगिक कार्यों के लिए उपकरणों की आपूर्ति, ईपीसी, पॉवर जेनरेशन, सड़कों और बिल्डिंगों के निर्माण की क्षमता पर कोई संदेह व्यक्त नहीं किया जा सकता है। कंपनी का कारोबार तेल एवं गैस, एयरपोर्ट, पाइपलाइन, रेलवे और शिप बिल्डिंग जैसे क्षेत्रों में फैला हुआ है जिन क्षेत्रों का देश की आर्थिक वृद्धि दर से गहरा संबंध है।

कई क्षेत्रों में कंपनी का कारोबार का फैला होना कंपनी को कारोबार में जोखिम कम करने का अवसर प्रदान करता है और कंपनी उभरते और बढ़ते हुए क्षेत्र में अपना कारोबार फैला सकती है। इसके अलावा कंपनी की मध्य-पूर्व में भी अच्छी खासी उपस्थिति है और कंपनी का 20 फीसदी राजस्व निर्यात से आता है।

विकास के लिए नए क्षेत्रों में निवेश

मजबूत अर्थव्यवस्था और विभिन्न क्षेत्रों में निवेश की रणनीति से कंपनी को अपनी बढ़त को बरकरार रखने में मदद मिली है। इसका संकेत हमें कंपनी की ऑर्डर बुक में भी देखने पर मिलता है। कंपनी की ऑर्डर बुक में पिछले तीन साल में 41.3 फीसद की बढ़ोतरी हुई है। कंपनी की ऑर्डर बुक मौजूदा समय में 52,700 करोड़ रुपये केस्तर पर है जो कि कंपनी के वित्त्तीय वर्ष 2008 में कमाए गए राजस्व से तीन गुना ज्यादा है।

कंपनी की बढ़त के बरकरार रहने की संभावना है क्योंकि कंपनी के मुख्य कारोबार की ग्रोथ लगातार बना हुई है। कंपनी का करीब 75 फीसद राजस्व इंजीनियरिंग और कंस्ट्रक्शन से आता है जिसमें वित्त्तीय वर्ष 2008 में 44.5 फीसद की बढत दर्ज की गई। इस साल भी कंपनी की बढ़त के 40 फीसद के करीब बढ़ने की संभावना है क्योंकि कंपनी की ऑर्डर बुक बहुत मजबूत है। इन वजहों से कंपनी की लंबी अवधि की बढ़त बेहतर दिखाई देती है।

कंपनी रक्षा, जहाज निर्माण और रेलवे के सेक्टर में भी अपनी क्षमताओं को बढ़ा रही है और इसके लिए कंपनी 3,000 करोड़ रुपये के निवेश से तमिलनाडु में हजीरा में एक इंटीग्रेटेड जहाज कारखाने का निर्माण कर रही है। हालांकि प्रस्तावित शिपयार्ड पर बड़े जहाज नहीं बनाए जा सकते हैं फिर भी व्यावसायिक जहाज निर्माण में प्रवेश से कंपनी को अपने कारोबार को बढ़ाने में मदद मिलेगी। कंपनी के इस शिप बिल्डिंग यार्ड के वित्त्तीय वर्ष 2010 से परिचालित होने की संभावना है।

इसके अलावा कंपनी को रेलवे से 1,047 करोड़  रुपये का ऑर्डर मिला है। एक साल पहले कंपनी ने रेलवे निर्माण कारोबार में प्रवेश करने का निर्णय लिया था जिसमें कंपनी ने फ्रेट कॉरिडोर और रेलवे स्टेशनों के आधुनिकीकरण को अपना लक्ष्य बनाने का निर्णय लिया था। कंपनी के इस कदम का फायदा निश्चित तौर पर कंपनी को मिल रहा है।

विभिन्न क्षेत्रों में कारोबार को फैलाने की अपनी योजनाओं से कंपनी को संपत्ति केनिर्माण और विकास के लिए ठेके हासिल करने में सफलता मिली। कंपनी को सीवुड , नवी मुंबई में संपत्ति विकास के लिए 3,500 करोड़ रुपये का ऑर्डर मिला है। इसके अलावा कंपनी को बाम्बे डाईंग से भी 2,000 करोड़ रुपये में व्यवसायिक और रेजीडेंशियल काम्पलेक्स बनाने का ठेका प्राप्त हुआ है।

बिजली क्षेत्र में संभावनाएं

बिजली क्षेत्र भी कंपनी के लिए बढ़त प्राप्त करने के लिए बेहतर जरिया हो सकता है। मौजूदा समय में कंपनी पॉवर जेनरेशन के लिए ईपीसी और बीओपी सुविधाओं के अलावा डिस्ट्रीब्यूशन और ट्रांसमिशन की सुविधाएं प्रदान करती है। अब एलऐंडटी उन कंपनियों में शामिल हो रही है जो सीधे पॉवर स्टेशन का विकास कर सकती है। इसके लिए कंपनी जापान की मित्सुबिशी हैवी इंड्रस्टीज के साथ मिलकर हजीरा में संयुक्त उपक्रम स्थापित कर रही है जिससे कंपनी को 4,000 मेगॉवाट की क्षमता वाले पॉवर स्टेशन के लिए उपकरणों का निर्यात करने की क्षमता हासिल हो जाएगी।

गौरतलब है कि कंपनी को 800 मेगॉवाट के दो पॉवर स्टेशन के लिए उपकरणों की आपूर्ति का ठेका 1,557 करोड़ रुपये में पहले ही मिल चुका है जिसमें कंपनी सुपरक्रिटिकल टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करेगी।  कंपनी के पास अब पॉवर सेक्टर से ज्यादा से ज्यादा ठेके प्राप्त करने का अवसर है विशेषकर सुपर क्रिटिकल टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में जो ज्यादा किफायती और पर्यावरण के अनुकूल है।

रिपोर्ट के अनुसार 12 वीं योजना के तहत कुल बिजली क्षमता 114,018 मेगावॉट में 54,080 मेगावॉट का आधार सुपरक्रिटिकल टेक्नोलॉजी होगी। इसकेअलावा कंपनी 2,000 मेगावॉट कुंदनकुलम परमाणु परियोजना पर भी काम कर रही है। यदि परमाणु बिजली के क्षेत्र में कोई भी योजना बनती है तो उसमें लाभ अर्जित करने वाली कुछ कंपनियों में एलऐंडटी भी होगी।

वैश्विक पहुंच

कंपनी अपने कारोबार को वैश्विक स्तर पर ले जाने के विषय में भी सोच रही है विशेषकर पश्चिम एशिया में। विश्लेषकों के अनुसार पश्चिम एशिया के देशों में तेल,गैस और बुनियादी ढांचा निर्माण के क्षेत्र में बेहतर अवसर हैं जिनकी कीमतें कच्चे तेल की कीमतों से निर्धारित होती हैं। कंपनी इसके लिए संयुक्त उपक्रम और एक विनिर्माण केंद्र बनाने के बारे में भी सोच रही है ताकि अवसरों का पूरी तरह से फायदा उठाया जा सके। कंपनी ओमान के तेल एवं गैस क्षेत्र के लिए ऑफशोर और रिग उपकरणों का निर्माण भी कर रही है। इसके बाद कंपनी का विचार अन्य वैश्विक कंपनियों के लिए रिग और ऑफशोर उपकरणों की आपूर्ति करने का है।

बढ़ेगी कीमत

छोटे स्तर पर ही सही, लेकिन कंपनी ने फाइनैंसिंग और आईटी सॉल्यूशन प्रदान करने के कारोबार में भी कदम रखा है और इसके लिए कंपनी ने एलऐंडटी फाइनैंस और एलऐंडटी इन्फोटेक का निर्माण किया है। कंपनी अपने मौजूदा परिचालन को 2010 तक 12 अलग अलग शाखाओं में बांटने के बारे में विचार कर रही है। जिसमें कंपनी का विचार एलऐंडटी इन्फोटेक और एलऐंडटी फाइनैंस को शेयर बाजार में सूचीबद्ध कराना भी है ताकि कंपनियों में लगाई गई कीमत को अर्जित किया जा सके।

निवेश

कंपनी की अगले दो सालों में बढ़त 30 से 35 फीसद के करीब रहनी चाहिए क्योंकि कंपनी की ऑर्डर बुक काफी मजबूत है। इसके बावजूद भी कच्चे माल की बढ़ती कीमतों के चलते कंपनी का लाभ मौजूदा स्तर पर स्थिर रहेगा क्योंकि कंपनी ने निश्चित मूल्य के कांट्रेक्ट की संख्या घटा दी है। कंपनी को कमोडिटी प्राइस से भी लाभ अर्जित करना चाहिए।

मौजूदा बाजार मूल्य 2,357 रुपये पर कंपनी के स्टॉक का कारोबार वित्त्तीय वर्ष 2009 में अनुमानित आय से 22 गुना और वित्त्तीय वर्ष 2010 में अनुमानित आय से 17 गुना के स्तर पर हो रहा है। मौजूदा समय में औद्योगिक उत्पादन घटने की खबरें कंपनी की सेहत के लिए अच्छी नहीं हैं। लेकिन उसके कारोबार की प्रकृति और कंपनी की मजूबत ऑर्डर बुक को देखते हुए निवेशक लंबी अवधि में लाभ प्राप्त करने के लिए कंपनी के शेयरों की खरीद में पैसा लगा सकते हैं।

First Published : July 13, 2008 | 10:54 PM IST