पेमेंट्स बैंकों को लगता है कि उन्हें भी देर-सबेर छोटे आकार के कर्ज वितरण की मंजूरी मिल जाएगी। इस क्षेत्र से जुड़े एक सूत्र ने यह उम्मीद जताई। पेमेंट्स बैंक ऋण देने की मंजूरी हासिल करने के लिए पिछले कुछ समय से भारतीय रिजर्व बैंक के साथ बातचीत कर रहे हैं।
एक पेमेंट्स बैंक के वरिष्ठ अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘पेमेंट्स बैंक इस समय प्रतिकूल परिस्थितियों से गुजर रहे हैं। अगर उन्हें ऋण आवंटन की मंजूरी मिल जाए तो इससे उन्हें अपना कारोबार मजबूत बनाने में मदद मिलेगी।’
आरबीआई ने पेमेंट्स बैंकों को अपने ग्राहकों को ऋण देने की मंजूरी नहीं दी है। हालांकि, ये बैंक अपने संसाधनों से अपने कर्मचारियों को ऋण दे सकते हैं। मगर इसके लिए भी उन्हें कुछ शर्तें पूरी करनी पड़ती हैं। ऐसे ऋणों के लिए सीमा भी तय है।
पेमेंट्स बैंकों को ऋण आवंटित करने की अनुमति देने की संभावनाओं के बारे में आरबीआई और वित्त मंत्रालयों को भेजे गए ई-मेल का समाचार लिखे जाने तक कोई जवाब नहीं आया था।
एक पेमेंट्स बैंक के पूर्व अधिकारी ने कहा, ‘पेमेंट्स बैंक शुरू करने का मुख्य मकसद कारोबारियों की जरूरतें पूरी करना था। इनमें उधारी एवं अन्य सेवाएं शामिल थीं। लिहाजा इन बैंकों को ऋण आवंटित करने की मंजूरी दी जाती है तो यह एक स्वागत योग्य कदम होगा। अगर ऐसा नहीं होता है तो पेमेंट्स बैंक बंद होने की कगार पर पहुंच जाएंगे।’
अगस्त 2015 में आरबीआई ने 11 पेमेंट्स बैंकों को लाइसेंस आवंटित किए थे। इनमें से पांच ने कारोबार शुरू करने से पहले ही लाइसेंस लौटा दिए थे जिसके बाद इस खंड में केवल 6 इकाइयां ही रह गई थीं। इनमें एयरटेल पेमेंट्स बैक, पेटीएम पेमेंट्स बैंक, इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक, फिनो पेमेंट्स बैंक, एनएसडीएल पेमेंट्स बैंक और जियो पेमेंट्स बैंक शामिल थीं। हाल में आरबीआई ने पेटीएम पेमेंट्स बैंक को जमा रकम लेने और नए ग्राहक जोड़ने से रोक दिया था। इस तरह, पेटीएम पेमेंट्स बैंक का कारोबार ठप हो गया।
पेमेंट्स बैंकों को ग्राहकों से 2 लाख रुपये तक जमा रकम लेने की अनुमति है मगर वे ऋण मुहैया नहीं कर सकते हैं। वित्त वर्ष 2014-15 के बजट में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पेमेंट्स बैंकों सहित विभिन्न प्रकार के बैंकों को लाइसेंस देने के लिए एक नया ढांचा शुरू किया था।
एक अन्य पेमेंट्स बैंक के अधिकारी ने कहा, ‘पिछले कुछ वर्षों के दौरान पेमेंट बैंकों ने पूरे देश में विशाल तंत्र तैयार किया है। अगर इन बैंकों को ऋण देने की मंजूरी मिलती है तो ग्राहकों को एक ही जगह से रकम निकासी और ऋण लेने की सुविधा मिल सकती है। डिजिटल माध्यम में ग्राहकों की गतिविधियों के संबंध में पेमेंट बैंकों के पास काफी जानकारियां मौजूद रहती हैं इसलिए ऋण देने की मंजूरी दिए जाने पर इनके कारोबार को दम मिलेगा। पेमेंट्स बैंक छोटे आकार के ऋणों के साथ शुरुआत कर सकते हैं और उसके बाद सुरक्षित ऋणों के खंड में कदम रख सकते हैं।’
उन्होंने कहा कि तकनीक पर पेमेंट्स बैंकों को काफी लागत आई है। अधिकारी ने कहा, ‘फिलहाल हम सरकारी प्रतिभूतियों एवं फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश करते हैं। इसमें मुनाफा कमाने की बहुत अधिक गुंजाइश नहीं होती है। छोटे ऋण देने की अनुमति मिल जाए तो हमें अधिक मार्जिन हासिल करने में मदद मिलेगी और हमारा कारोबारी ढांचा भी टिकाऊ रहेगा।’