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केंद्रीय कैबिनेट ने शनिवार, 24 अगस्त को एकीकृत पेंशन योजना (UPS) को मंजूरी दी, जिससे रिटायरमेंट के बाद पेंशन की गारंटी मिलेगी। UPS को 1 अप्रैल, 2025 से लागू किया जाएगा। यह कदम केंद्रीय सरकार के कर्मचारियों की लंबे समय से चली आ रही नई पेंशन योजना (NPS) में सुधार की मांग के बाद उठाया गया है।
कैबिनेट के फैसलों की जानकारी देते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, “सरकारी कर्मचारियों की ओर से NPS (नई पेंशन योजना) में सुधार की मांग की जा रही थी… प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस पर अप्रैल 2023 में टी.वी. सोमनाथन (जो उस समय वित्त सचिव थे) की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया… व्यापक विचार-विमर्श और चर्चाओं के बाद, जिसमें जेसीएम (संयुक्त परामर्श तंत्र) भी शामिल था, समिति ने एकीकृत पेंशन योजना की सिफारिश की है। आज केंद्रीय कैबिनेट ने इस योजना को मंजूरी दे दी है।”
वैष्णव ने कहा कि एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) के तहत सरकारी कर्मचारियों को अब सेवानिवृत्ति से पहले के अंतिम 12 महीनों में मिले औसत मूल वेतन का 50 प्रतिशत पेंशन के रूप में मिलेगा। उन्होंने बताया कि पेंशन के रूप में वेतन का 50 प्रतिशत पाने के लिए न्यूनतम सेवा अवधि 25 वर्ष होनी चाहिए। हालांकि, न्यूनतम 10 साल की सेवा के लिए आनुपातिक रूप से पेंशन दी जाएगी।
आइए, जानते हैं NPS और UPS में क्या अंतर है…
क्या है UPS?
यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) केंद्र की एनडीए सरकार की नई पहल है। यह ओल्ड पेंशन स्कीम की तरह काम करेगी। इसमें न्यू पेंशन स्कीम (NPS) के कुछ आवश्यक लाभ भी शामिल किए गए हैं। साथ ही, इसमें निश्चित पेंशन की गारंटी भी दी जाएगी।
क्या है NPS?
नई पेंशन योजना (NPS) को 2004 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने शुरू किया था, जिसका उद्देश्य पुरानी पेंशन योजना (OPS) की जगह लेना था। हालांकि, इस योजना का आरंभ से ही विरोध हुआ और यह विरोध लंबे समय से जारी है।
NPS के तहत, कर्मचारियों से भी पेंशन के लिए योगदान लिया जाने लगा, जो कि पुरानी योजना से अलग था। इसके अलावा, इस योजना में कुछ अन्य प्रावधान भी शामिल थे, जैसे कि पेंशन की 60 प्रतिशत राशि कर्मचारी द्वारा निकाली जा सकती थी, जबकि शेष 40 प्रतिशत राशि पर कर्मचारी के सैलरी ब्रैकेट के अनुसार टैक्स लगाया जाता था।
एनपीएस को दो भागों में बांटा गया है: टियर 1 खाते और टियर 2 खाते। जो व्यक्ति टियर 1 खाता चुनते हैं, वे केवल सेवानिवृत्ति के बाद ही पैसे निकाल सकते हैं, जबकि टियर 2 खाते में समय से पहले निकासी की अनुमति होती है।
आयकर अधिनियम की धारा 80 CCD के तहत, एनपीएस (नेशनल पेंशन स्कीम) में निवेश करने पर 1.5 लाख रुपये तक की कर छूट मिलती है। एनपीएस की कुल राशि का 60 प्रतिशत निकालने पर यह कर-मुक्त हो जाता है। यह योजना सेवानिवृत्ति के लिए योजना बनाने में आकर्षक विकल्प बन जाती है क्योंकि यह एकमुश्त राशि प्राप्त करने की संभावना भी प्रदान करती है।
यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) और नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) के बीच कई महत्वपूर्ण अंतर हैं:
फिक्स पेंशन बनाम बाजार आधारित पेंशन: UPS के तहत, केंद्र सरकार के कर्मचारियों को फिक्स पेंशन दी जाएगी, जो उनकी सेवानिवृत्ति से पहले की अंतिम सैलरी का 50% होगी। दूसरी ओर, NPS में पेंशन बाजार के रिटर्न पर निर्भर होती थी, जिससे पेंशन की राशि में उतार-चढ़ाव होता रहता था।
योगदान प्रतिशत: UPS में, कर्मचारी अपनी सैलरी का 10% पेंशन के लिए जमा करेंगे, जबकि सरकार 18.5% का योगदान करेगी। पहले NPS में सरकार का योगदान 14% था, जिसे अब UPS में बढ़ा दिया गया है।
फिक्स पेंशन और एकमुश्त राशि: UPS के तहत, 25 साल की सेवा के बाद सरकारी कर्मचारियों को फिक्स पेंशन के साथ-साथ एकमुश्त राशि भी मिलेगी, जो महंगाई दर के हिसाब से बढ़ेगी। NPS में, कई कर्मचारियों को बहुत कम पेंशन राशि ही मिल रही थी।
सुनिश्चित पेंशन: NPS में कोई सुनिश्चित पेंशन नहीं थी, जबकि UPS में 25 साल की सेवा के बाद आखिरी सैलरी का कम से कम 50% पेंशन सुनिश्चित की गई है। 10 साल की सेवा के बाद UPS में न्यूनतम 10,000 रुपये की पेंशन की गारंटी होगी, जो NPS में नहीं है।
बाजार पर निर्भरता: NPS में पेंशन पूरी तरह से बाजार के उतार-चढ़ाव पर निर्भर थी। UPS में बाजार पर निर्भरता को काफी हद तक कम कर दिया गया है, जिससे कर्मचारियों को अधिक स्थिरता मिलती है।
एनपीएस का इतिहास: NPS को 2004 में शुरू किया गया था, और 2009 में इसे प्राइवेट सेक्टर के लिए भी खोल दिया गया था। NPS का प्रबंधन पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (PFRDA) द्वारा किया जाता है।