यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया की अश्योर्ड रिटर्न योजनाएं अपने हाथ में लेने वाली स्पेशल अंडरटेकिंग ऑफ यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया (एसयूयूटीआई) को यूएस-64 बॉण्ड के भुगतान में परेशानियां पेश आ रही हैं।
एसयूयूटीआई ने साल 2002 में इन योजनाओं का जिम्मा उठाया था। करीब 4000 करोड़ रुपये की कीमत वाले यूएस-64 बॉण्ड के बॉण्डपत्र बॉण्डधारकों के पास मौजूद हैं, जिनका भुगतान 31 मई को होना है।
एसयूयूटीआई को बॉण्डधारकों कुल 8000 करोड़ रुपये का भुगतान करना है, जिसमें से 4000 करोड़ रुपये के बॉण्ड, ट्रस्ट, सहायतार्थ संस्थाओं और बैंकों के पास हैं। इसके अलावा करीब 3300 करोड़ रुपये के बॉण्ड अन्य संस्थाओं और खुदरा निवेशकों के पास डीमैट के रूप में हैं, जिनका भुगतान खुद ब खुद हो जाएगा।
वास्तव में, संस्थाओं द्वारा डीमैट रूप में रखे गए 700 करोड़ रुपये के बॉण्ड्स के भुगतान के साथ भारत की इस सबसे बड़ी भुगतान प्रक्रिया की शुरुआत हो चुकी है लेकिन बॉण्ड पत्र के रूप में रखे गए बॉण्ड के भुगतान के लिए इन निवेशकों तक पहुंचना एसयूयूटीआई के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है।
एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि इस बात के पूरे आसार हैं कि निवेशकों के पते अब तक बदल चुके हों और गलत पते पर चेक भेजने का जोखिम नहीं उठाया जा सकता है। कुछ निवेशकों को अब भी लगता है कि यूएस-64 अब भी चल रही है। अब भुगतान की तारीख बीत जाने के बाद एक महीने तक इंतजार किया जाएगा और फिर सरकार को यह फैसला करना होगा कि उन बॉण्ड्स का क्या किया जाए जिनका भुगतान नहीं हो पाया है।
जिन निवेशकों के पास 200 बॉण्ड थे उन्हें बॉण्ड सर्टिफिकेट जमा करने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि पैसे सीधे उनके खाते में डाल दिए जाएंगे। बाकी निवेशकों को 25 मई तक सर्टिफिकेट जमा कराना था। यूटीआई के विघटन के बाद साल 2003 में यूएस-64 बॉण्ड उन निवेशकों को जारी किए गए थे जिनके पास भारत की पहली म्यूचुअल फंड योजना यूनिट स्कीम 64 के यूनिट थे।