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नो वैकेंसी

Last Updated- December 06, 2022 | 9:03 PM IST

बेंगलुरु को छोड़कर देश के सभी टूरिस्ट और बिजनेस डेस्टिनेशन में प्रीमियम सेक्टर के होटल के कमरों के किराए में 21 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई है।


किराए में  इस तरह बढ़ोतरी का कारण कहीं न कहीं आपूर्ति की समस्या भी रही। लोगों की खर्च करने की क्षमता बढ़ी है। इसका फायदा उठाने के लिए कई घरेलू और विदेशी होटल खिलाड़ी अपने होटलों का निर्माण कर रहे हैं। पर्यटन उद्योग केअनुमान के अनुसार 2010 तक भारतीय होटलों में 80,000 कमरे और जुड़ जाएंगे।


अभी होटलों की क्षमता 1,00,000 कमरों की है। जबकि उस समय तक यह मांग 1.5 लाख कमरों तक पहुंच जाएगी। देश में होटल के निर्माण को लेकर चल रही स्पर्धा का कारण कहीं न कहीं भारत को एक पर्यटन स्थल के रुप में उभरने का सूचक है।


होटल निर्माणकर्ताओं का ध्यान उन पर्यटकों का भी ध्यान आकर्षित करना है जो देश में टूरिस्ट इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी होने केकारण दूसरे देशों की ओर आकर्षित हो जाते हैं। देश में 26 विश्व विरासत स्थल होने के बावजूद भारत में सिर्फ 50 लाख पर्यटकों का आगमन होता है जो विश्व में पर्यटकों के यातायात के एक फीसदी से भी कम है।


कमरों की कमी


थाईलैंड में भारत से तीन गुना पर्यटक आते हैं और इसका कारण देश में पर्यटकीय सुविधाओं का कम होना है। दिल्ली और मुंबई दोनों बड़े शहरों को मिलाकर सिर्फ 45,000 कमरे ही हैं जबकि बैकांक में अकेले ही 60,000 कमरे हैं जिसमें विदेशी पर्यटक रुक सकते हैं।


पर्यटन उद्योग का मानना है कि जैसे जैसे अर्थव्यवस्था का प्रसार होगा, देश के प्रमुख पर्यटक स्थलों दिल्ली, गोवा, मुंबई और बेंगलुरु में कमरों की कमी लगातार बढ़ती ही जाएगी। इन स्थानों में कमरों का जबरदस्त महंगा होने और इनके दामों में पिछले सालों में 15 से 20 फीसदी की सालाना बढ़ोतरी का कारण आपूर्ति की कमी है और इसके जारी रहने के आसार हैं।


क्या प्रभावित हुआ राजस्व


हालांकि होटल के टैरिफ का बढ़ना मौजूदा बड़े होटलों के लिए सही है लेकिन क्या नए बनने वाले होटलों से प्राइस वार और राजस्व में कमी होने की संभावना बढ़ेगी? बेंगलुरु जैसे शहरों में पर्याप्त मात्रा में सप्लाई होने के कारण इन टैरिफ के कुछ संतुलित होने की संभावना है। क्रिसिल रिसर्च केअनुसार अगले दो सालों में 300 और कमरों की बढ़ोतरी के साथ बेंगलुरु के रुम रेंट में कमी आने के आसार हैं।


अभी बेंगलुरु में एक प्रीमियम श्रेणी के रुम का किराया 14,000 रुपये है और अगले दो सालों इसके घटकर 10,000 रुपये पर आने के आसार हैं। हालांकि विश्लेषकों का मानना है कि यह कमी  कुछ निश्चित शहरों में होगी जहां पर कुछ समय पहले छोटे से ही समय के दौरान तेजी से दाम बढ़े थे। एमके शेयर के रिसर्च हेड दलजीत कोहली के अनुसार कुछ स्थानों पर दामों के मंदे रहने केआसार हैं और यह इस सेक्टर में नए खिलाड़ियों के प्रवेश के कारण होगा।


हालांकि यह एक छोटे से समय के लिए ही होगा और मांग केबढ़ते ही कीमतों में फिर इजाफा होगा। क्या इस मझोले और छोटे उतार-चढ़ावों से होटलों की सूची पर भी असर पड़ेगा? जबकि होटल के कमरों का सीधा संबंध होटल की कमाई और अर्जित राजस्व से होता है इसलिए कमरों से मिलने वाले दामों में कमी आने पर इसका सीधा असर होटलों की आर्थिक स्थिति पर पड़ेगा।


पॉयनियर इंटरमीडियरीज के विश्लेषक अमोल राव का कहना है कि होटल कारोबार से जुड़े स्टॉक में बेहतर आपूर्ति की संभावनाओं के चलते वित्तीय वर्ष 2009 तक कमी आ सकती है। ओबेरॉय होटल ग्रुप के प्रबंधक केटकी नारायण का कहना है कि पिछले साल ब्रांडेड होटलों में पिछले चार साल की 65 फीसदी की तुलना में ऑक्यूपेंसी रेट 72 फीसदी रहा।


भारतीय पर्यटन के प्रति बढ़ती जागरुकता और कारोबारी केंद्र दोनों रुपों में बढ़ती महत्ता से होटल व्यवसाय में अगले सालों में अच्छा करने के आसार हैं।विश्लेषकों का मानना है कि देश में नए हवाई अड्डों और कनवेंशन सेंटर के निर्माण के बाद इन हालातों में फर्क आ सकता है।


इससे सप्लाई सिचुएशन और ऑक्यूपेंसी रेट दोनों सुधरने के आसार हैं। बेंगलुरु और हैदराबाद में नए हवाई अड्डों के निर्माण के बाद पर्यटकों के आवागमन में बढ़ोतरी के आसार हैं जिससे सप्लाई सिच्युऐशन और आक्यूपेंसी रेट दोनों में सुधार होगा।


संबंध


कमरों केकिराए में आई गिरावट ही होटलों के लिये एकमात्र मामला नहीं है। अपर्याप्त अधिसंरचना, जमीनों के ऊंचे मूल्य, लाइसेंसिंग से जुड़े प्रावधानों और साफ्टवेयर सेक्टर में आई मंदी जैसे कई कारण है जिससे इस सेक्टर की ग्रोथ में कमी आ सकती है।


सबसे ज्यादा प्रभावित आईटी सिटी के रुप में ख्यातिप्राप्त शहर हैदराबाद और बेंगलुरु हो सकते हैं। आईटी कंपनियो जैसे इंफोसिस और विप्रो के खुद के होटल और गेस्ट हाउस, कर्मचारियों की कमी जैसे कई मामले है जो होटल सेक्टर की ग्रोथ के लिये नकारात्मक हो सकते हैं।


लंबी अवधि में बढ़त की संभावना


इन सबके बावजूद कुछ ऐसे कारक भी है जिनसे होटल सेक्टर का  भविष्य उावल दिखता है। सेक्टर के अगले पांच सालों में नियमित राजस्व की संभावना भी दिखती है।


आर्थिक माहौल-पर्यटकों के आगमन का आर्थिक गतिविधियों से गहरा संबंध है। अर्थव्यवस्था में 8 फीसदी की बढ़त के साथ भारत केआर्थिक गतिविधियों का केंद्र बने रहने के आसार हैं जिससे कारोबार के सिलसिले में भारत आने वाले पर्यटकों की संख्या बरकरार रहेगी जो कुल पर्यटकों के 70 से 80 फीसदी भाग का निर्माण करते हैं।


अधिसंरचना सुधार-हवाई अड्डों के निजीकरण, सस्ती एयरलाइनों की सुलभता और भारत में तेजी से बढ़ते हाई-वे के जाल से शहरों केबीच यातायात का प्रवाह बढ़ेगा।


थीम और लीयजर ट्रेवल- भारत के मेडिकल हब के रुप में विकसित होने से होटल कारोबार को फायदा पहुंचेगा। मेडिकल टूरिज्म का भारत में अभी कारोबार 333 मिलियन डॉलर है जिसके 2012 तक 2.2 बिलियन डॉलर तक पहुंचने के आसार हैं। भारत में हेरिटेज टूरिज्म और वाइल्ड लाइफ टूरिज्म में भी बेहतर विकास के आसार हैं।


भारत में मध्यम की बढ़ती आय से उनका झुकाव पर्यटन स्थलों की ओर बढ़ा है। जिससे घरेलू पर्यटकों का फाइव स्टार होटलों की आर्कषण बढ़ा है। अगले पांच सालों में घरेलू पर्यटन के 15 से 20 फीसदी की गति से बढ़ने के आसार हैं।


विदेशी पर्यटक-भारत में 2007 में पचास लाख पर्यटक आए थे। वर्ल्ड टूरिज्म और ट्रेवल के आकड़ों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2011 तक यह संख्या दोगुनी हो जाएगी। यह इस सेक्टर में 19 फीसदी की सालाना बढ़त को दिखाता है। यह पिछले पांच सालों की औसत बढ़त 13 फीसदी से ज्यादा है।


सीमित आपूर्ति- यह माहौल उन कंपनियों के लिए बहुत फायदेमंद है जिनके मेट्रो शहरों के मुख्य इलाकों में परिसंपत्तियां हैं। संपत्ति के ऊंचे दामों और सीमित सप्लाई केकारण होटल के कमरों के ऊंचे किराए बने रहेंगे। होटल बेंचमार्क सर्वे के अनुसार मुंबई में पिछले साल होटल केकमरों के किराए में 46 फीसदी का इजाफा हुआ है और मुंबई में औसतन 8,300 रुपये रोजाना पर फाइव स्टार होटल में एक कमरा उपलब्ध है जो एशिया पैसेफिक रीजन में सबसे महंगा है।


लगभग सभी बड़े होटल समूह लीज पर ली गयी परिसंपत्तियों को फ्री कर अपने बैलेंस सीट में सुधार और अपने इक्विटी लाभ को बढ़ाने पर गौर कर रहे हैं।


अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों का भारत केहॉस्पिटलिटी सेक्टर पर फोकस बढ़ता जा रहा है। अगले दो सालों में भारत के हॉस्पिटलिटी सेक्टर में 440 अरब का निवेश होने की संभावना है। 2011 तक 40 वैश्विक होटल ब्रांडों का भारत से परिचालन शुरु होने के आसार हैं। इन होटलों के भारत के प्रवेश के बाद घरेलू होटलों के एआरआर में इजाफा होगा। फोर सीजन जो मुंबई में अपना पहला होटल खोल रहा है, ने अपने एक रुम का शुरुआती किराया 20,000 रुपये तय किया है।


इम्पलीमेंटेशन इश्यू-लेकिन होटल उद्योग की बढ़त में सबसे ज्यादा बाध्यकारी ढुलमुल सरकारी रवैया, जमीनों के ऊंचे दाम और योग्य कर्मचारियों की अनुपलब्धता है। एक हॉस्पिटलिटी कन्सलटिंग फर्म एचवीएस इंटरनेशनल का कहना है कि इसमें सिर्फ 58 फीसदी परियोजनाओं के पूरा होने के आसार हैं।          


                                      
हमने कुछ बड़े होटलों के नाम चुने हैं जिनके पास राजस्व के विभिन्न श्रोत हैं और जिनकी प्रीमियम होटलों की श्रेणी में मजबूत उपस्थिति है। इन लिस्टेड होटलों की कारोबार में कुल हिस्सेदारी 65 से 70 फीसदी है।


इंडियन होटल कंपनी (आईएचसीएल)


10,000 कमरों की क्षमता केसाथ आईएचसीएल भारत का सबसे बड़ा होटल ग्रुप है। यह ताज ब्रांड के अंतर्गत 83 परिसंपत्तियों का स्वामित्व रखती है। इस होटल समूह के भारत और विदेशों में होटल की श्रृंखलाएं हैं। इनमें से आधे का स्वामित्व कंपनी ही करती है जबकि शेष का स्वामित्व इसकी सहायक कंपनियों, संयुक्त कंपनियों और प्रबंधन कंपनियों के पास है।


कंपनी की वित्तीय वर्ष 2011 तक अपनी क्षमता में 9,000 कमरों तक इजाफा करने की योजना है। कंपनी इसके लिए 2,500 करोड़ का निवेश करेगी। कंपनी की सबसे बड़ी मजबूती उसकी परिसंपत्तियों का प्रथम एवं द्वितीय श्रेणी के शहरों में फैला हुआ है। इसके अतिरिक्त इस होटल समूह के विदेशों में 16 होटल है।


कैपिटल कॉस्ट को कम करने और अपनी पहुंच को बढ़ाने के लिये कंपनी ने मैनेजमेंट कांट्रैक्ट मॉडल अपनाया है जिससे कंपनी अपनी परिसंपत्तियों के इस्तेमाल के लिये शुल्क लेगी। कंपनी इस मॉडल के अंतर्गत अभी 16 होटलों का संचालन कर रही है और वित्तीय वर्ष 2011 तक कंपनी की माडल के अंतर्गत इतने ही अन्य होटलों को भी शामिल करने की योजना है।


जबकि कंपनी का 75 फीसदी राजस्व लक्जरी सेगमेंट से आता है और वह इन होटलों की संख्या बढ़ाने पर गौर कर रही है।  कंपनी की 120 करोड़ के निवेश से अपने कमरों की क्षमता दोगुनी करने की क्षमता है। कंपनी अपने प्रसार के लिये 844 रुपये पहले ही उगाह चुकी है।


इस कंपनी के होटलों के सभी शहरों के अच्छे स्थानों पर उपस्थित है। मौजूदा बाजार मूल्य 117 रुपये के स्तर पर कंपनी के स्टॉक का कारोबार पहले से 13 गुना के स्तर पर हो रहा है। कंपनी ने अपने स्टॉक के लिए लक्ष्य 175 रुपये तय किया है।


ईस्ट इंडिया होटल (ईआईएच)


ईआईएच जो ओबेरॉय ग्रुप का भाग है, भारत में 20 होटलों के साथ 3,000 कमरों का संचालन करती है। कंपनी होटल उद्योग की सबसे डाईवरसीफाइड कंपनी है। कंपनी का एयर कैटरिंग, कार रेंटल, एविएशन और प्रिंटिंग के क्षेत्र में भी कारोबार है। कंपनी का होटल व्यवसाय से प्राप्त राजस्व 72 फीसदी है जो आईएचसीएल (89 फीसदी)और होटल लीला(100 फीसदी) में सबसे कम है।


कंपनी का मुंबई से प्राप्त राजस्व सबसे ज्यादा है और यह कंपनी को प्राप्त राजस्व में आधे से अधिक की हिस्सेदारी रखता है। मुंबई में फोर सीजन और संगरीला के खुलने वाले नए होटलों के अलावा भविष्य में किसी अन्य होटल के प्रतिस्पर्धी बनने की आशा नहीं है। कंपनी ने अपने कारोबारी जोखिम को घटाने के लिये संयुक्त उपक्रम के मॉडल पर फोकस कर रही है।


कंपनी के परिसंपत्तियों से प्राप्त राजस्व में वित्तीय वर्ष 2010 तक 15 से 20 फीसदी होने के आसार है। कंपनी का जयपुर, आगरा, उदयपुर, शिमला और रणथम्बौर जैसे शहरों में भी होटल बनाने की योजना है। मध्यप्रदेश में राजगढ़ को लक्जरी होटल में तब्दील करने और राजस्थान सरकार के सहयोग से लक्जरी ट्रेन का परिचालन जैसी योजनाओं से कंपनी के भविष्य में अच्छी ग्रोथ की संभावनाएं हैं।


कंपनी के स्टॉक के लिये जो निराश करने वाली बात है वह उसके राजस्व का दो मेट्रो शहरों में ही केंद्रित होना और बजट होटल के सेगमेंट में कंपनी की अनुपस्थिति जो कि इससमय सबसे तेजी से बढ़ता सेगमेंट है। मौजूदा बाजार मूल्य 150 रुपये के स्तर पर कंपनी केस्टॉक का कारोबार अनुमानित आय से 17 गुना के स्तर हो रहा है। कंपनी के स्टॉक का एक साल में 25 फीसदी का रिटर्न देना चाहिये।


होटल लीलावेंचर


यह कंपनी मुंबई, बेंगलुरु, गोवा और कोवलम में चार परिसपत्तियों का परिचालन करती है और उसके होटलों में कमरों की संख्या 1,086 है। कंपनी के ज्यादातर होटल एयरपोर्ट और बीच के नजदीक होने के कारण कंपनी के होटलों का प्रीमियम अच्छा खासा है। इससे कंपनी का ऑपरेटिंग प्रॉफिट 60 फीसदी रहा।


कंपनी के बेंगलुरु में होटल लीला पैलेस केम्पिसकी का एआरआर 19,000 रुपये के साथ देश में सर्वाधिक है और भारत में एआरआर के औसत 12,050 से कहीं ज्यादा है। कुल राजस्व में 80 फीसदी की हिस्सेदारी रखने वाले शहरों बेंगलुरु और मुंबई पर अपनी निर्भरता कम करने के लिये कंपनी उदयपुर, हैदराबाद, गुणगांव, पुणे, चेन्नई और दिल्ली में अपने होटलों के  कमरों की संख्या में लगभग 2,700 का इजाफा कर रही है।


कामनवेल्थ गेम के दौरान दिल्ली में होने वाली होटल केकमरों की कमी को दूर करने के लिये कंपनी ने दिल्ली में तीन एकड़ संपत्ति खरीदी है जिसमें कंपनी 600 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। कंपनी का संयुक्त उपक्रम के अधीन विदेशों में भी प्रसार का इरादा है। कंपनी की कुछ संपत्तियों पर निर्भरता से कंपनी के वैल्यूएशन के आकर्षक होने के आसार कम ही है।


ताज जीवीके


हैदराबाद के  बाजार के मजबूत खिलाड़ी ताज जीवीके केपास करीब 700 कमरों की क्षमता है। कंपनी की हैदराबाद की अपनी तीन परिसंपत्तियों का प्रसार करने की योजना है। इसके अतिरिक्त कंपनी 160 करोड़ के निवेश से चेन्नई में भी एक होटल की स्थापना कर रही है। चंडीगढ़ के होटल के शानदार प्रदर्शन के कारण कंपनी की बिक्री में 5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई और यह बढ़कर 71 करोड़ हो गया।


कंपनी के एआरआर में सालाना 19 फीसदी की बढ़ोतरी हुई और यह 7,750 रुपये हो गया जबकि चंडीगढ़ में आक्यूपेसी रेट 82 फीसदी बढ़कर 1,100 बीपीएस हो गया। इससे कंपनी को अपने ऑपरेटिंग प्रॉफिट को छ: फीसदी बढ़ाने में मदद मिली और यह 35.6 करोड़ हो गया। जबकि कंपनी का कुल लाभ सात फीसदी बढ़कर 20 करोड़ रुपये हो गया। 


हैदराबाद में नये हवाई अड्डे केनिर्माण और बढ़ती गतिविधियों के बाद कंपनी के अपने कमरे की दरों को बरकरार रखना चाहिए। कंपनी का सबसे निराशाजनक पहलू कंपनी की परिसंपत्तियों का केंद्रित होना है।  मई, 2008 में चेन्नई होटल के लाचिंग के साथ कंपनी की अपने पहुंच को बढ़ाने की योजना है। 


मौजूदा बाजार मूल्य 151 रुपये के स्तर पर कंपनी के स्टॉक का कारोबार वित्तीय वर्ष 2010 में अनुमानित आय से 11 गुना के स्तर पर हो रहा है। कंपनी के स्टॉक को अगले 12 से 15 महीनों में अच्छा रिटर्न देना चाहिये।

First Published - May 4, 2008 | 11:39 PM IST

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