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लैम्प लीडर: भविष्य की उजली राह

Last Updated- December 07, 2022 | 4:05 AM IST

ऑटोमोटिव और कांपेक्ट फ्लोरोसेंट लैंप (सीएफएल) निर्माता फीनिक्स लैंप्स बाजार में हिस्सेदारी बढाने और राजस्व आधार फैलाने के लिए अपनी क्षमताओं का विस्तार कर रही है।


कंपनी वित्तीय वर्ष 2009 में सीएफएल की उत्पादन क्षमता को मौजूदा 2.5 करोड़ से बढ़ाकर 7.5 करोड़ करना चाहती है। इससे वह देश के तीन अग्रणी सीएफएल निर्माताओं में शामिल हो जाएगी।

बढ़त का क्षेत्र

देश में पिछले कुछ सालों में 40 प्रतिशत वार्षिक दर से बढ़ रहे सीएफएल मार्केट में अपनी बिक्री बढाने के लिए कंपनी ने हरिद्वार (उत्तराखंड) में एक ग्रीन फील्ड यूनिट की स्थापना की थी। यह यूनिट दिसंबर 2007 से 1.5 करोड़ सीएफएल की क्षमता से उत्पादन कर रही है।

अब 60 करोड़ रुपये की लागत से वित्तीय वर्ष 2009 में इस यूनिट की उत्पादन क्षमता को तीन गुना किए जाने का लक्ष्य है। फीनिक्स ने वर्ष 2008 में अपनी विस्तार योजनाओं में 25 करोड़ रुपये खर्च किए थे। वह अपनी निवेश राशि कर्ज (60 प्रतिशत)और आंतरिक संसाधनों से जुटाएगी। 2007 के कैलेंडर वर्ष में सीएफएल का मार्केट 14 करोड़ यूनिट का था।

बाजार में इसका कारोबार हिस्सा 12 प्रतिशत और दाम के लिहाज से 20 प्रतिशत था। लाइटिंग सेगमेंट में सीएफएल की विकास दर सबसे ज्यादा है। इस सेगमेंट में इंकेंडिसेंट्स और लाइटइमिटिंग डायोड भी आते हैं। इसका प्रमुख कारण सीएफएल का बिजली की खपत केलिहाज से इंकेंडिसेंट्स की तुलना में अधिक किफायती होना है। इस बाजार में वह अभी तक 25 प्रतिशत ही अपने ब्रांड हैलोनिक्स के नाम से बेचती है।

बाकी हिस्सा लाइटिंग क्षेत्र की अन्य प्रमुख कंपनियां अपने ब्रांड के नाम से बेचती हैं। वित्तीय वर्ष 2006 में कंपनी की हिस्सेदारी 15 प्रतिशत थी। अब इस स्थिति में काफी सुधार हुआ है। यह देखते हुए अब कंपनी अपने ब्रांडों की हिस्सेदारी बढ़ाकर 50 प्रतिशत करना चाहती है। अप्रैल में कंपनी प्रमुख बैटरी निर्माता एवरेडी से वह करार तोड़ लिया था, जिसके तहत उसके उत्पाद इस अग्रणी बेटरी निर्माता के 90 लाख आउटलेट के जरिए बेचे जा रहे थे।

फीनिक्स की नजर अब घरेलू ल्युमेनियर्स के बाजार पर है। ल्युमेनियर्स का संगठित बाजार 1000 करोड़ रुपये का है और इस बाजार में उसकी हिस्सेदारी 25 फीसदी  है। शेष बाजार पर असंगठित क्षेत्र का कब्जा है। फिलिप्स, बजाज इलेक्ट्रिकल्स और विप्रो के वर्चस्व को चुनौती देने के लिए कंपनी ने इटली और चीन के निर्माताओं से हाथ मिलाया है।

उल्लेखनीय है कि ल्युमेनियर्स का संगठित बाजार पिछले कई सालों से 15 फीसदी की दर से बढ़ रहा है। क्षेत्र में फीनिक्स के बेहतर कारोबार केनतीजे आगामी वर्षों में देखने को मिलेंगे। फिलहाल यह वितरण और ब्रांड को अधिकाधिक फैलाने में जुटी है।

कंपनी ने पिछले महीने विदेशी पार्टनर के साथ भारत में  इलेक्ट्रानिक गियर निर्माण के लिए साझा उपक्रम लगाने की घोषणा की थी। यह गियर सीएफएल के निर्माण में काम आता है। विदेशों में बनी मांग पूरी करने के लिए कंपनी ने सीएफएल और ल्युमेनियर्स के निर्माण एवं वितरण के लिए कुवैत में साझा उद्यम स्थापित किया है।

ऑटोमोटिव लैम्प

गौरतलब है कि ऑटोमोटिव लैंपों का बाजार 180 करोड़ रुपये का है। इसकी क्षमता 10 करोड़ यूनिट है,जबकि हेडलैम्प बाजार में फीनिक्स का कारोबार 100 करोड़ रुपये का है। यह बाजार केकारोबार के लिहाज से 20 प्रतिशत  और मूल्य के हिसाब से 55 फीसदी  है।

कंपनी की नजर लांच हो रही नई कारों पर है और 15 प्रतिशत की दर से बढ़ता आटो लैंप का बाजार ओईएम बाजार में उसकी सेल बढाने के लिए खासा अहम है। वर्तमान में इस बाजार में उसका हिस्सा 70 फीसदी है। 70 लाख यूनिटों में से कंपनी 60 फीसदी निर्यात करती है, लेकिन ऑटो लैम्प ओईएम और प्रतिस्थापन बिक्री के घरेलू बाजार में  मांग बढ़ने की उम्मीद के चलते निर्यात के आंकड़ों में कमी आई है।

ऑटो हेडलैंप की बिक्री पिछले दो सालों में 15 फीसदी की दर से बढ़ी है। इस पूरे क्षेत्र में अर्जित राजस्व में उसका हिस्सा 55 फीसदी है।  जबकि अगले दो वर्ष में सीएफएल की बिक्री में 40 फीसदी की अनुमानित बढ़त के चलते ऑटोमोटिव लैम्प की राजस्व में यह हिस्सेदारी 45 फीसदी तक गिर सकती है।

निवेश की दलील

कंपनी ने वित्तीय वर्ष 2008 की चौथी तिमाही केघोषित नतीजों में अच्छा परिणाम दिया है। इसमें कंपनी काराजस्व 39 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ 98.9 करोड़ रुपये हो गया। बेहतर प्रॉडक्ट मिक्स, और कच्चे माल की कम लागत के आयात से आपरेटिंग प्रॉफिट में 96 फीसदी की वृध्दि हुई है। अपने वितरण नेटवर्क और हैलोनिक्स ब्रांड को बढ़ावा देना कंपनी के लिए फायदेमंद कदम साबित हो सकता है। हालांकि इसके लिए कंपनी को अपने वितरण नेटवर्क पर  अधिक खर्च करना पड़ेगा।

कंपनी की 5 में से 4 इकाइयां करमुक्त क्षेत्र में हैं ( हरिद्वार की नई इकाई शामिल करते हुए) और इस कारण उसे विभिन्न रियायतों का लाभ भी मिल रहा है। लिहाजा, कंपनी विपणन और प्रचार पर पड़ने वाले अतिरिक्त भार को भी वहन सकती है। पूंजीगत व्यय के बावजूद,  बिक्री और मुनाफा बढ़ने की संभावना है।

इसका प्रमुख कारण बेकवर्ड इंटिग्रेशन से मिला लाभ और मजबूत ब्रांडेड सेल है। 156 रुपये के स्तर पर इसका शेयर वित्त वर्ष 2010 की अनुमानित आय का 5.8 गुना है। इसके दो वर्ष में 50 फीसदी तक रिटर्न दिए जाने की उम्मीद है।

First Published - June 8, 2008 | 10:37 PM IST

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