Department Of Financial Services (DFS) Secretary M Nagaraju
वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) के सचिव एम नागराजू ने नई दिल्ली में सीआईआई के वित्तीय समावेशन एवं वित्त प्रौद्योगिकी सम्मलेन में कहा कि नवाचार को बढ़ावा देने और नियाकीय प्रणाली सत्यनिष्ठा की सुरक्षा करने के लिए संतुलन बनाना जरूरी है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि धोखाधड़ी करने वालों से एक कदम आगे रहने के लिए नियामकीय अनुपालन पर जोर देना आवश्यक है।
नागराजू ने कहा, ‘डेटा सुरक्षा, साइबर सुरक्षा कुछ ऐसे अनिवार्य पहलू हैं जिन पर ध्यान देना आवश्यक है क्योंकि यह वित्तीय प्रौद्योगिकी उद्योग के संचालन के लिए आवश्यक है।’ उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि वित्तीय साक्षरता न केवल युवाओं के लिए बल्कि पुरानी पीढ़ी के लोगों के लिए भी आवश्यक है ताकि नए नवाचार का लाभ सभी को मिल सके।
नागराजू ने कहा, ‘भारत का वित्तीय प्रौद्योगिकी (फिनटेक) उद्योग दुनिया का सबसे बड़ा उद्योग है और यह दुनिया के दूसरे हिस्सों की तुलना में कई क्षेत्रों में फैला हुआ है। सरकार भी फिनटेक कंपनियों के काम को आसान बनाने और नियमों के पालन का बोझ कम करने के लिए पूरी कोशिश कर रही है।’
वित्त विभाग के सचिव की यह टिप्पणी, लोक सभा में यूपीआई संबंधी फर्जीवाड़े के चिंताजनक आंकड़े पेश किए जाने के संदर्भ में आई है। इसके अलावा, डीएफएस सचिव ने कहा कि सरकार फिनटेक उद्योग को एक सहायक तंत्र मुहैया कराने के लिए लगातार कोशिश कर रही है। इसमें मजबूत डिजिटल बुनियादी ढांचे के साथ-साथ पीएम सुरक्षा बीमा योजना और अटल पेंशन योजना जैसी योजनाएं शामिल हैं, जो उद्योग के लिए बड़े अवसर ला सकती हैं।
इसी कार्यक्रम में, राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के अध्यक्ष, शाजी केवी ने विशेष रूप से ग्रामीण अर्थव्यवस्था में अधिक लोकतांत्रिक तरीके से तकनीकी बदलाव लाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि बड़े बैंकों को अधिक डिजिटलीकरण का लाभ मिला है लेकिन सहकारी बैंक और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को समान रूप से डिजिटलीकरण का लाभ नहीं मिला है।
इन बैंकों के पास नई तकनीकों में निवेश करने के लिए पर्याप्त धन नहीं हो सकता है ऐसे में यह महत्वपूर्ण है कि सभी हितधारक क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (आरआरबी) और सहकारी बैंकों को डिजिटल क्षेत्र से जुड़ी सभी पहलों में शामिल करने के लिए अधिक प्रयास करें।
फोन पे के संस्थापक और सीईओ तथा सीआईआई की फिनटेक से जुड़ी राष्ट्रीय समिति के सह अध्यक्ष समीर निगम ने कहा कि तकनीक का असली मकसद सबके लिए लोकतांत्रिक तरीके से बदलाव लाना है और सभी हितधारकों को इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि कैसे उन उन लोगों को भी इस प्रणाली में शामिल किया जाए जो अभी तक इससे बाहर हैं।