यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया (एसयूयूटीआई) के यूएस-64 टैक्स फ्री बॉन्ड गैर-सूचीबद्ध कंपनियों में निवेश को लेकर लंबे समय से विवादों में रही और अब इसके निवेशकों को पैसे वापस देने का वक्त आ गया है।
ऐसे में कंपनी को करीब 19,000 करोड़ रुपये का भुगतान करना होगा, जिसके लिए कंपनी तैयारी कर रही है। हालांकि इस रकम को जुटाने के लिए कंपनी का ब्लू चिप शेयरों-आईटीसी, एल एंड टी और एक्सिस बैंक को बेचने का इरादा नहीं है।
निवेशकों के भुगतान प्रक्रिया से जुड़े सूत्रों का कहना है कि सरकार और एसयूयूटीआई प्रबंधन के बीच इस बारे में बात हो चुकी है कि भुगतान के लिए कंपनी के मूल स्रोतों को बेचने की जरूरत नहीं है। इस माह के अंत तक कंपनी को करीब 8,000 करोड़ रुपये का भुगतान करना होगा, वहीं मार्च और जून 2009 तक कंपनी को यूएस-64 स्कीम के निवेशकों को करीब 11,000 करोड़ रुपये का भुगतान करना होगा।
यूएस-64 पांच साल की अवधि वाला फिक्स्ड बॉन्ड था, जिस पर निवेशकों को 6.75 फीसदी ब्याज मिलना था। इस स्कीम में करीब 14 लाख लोगों ने निवेश किया था, लेकिन कंपनी के दिवालिया होने के कगार पर पहुंच जाने से निवेशकों की उम्मीदों पर पानी फिर गया। हालांकि सरकार ने इसमें रुचि दिखाई और करीब 44 साल बाद इसके निवेशकों को रकम वापस देने की कवायद शुरू की गई है।
सूत्रों के मुताबिक, एसयूयूटीआई गैर-सूचीबद्ध कंपनियों के प्रवर्तकों से एकबारगी समझौते के तहत रकम उगाही की कोशिश में जुटी है। इस माह के अंत तक एसयूयूटीआई बोर्ड की बैठक होनी है, जिसमें स्थिति पर विचार किया जाएगा और फिर जुलाई-अगस्त में इसकी समीक्षा की जाएगी।
एक अन्य सूत्र का कहना है कि ब्लू चिप शेयरों को कभी बेचा जा सकता है और इससे अच्छी-खासी रकम भी हासिल की जा सकती है, लेकिन जब ऐसा करना जरूरी न हो, तो ब्लू चिप शेयरों को बेचा जाना किसी भी दृष्टि से उचित नहीं होगा। हलांकि कुछ लोगों का कहना है कि ब्लू चिप शेयरों को इसलिए बेचने की बात उठी थी कि मार्केट में इसकी कीमत गिर रही है।
हालांकि सूत्र इस बात से इनकार करते हैं। अगर कंपनी ब्लू चिप शेयरों को बेचे बिना भुगातन के लिए जरूरी राशि जुटा लेती है, तो वह इन शेयरों को सरकार को हस्तांतरित कर सकती है, क्योंकि 2001 में संकट के समय सरकार ने ही कंपनी को नकद रकम और गारंटी मुहैया कराई थी।
फंड का चक्कर…
यूएस-64 स्कीम है क्या?
भारत का सबसे पुराने म्युचुअल फंड यूनिट स्कीम 1964।
कब लाया गया था?
1964 में (करीब 44 साल पहले)
कितने लोगों ने किया निवेश?
करीब 14 लाख
क्या रहा विवाद?
कंपनी पर यह आरोप लगा था कि उसने निवेशकों के पैसों को गलत तरीके से निवेश किया, जिसकी वजह से कंपनी को 12,000 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा।