प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में जीवन बीमा पॉलिसियों की बिक्री पिछले साल की समान अवधि के 53.7 लाख की तुलना में 10.11 प्रतिशत घटकर 48 लाख रह गई है। मांग में ठहराव और नए सरेंडर वैल्यू मानकों को लेकर बीमा उद्योग के समायोजन के कारण ऐसा हुआ है।
सरकारी कंपनी एलआईसी की पॉलिसियों की बिक्री में तेज गिरावट आई है, जबकि इस अवधि के दौरान निजी बीमाकर्ताओं की बिक्री मामूली घटी है।
उद्योग के जानकारों का कहना है कि व्यवस्था में ऋण की मांग में कमी के कारण ऋण से जुड़ी बीमा पॉलिसियों की बिक्री सुस्त हुई। इस मंदी ने भी जीवन बीमा पॉलिसियों की बिक्री की गिरावट में योगदान दिया है। इसके अलावा केंद्र सरकार द्वारा कर छूट में बदलाव से भी बीमा के लिए कर प्रोत्साहन कम हो गए हैं, जिससे तिमाही में पॉलिसियों की बिक्री प्रभावित हुई है। जीवन बीमा परिषद के आंकड़ों के मुताबिक इस अवधि के दौरान भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) की पॉलिसियों की बिक्री सालाना आधार पर 14.80 प्रतिशत गिरकर 30.4 लाख रह गई है, जबकि निजी जीवन बीमाकर्ताओं की बिक्री 0.80 प्रतिशत घटकर 17.8 लाख रह गई है।
आंकड़ों से पता चलता है कि ग्रुप सिंगल प्रीमियम पॉलिसियों की बिक्री 13.37 प्रतिशत घटकर 583 रह गई है, जबकि ग्रुप नॉन सिंगल प्रीमियम पॉलिसियों की बिक्री 2.5 प्रतिशत गिरकर 940 रह गई है। सालाना नवीकरण वाली ग्रुप प्रीमियम पॉलिसियों की बिक्री भी 34.97 प्रतिशत की तेज गिरावट के साथ 4629 रह गई है।
बहरहाल व्यक्तिगत सिंगल प्रीमियम पॉलिसियों की बिक्री 3.10 प्रतिशत गिरकर 2.5 लाख और व्यक्तिगत नॉन सिंगल प्रीमियम पॉलिसियों की बिक्री 10.44 प्रतिशत गिरकर 20.7 लाख रह गई है। वित्त वर्ष 2025 में जीवन बीमा पॉलिसियों की बिक्री 7.39 प्रतिशत घटकर 202 लाख थी।
केयरएज रेटिंग्स में एसोसिएट डॉयरेक्टर सौरभ भालेराव के मुताबिक जीवन बीमा सेक्टर के लिए पहली तिमाही सामान्यतया सुस्त तिमाही होती है, क्योंकि वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही में ज्यादातर खुदरा ग्राहक जल्दबाजी में पॉलिसियां खरीदते हैं।