बीमा

Irdai चेयरमैन पांडा के एक साल का कार्यकाल रहा सुधार का दौर

Published by   सुब्रत पांडा
- 16/03/2023 11:43 PM IST

भारतीय बीमा विनियामक विकास प्राधिकरण (Irdai) के चेयरमैन देबाशीष पांडा का एक साल का कार्यकाल सुधार का दौर रहा। उन्होंने ठीक एक साल पहले कार्यभार संभाला था। उनके कार्यकाल संभालने से 10 महीने पहले तक यह पद खाली रहा था। भारत के इस शीर्ष निकाय का पद उस दौर में खाली रहा था जब बीमा क्षेत्र ने कोविड-19 के जबरदस्त प्रभावों का सामना किया था। लिहाजा उद्योग को सुधारों की अत्यंत आवश्कता थी ताकि इस क्षेत्र को उच्च वृद्धि दर की ओर बढ़ाया जा सके। इन सुधारों का ध्येय भारत में बीमा क्षेत्र की पहुंच का दायरा बढ़ाना रहा।

पांडा ने ठीक एक साल पहले कार्यभार संभाला था। उनके कार्यकाल संभालने से एक साल पहले बीमा क्षेत्र ने बड़े पैमाने पर उतार-चढ़ाव का सामना किया। पांडा के अभी तक के एक साल के कार्यकाल के दौरान कई सुधार किए गए हैं। इन सुधारों का ध्येय बीमा क्षेत्र में कार्यरत कंपनियों के लिए कारोबारी सुगमता के साथ साथ नई पूंजी को भी आकर्षित करना है। नई पूंजी के आकर्षित होने से भारत में बीमा क्षेत्र का दायरा बढ़ा है। यह दायरा हालिया स्तर से भी कहीं अधिक बढ़ाया जा सकता है।

भारत में बीमा क्षेत्र करीब 22 साल पहले खोला गया था। इस क्षेत्र को राज्य संचालित कंपनियों के शिकंजे से मु्क्त किया गया और इस दौरान 50 से अधिक प्लेयर ने ग्राहकों को सुविधाएं मुहैया करवाईं। लेकिन इसकी पहुंच का दायरा कम बढ़ा। वर्ष 2001-02 में संपूर्ण बीमा क्षेत्र के पहुंच का दायरा 2.71 फीसदी था, यह 2020-21 में बढ़कर 4.20 फीसदी हुआ। लिहाजा संपूर्ण बीमा क्षेत्र का दायरा बढ़ा।

इस आलोच्य अवधि के दौरान जीवन बीमा निगम की पहुंच का दायरा 2.15 फीसदी से बढ़कर 3.20 फीसदी हो गया जबकि गैरजीवन बीमा का दायरा 44 बुनियादी अंकों से बढ़कर एक फीसदी पर पहुंच गया।

विकसित देशों (जैसे अमेरिका और कनाडा) में बीमा की पहुंच का दायरा 11.4 फीसदी और यूरोप, मध्य एशिया व अफ्रीका में बीमा की पहुंच का दायरा 8 फीसदी है। विश्व में बीमा की पहुंच का औसत दायरा 7 फीसदी है। लिहाजा तुलना करने पर भारत की स्थिति खराब है।

पांडा ने बीमा का दायरा बढ़ाने की प्रतिबद्धता पर इतना अधिक काम किया जितना उनके पूर्ववर्तियों ने नहीं किया था। इस नियामक ने यह लक्ष्य निर्धारित किया है कि वर्ष 2014 तक देश के हर नागरिक के पास उचित जीवन, स्वास्थ्य और संपत्ति का बीमा हो और हरेक कारोबारी के लिए उचित बीमा सोल्यूशन हो। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए नियामक ने बीमा कंपनियों के लिए पांच वर्षों में बीमा का दायरा दोगुना करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है। पांडा ने अपने कार्यकाल के दौरान कंपनियों पर नियामकीय दबाव कम करने के लिए गंभीरता से कार्य किया।