बीमा कंपनियां तकनीक पर धड़ल्ले से खर्च कर रही हैं। कंपनियां ऑर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) पर खासकर खर्च कर रही हैं ताकि वे आधुनिक क्लाउड आर्किटेक्चर की ओर बढ़ सकें। इससे उपभोक्ताओं, कर्मचारियों और वितरकों को बेहतर ऑनलाइन अनुभव मिलेगा।
बीमा उद्योग के मोटे अनुमान के अनुसार कंपनियों के खर्च में सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) संबंधित खर्च अब करीब 10 फीसदी है। बीमा कंपनियों ने बीते पांच वर्षों के दौरान आईटी पर खर्च जबरदस्त ढंग से बढ़ाया है। कंपनियां डिजिटल बदलाव की पहल की बदौलत उपभोक्ताओं की बदलती मांगों को पूरा कर सकेंगी।तकनीक में निवेश वृद्धि विभिन्न मंचों को आधुनिक बनाने और ग्राहकों के लिए ऑनलाइन अनुभव बेहतर करने पर केंद्रित है।
उद्योग विशेषज्ञों के अनुसार अंडरराइटिंग, दावा प्रक्रियाओं और स्वाचालित उपभोक्ता सेवा में एआई और मशीन लर्निंग पर खर्च में उछाल आया है।
टाटा एआईजी जनरल इंश्योरेंस के प्रौद्योगिकी एवं नवाचार प्रमुख कृष्णन बदरीनाथ ने कहा, ‘फिलहाल कुल खर्चों के अनुपात में तकनीक पर खर्च 10 से 15 फीसदी है जबकि यह पांच या छह साल पहले पांच से छह फीसदी था।’
बदरीनाथ ने बताया, ‘क्लाउड वह क्षेत्र है जिसमें अच्छा खासा धन खर्च किया गया है। मैं कहूंगा कि कई कंपनियों ने एआई को अपनाया है और हमारी तरह वे जेनरेटिव एआई पर हाथ आजमा रहे हैं। हम एआई पर जबरदस्त ढंग से धन खर्च कर रहे हैं।’
उद्योग के अंदरूनी जानकारों के अनुसार टेलीमेटिक्स और स्वास्थ्य देखभाल में इंटिग्रेशन ऑफ इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) तकनीकों के समन्वय के कारण बीमाकर्ताओं का तकनीक पर खर्च और बढ़ गया है ताकि वे बेहतर ढंग से जोखिम का आकलन कर सकें व बेहतर सेवाएं मुहैया करा सकें।