सरकार बैंक में ग्राहकों की जमा राशि पर बीमा की सीमा बढ़ाने पर सक्रियता से विचार कर रही है। फिलहाल 5 लाख रुपये तक की जमा बीमा के दायरे में आती है जिसे सरकार 6 महीने के अंदर बढ़ाने पर विचार कर रही है। वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर इसकी जानकारी दी। वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘वित्त मंत्रालय नई सीमा निर्धारित करने में कई पहलुओं पर विचार कर रहा है। कितने लोगों को बीमा के दायरे में लिया, कितनी जमा राशि का बीमा किया जाएगा और सरकार वास्तविक रूप से कितनी गारंटी दे सकती है, इन सभी पर व्यापक विचार किया जा रहा है। अंतिम निर्णय मौजूदा आय स्तर और वर्तमान में बीमित जमाराशि पर भी निर्भर करेगा।’
जमा बीमा सीमा वह रकम होती है, जो बैंक के दिवालिया होने की स्थिति में जमाकर्ता को दी जाती है। अधिकारी ने कहा कि संशोधित बीमा राशि की सीमा पर अभी अंतिम निर्णय नहीं हुआ है मगर यह 10 लाख रुपये के भीतर हो सकती है।
जमा बीमा एवं ऋण गारंटी कॉरपोरेशन (डीआईसीजीसी) भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है, जो क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, स्थानीय क्षेत्रीय बैंकों और सहकारी बैंकों सहित वाणिज्यिक बैंकों में जमा बीमा का प्रबंधन करती है।
जमा बीमा बढ़ाने के बारे में पूछे जाने पर भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने हाल ही में कहा था, ‘फिलहाल इस तरह का कोई प्रस्ताव नहीं है। जमा बीमा सीमा 5 लाख रुपये तक है जिसे करीब 5 साल पहले 1 लाख रुपये से बढ़ाया गया था। इसके दायरे में 97 फीसदी से ज्यादा खाते आते हैं।’
इससे पहले फरवरी में वित्तीय सेवाओं के सचिव एम नागराजू ने कहा था कि जमा बीमा बढ़ाने के प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है और मंत्रिमंडल द्वारा निर्णय लिए जाने के बाद वित्त मंत्रालय इसे अधिसूचित कर देगा।
यह विचार न्यू इंडिया सहकारी बैंक में संकट के बाद आया। 13 फरवरी को भारतीय रिजर्व बैंक ने न्यू इंडिया सहकारी बैंक को नए ऋण जारी करने से रोक दिया और छह महीने के लिए जमा निकासी रोक दी थी। इसके बाद बैंक के बोर्ड को भंग कर दिया और एक प्रशासक नियुक्त कर दिया गया।
आरबीआई के आंकड़ों से पता चलता है कि डीआईसीजीसी ने 2023-24 में 1,432 करोड़ रुपये के दावों का निपटान किया और यह राशि सहकारी बैंकों से संबंधित थी। पिछले वित्त वर्ष के अंत में डीआईसीजीसी में 1,997 बीमित बैंक पंजीकृत थे। इनमें से 140 वाणिज्यिक बैंक और 1,857 सहकारी बैंक थे।
भारत में जमा बीमा की शुरुआत 1962 में हुई थी और उस समय प्रति जमाकर्ता 1,500 रुपये की बीमा सीमा थी। यह सीमा 1976 में
बढ़ाकर 20,000 रुपये, 1980 में 30,000 रुपये और 1993 में 1 लाख रुपये की गई। पंजाब ऐंड महाराष्ट्र सहकारी बैंक संकट के बाद जमाकर्ताओं के हितों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए 4 फरवरी, 2020 को बैंक जमा बीमा बढ़ाकर 5 लाख रुपये किया गया था।