वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि बीमा सेक्टर में 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की अनुमति देने वाला बीमा संशोधन विधेयक संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में पेश किए जाने की संभावना है। संसद का शीतकालीन सत्र आमतौर पर नवंबर के आखिर में शुरू होकर क्रिसमस से पहले समाप्त होता है। जब उनसे पूछा गया कि क्या बीमा सेक्टर में एफडीआई को और उदार बनाने वाला विधेयक आगामी शीतकालीन सत्र में संसद में पेश किया जा सकता है, तो उन्होंने कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है।’’
वित्त मंत्री ने इस साल के बजट भाषण में, नई पीढ़ी के फाइनैंशियल सेक्टर सुधारों के तहत बीमा सेक्टर में विदेशी निवेश की सीमा को मौजूदा के 74% से बढ़ाकर 100% करने का प्रस्ताव रखा था। उन्होंने कहा, ‘‘यह बढ़ी हुई सीमा उन कंपनियों के लिए उपलब्ध होगी जो अपना पूरा प्रीमियम भारत में निवेश करती हैं। विदेशी निवेश से जुड़ी मौजूदा सुरक्षा और शर्तों की समीक्षा की जाएगी और उन्हें सरल बनाया जाएगा।’’
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अब तक, बीमा सेक्टर ने एफडीआई के माध्यम से 82,000 करोड़ रुपये आकर्षित किए हैं। वित्त मंत्रालय ने बीमा अधिनियम, 1938 के विभिन्न प्रावधानों में संशोधन का प्रस्ताव रखा है, जिसमें बीमा सेक्टर में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को बढ़ाकर 100% करना, चुकता पूंजी में कमी और एक समग्र लाइसेंस का प्रावधान शामिल है।
एक व्यापक विधायी प्रक्रिया के तहत, जीवन बीमा निगम अधिनियम-1956 और बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण अधिनियम-1999 में बीमा अधिनियम-1938 के साथ-साथ संशोधन किया जाएगा। एलआईसी अधिनियम में संशोधनों का प्रस्ताव है कि इसके बोर्ड को शाखा विस्तार और भर्ती जैसे परिचालन संबंधी निर्णय लेने का अधिकार दिया जाए।
प्रस्तावित संशोधन मुख्य रूप से पॉलिसीधारकों के हितों को बढ़ावा देने, उनकी वित्तीय सुरक्षा बढ़ाने और बीमा बाजार में ज्यादा कंपनियों के प्रवेश को सुगम बनाने पर केंद्रित हैं, जिससे आर्थिक वृद्धि और रोजगार सृजन को बढ़ावा मिलेगा। ऐसे बदलाव बीमा उद्योग की दक्षता बढ़ाने, कारोबार सुगमता और ‘2047 तक सभी के लिए बीमा’ के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए बीमा की पहुंच बढ़ाने में मदद करेंगे।
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1938 का बीमा अधिनियम भारत में बीमा के लिए विधायी ढांचा प्रदान करने वाला प्रमुख अधिनियम है। यह बीमा कारोबार के कामकाज के लिए रूपरेखा प्रदान करता है और बीमाकर्ता, उसके पॉलिसीधारकों, शेयरधारकों और नियामक इरडा के बीच संबंधों को नियंत्रित करता है। इस क्षेत्र में और ज्यादा कंपनियों के प्रवेश से न केवल इसकी पहुंच बढ़ेगी, बल्कि देशभर में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।
फिलहाल, भारत में 25 जीवन बीमा कंपनियां और 34 गैर-जीवन या साधारण बीमा कंपनियां हैं, जिनमें एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी ऑफ इंडिया लिमिटेड और ईसीजीसी लिमिटेड जैसी विशिष्ट साधारण बीमा कंपनियां शामिल हैं। बीमा सेक्टर में एफडीआई की सीमा पिछली बार 2021 में 49% से बढ़ाकर 74% की गई थी। 2015 में, सरकार ने बीमा सेक्टर में एफडीआई की सीमा 26% से बढ़ाकर 49% कर दी थी।