दरों में इजाफा : अवधि, ईएमआई या फिर समय से पहले भुगतान?

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 4:05 PM IST

भारतीय रिजर्व बैंक के 29 जुलाई को रेपो दर और नकद सुरक्षित अनुपात बढ़ाने के साथ ही बैंको ने तुरंत ही अपनी ब्याज दरें भी बढ़ा दी हैं।


इस साल जनवरी के बाद से अब तक ज्यादातर बैंकों ने अपनी दरें 1 से 1.5 प्रतिशत के बीच में बढ़ाई हैं, इस वजह से घर के लिए कर्ज लेने वालों के मासिक किश्त (ईएमआई) या फिर पुनर्भुगतान की अवधि में भी इजाफा हुआ है।

एक अन्य विकल्प भी है-कुछ हिस्सों में या पूरा अवधि से पहले पुनर्भुगतान ताकि ईएमआई पर असर कम किया जा सके। हालांकि इस बारे में कोई फैसला लेने से पहले इस बात को जांच करें कि क्या आवास ऋण (अन्य ऋणों के साथ) के लिए ईएमआई आपके हाथ में आने वाले वेतन से 50 प्रतिशत से अधिक तो नहीं।

एएसके वेल्थ ऐडवाइजर्स के मुख्य कार्यकारी राजेश सलूजा का कहना है, ‘अगर ईएमआई आपके वेतन से 50 प्रतिशत से अधिक हो जाती है, तो अब आपको अपने मासिक खर्च को काबू में करना चाहिए।’ जिन लोगों की ईएमआई उनके वेतन की 50 प्रतिशत से कम है, उन्हें समय से पहले पुनर्भुगतान के बारे में नहीं सोचना चाहिए, क्योंकि अगले 15 महीनों में ब्याज दरें नीचे आ जाएंगी।

ऐसा उन मामलों में होता है, जो परिवार अपने कर्ज का पुनर्भुगतान पिछले पांच वर्षों से भी अधिक समय से कर रहे हैं। चूंकि आवास ऋण लंबे समय के लिए होते हैं, ऐस में बढ़ती हुई आय का मतलब है कि आपकी मासिक किश्त आय की तुलना में कम होती जाएगी।

ब्याज दरों में वृध्दि के चलते हाल ही में घर खरीदारों पर बहुत गहरा असर पड़ा है। अगर आपने जनवरी में 15 वर्षों के लिए 40 लाख रुपये का ऋण लिया था, तब आपकी ईएमआई 44,216 रुपये बनती थी। अब अगर 6 महीने बाद ब्याज दरें 1.5 प्रतिशत बढ़ी हों (आसानी के लिए हम मान लेते हैं कि ब्याज दर एक समय पर बढ़ी है, न कि कुछ महीनों में) तो ईएमआई के नए ढांचे के अनुसार मासिक किश्त 47,918 रुपये की होगी, जिसमें लगभग 8 प्रतिशत का इजाफा है।

आईसीआईसीआई बैंक के प्रमुख (खुदरा परिसंपत्ति और ग्रामीण वित्त) राजीव सभरवाल का कहना है, ‘लेनदार, जिसने पिछले तीन से पांच वर्ष में कर्ज लिया हो, उसे अपने कर्ज के कुछ हिस्से का पहले पुनर्भुगतान करने की कोशिश करनी चाहिए। ऐसे ग्राहकों के उदाहरण पहले ही बढ़ रहे हैं।’ इससे आपके मूल में कमी आएगी, जिससे आपके ब्याज के भुगतान में भी कमी होगी।

उदाहरण के लिए पहले बताए गए आवास ऋण के लिए अगर ईएमआई 3,702 रुपये से बढ़ती है (47,918 रुपये-44,216 रुपये) तो आप अपनी ईएमआई को पहले जितना यानी 44,216 रुपये रखने के लिए एक बार में लगभग 6.5 लाख रुपये का भुगतान कर सकते हैं। बेशक यह राशि काफी अधिक है और हो सकता है कि इतना पैसा आपके पास आसानी से उपलब्ध न हो।

जबकि अगर आप इसे धीरे-धीरे बढ़ने के हिसाब से देखें तो पहली बार में इसमें 10.5 प्रतिशत से 11 प्रतिशत या 11.25 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। ऐसे में 2.3 लाख रुपये का एक साथ भुगतान आपकी ईएमआई को बरार रख सकता है। इस तरह के ऋण अवधि से पहले पुनर्भुगतान के लिए वित्त विशेषज्ञ आपकी ऐसी वित्त योजनाओं में से पैसा निकालने की सलाह देते हैं, जो आज अच्छा रिटर्न नहीं दे पा रही हैं, जैसे बैंक के सावधि जमा।

ऐसा करने से पहले आप ऋण देनदार से बात करें कि आपको कितने पैसे की अदायगी करनी होगी ताकि आप ईएमआई को एक सुविधाजनक स्तर पर ला सकें। प्रमाणित वित्त योजनकार कार्तिक झावेरी का कहना है, ‘हालांकि इक्विटी निवेशों को इस तरह की पुनर्भुगतान के लिए इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, लेकिन कुछ मामलों में हम इन रिटर्न का इस्तेमाल पहले भुगतान करने के लिए कर लेते हैं।’

जब हम इक्विटी में निवेश करते हैं, हमें लंबे समय में एक साल में 15 प्रतिशत रिटर्न कमाने की उम्मीद होती है। अगर इक्विटी पोर्टफोलियो आपको अधिक रिटर्न दे रहा हो, तो आप इस अतिरिक्त रिटर्न का इस्तेमाल अपने कर्ज के कुछ हिस्से का अवधि से पहले पुनर्भुगतान में कर सकते हैं।

झावेरी का कहना है, ‘इससे यह सुनिश्चित होता है कि उस व्यक्ति का लक्ष्य सही दिशा में है और अतिरिक्त रिटर्न का इस्तेमाल अपनी देनदारियों को घटाने में किया जा सकता है।’ अगर आपके पास तुरंत अपने कर्ज के समय से पहले पुनर्भुगतान के लिए पैसा न हो तो सभरवाल सलाह देते हैं कि ऐसे में अगर मुनासिब हो तो अधिक ईएमआई को चुने। यह कर्ज की अवधि को बढ़ाने से बेहतर है।

अगर आप इस तरह के पुनर्भुगतान करने की स्थिति में नहीं हैं तो इसके अलावा एक विकल्प और है कि आप जिस बैंक से आपने आवास ऋण लिया है, उसे बदलकर ऐसे बैंक का चुनाव करें जो कम ब्याज दरों पर ऋण मुहैया करा रहा हो। सभरवाल का कहना है, ‘हालांकि बैंक बदलने का मतलब तो तभी है जब किसी को फायदा हो।

अधिकतर मामलों में कर्जधारक को मौजूदा कर्ज पर 3 प्रतिशत तक का जुर्माना देना पड़ता है।’ उनकी सलाह है कि पहले जो शुल्क लगाए जा रहे हैं, जैसे प्रतिबंध शुल्क (2 प्रतिशत), प्रक्रिया शुल्क (0.5 प्रतिशत) और ब्याज दरों के बीच का अंतर पर एक नजर डाल ली जाए। अपने कर्ज का समय से पहले भुगतान करने का सही समय तक है तब आप सेवानिवृत होने के नजदीक हों और आप पर कर्ज बकाया हो।

सलूजा की सलाह है, ‘जितना हो सके उतना भुगतान पहले कर दें। अगर जरूरत पड़े तो कोई अपने कुछ इक्विटी निवेशों को भी नकद करा सकता है।’ इसके बाद कुछ ऐसी परिस्थितियां भी ऐसी होती हैं, जिसमें खर्च बढ़ने की उम्मीद होती है। उदाहरण के लिए सचिन आनंद और उनकी पत्नी ने डेढ़ वर्ष पहले लिए 15 लाख रुपये के कर्ज के 40 प्रतिशत का अवधि से पहले भुगतान करने के लिए सोने का इस्तेमाल किया।

आनंद परिवार में नवंबर में एक बच्चा आने वाला है। उनका मानना है कि इसके साथ ही उनका मासिक खर्च भी बढ़ जाएगा, इसलिए उन्होंने इस सोने को नकद करा कर उसके कुछ हिस्से से कर्ज के लिए पैसा जुटाया और बाकी हिस्से को नवंबर में होने वाले खास खर्च के लिए रख लिया। अवधि से पहले भुगतान, ईएमआई या अवधि बढ़ाने के किसी भी फैसले पर पहुंचने से पहले जरूरी है कि आप इन सभी विकल्पों पर ध्यान से विचार करें।

First Published : August 11, 2008 | 12:57 AM IST