आम लोगों के हित में

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 05, 2022 | 7:11 PM IST

वित्त मंत्री ने हाल ही में एक प्रस्ताव रखा था कि शेयर बाजार में सूचीबध्द सभी कंपनियों में देश की आम जनता की कम से कम 25 फीसदी हिस्सेदारी अनिवार्य होनी चाहिए।


अगर इस प्रस्ताव को अमल में लाया जाता है, तो शेयर बाजार से जुड़ी चार महत्वपूर्ण चार चिंताओं का निदान संभव हो पाएगा। ये चिंताएं- तरलता, उतार-चढ़ाव, निवासी व्यक्तिगत निवेशकों (आरआईआई) की भागीदारी और कीमतों में हेर-फेर की हैं।


तरलता


हालांकि लोकप्रिय शेयरों का कारोबार कमोबेश अच्छा रहता है, लेकिन ज्यादातर शेयर ऐसे होते हैं, जिनमें कारोबार बहुत कम होता है या फिर होता ही नहीं है। साल 2006-07 में बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) में सूचीबध्द 7,561 शेयरों में सिर्फ 3,097 शेयर यानी 40.3 फीसदी सूचीबध्द शेयरों का ही कारोबार हो पाया था।


बीते साल दिसंबर महीने में सिर्फ 2,904 शेयरों का ही कारोबार हो पाया था जो सूचीबद्ध शेयरों का केवल 37.7 प्रतिशत है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में ज्यादातार बड़ी कंपनियां ही सूचीबद्ध हैं और क्षेत्रीय स्टॉक एक्सचेंजों में कारोबार ठप पड़ा है। बीएसई ही एकमात्र ऐसा स्टॉक एक्सचेंज हैं जहां मिड-कैप और स्माल-कैप के शेयरों का कारोबार किया जाता है।


उतार-चढ़ाव


दुनिया के अन्य शेयर बाजारों में भारतीय शेयर बाजारों में  सबसे ज्यादा उतार-चढ़ाव होता है। साल 2007 के दौरान सेंसेक्स और निफ्टी में रोजाना औसत उतार-चढ़ाव क्रमश: 1.54 और 1.60 फीसदी था। जबकि विदेशी शेयर बाजार में, उदाहरण के लिए डॉउ जोन्स में 0.92 फीसदी, एफटीएसई में 1.10 फीसदी और निक्केई में 1.17 फीसदी के आसपास रोजाना औसत उथल-पुथल दर्ज किया गया था।


खुदरा निवेशकों की भागीदारी


दिनों-दिन शेयर बाजार में आई मजबूती के बावजूद शेयरधारकों की संख्या में कोई बढ़ोतरी देखने को नहीं मिली है। हालांकि सेबी-एनसीएईआर द्वारा किए गए अध्ययन से पता चलता है कि घरेलू इक्विटी निवेशकों में इजाफा हुआ है। साल 1998-99 में जहां घरेलू इक्विटी निवेशकों की संख्या 12.1 लाख थी वहीं साल 2000-01 में इसकी संख्या 61 लाख तक पहुंच गई थी। मसलन भारतीय निवेशकों में सिर्फ 3.7 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी।


कीमतों में हेर-फेर


अन्य शेयर बाजारों की तरह ही भारतीय शेयर बाजारों में भी मूल्यों को बढ़ाने और हेरफेर व धोखाधड़ी की प्रवृति पाई जाती है। लेकिन प्रचुर शक्तियां होने के बावजूद इन प्रवृतियों पर अंकुश लगाने के लिए स्टॉक एक्सचेंज द्वारा कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया गया है।


(लेखक बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के पूर्र्व कार्यकारी निदेशक हैं।)

First Published : April 6, 2008 | 11:50 PM IST